दस जनवरी को केंद्रीय कार्मिक विभाग ने तेलंगाना के मुख्य सचिव सोमेश कुमार को राज्य सेवा से मुक्त कर दिया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने इस कुर्सी को संभालने के लिए ए. शांति कुमारी को चुना. 1989 बैच की आईएएस अधिकारी शांति इसके साथ ही देश के सबसे युवा राज्य में अब तक प्रशासनिक नेतृत्व संभालने वाले छह अधिकारियों में पहली महिला बन गईं.
तीन दशक से अधिक लंबे करियर में गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य, कौशल विकास और वानिकी आदि क्षेत्रों में काम कर चुकीं शांति कुमारी कहती हैं, "यह लोगों की सेवा करने का एक और अवसर है." आंध्र यूनिवर्सिटी, विशाखापत्तनम से समुद्री जीव विज्ञान में एमएससी की पढ़ाई के दौरान वे कुछ सीनियर छात्रों के संपर्क में आईं जो सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे थे और तभी उन्होंने इस सेवा में आने का फैसला कर लिया.
वे बताती हैं कि यह उनके लिए शिक्षा से इतर रोमांचक करियर अपनाने की दिशा में निर्णायक मोड़ साबित हुआ: "इस पूरी प्रक्रिया के दौरान मैंने खुद को एक नए रूप में पाया." शांति काफी आध्यात्मिक माहौल में पली-बढ़ी हैं, शायद यही वजह है कि वे कहती हैं, "हम जरूरतमंदों की सेवा करने और उनके प्रति दयाभाव रखने के लिए यहां हैं." वे बताती हैं कि अपने निजी और पेशेवर जीवन में वे इसी 'सिद्धांत’ का पालन करती हैं.
25 साल पहले आदिलाबाद में जिला कलेक्टर के तौर पर शांति कुमारी ने कपास किसानों को शोषण से बचाने के लिए कालाबाजारी रोकने और सही वजन से लेकर उचित बाजार खरीद सुनिश्चित करवाई. उनकी कार्रवाई ने कालाबाजारियों की नाक में दम कर दिया और इस युवा आईएएस अधिकारी का ट्रांसफर कर दिया गया. स्थानीय किसानों ने ट्रांसफर के विरोध में तीन दिन बंद का आयोजन किया.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के साथ दो साल काम करने के दौरान इस वरिष्ठ नौकरशाह ने देशभर की यात्रा की. राष्ट्रीय आजीविका मिशन के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) के तौर पर काम करते हुए उन्हें यह सुनिश्चित करना था कि स्वयं सहायता समूहों का वित्तीय समावेशन हो सके. वे बताती हैं, "दिल्ली में बैठकर हम किसी राष्ट्रीय मिशन का सूक्ष्म प्रबंधन नहीं कर सकते. यह असंभव है, और ऐसा कुछ करने की अपेक्षा भी नहीं की जानी चाहिए."
युवा प्रशासकों के लिए संदेश? "बारीकियों पर ध्यान दें लेकिन दीर्घकालिक असर का आकलन भी करें; अपनी टीम के हर सदस्य को महत्वपूर्ण और मूल्यवान समझें; व्यापक स्तर पर कल्याण की बात ध्यान में रखें; सबके साथ उदार रवैया अपनाएं; और एक अच्छे श्रोता बनें." किसी भी छोटी-बड़ी बात को अनसुना न करें.