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गौतम कुमावत : इथिकल हैकिंग के जुनून ने एक औसत छात्र को कैसे बना दिया हैकिंगफ्लिक्स का फाउंडर

हैकिंग की शुरुआत गौतम ने फोन से की थी. बाद में बेसिक फोन का पासवर्ड तीन सेकंड में खोलना खेल-खेल में सीख लिया. साल 2010 में राजस्थान पुलिस की वेबसाइट हैक कर ली. तब वे हैकिंग सीख रहे थे

धुन के पक्के गौतम कुमावत की 2014 की तस्वीर
धुन के पक्के : गौतम कुमावत की 2014 की तस्वीर
अपडेटेड 18 जनवरी , 2024

साल 2020 में डेटा हैकर्स ने अमेरिका के एक अस्पताल से मरीजों का ब्योरा चुरा लिया. उन्हें एचआइवी जैसी गंभीर बीमारियां थीं. फिर उनके मित्रों को उलटे-सीधे मैसेज भेजे जाने लगे. लोग बहुत परेशान हो गए और इन लोगों ने अस्पताल से शिकायत की. अस्पताल ने जयपुर के इथिकल हैकर गौतम कुमावत से मदद मांगी तो गौतम और उनकी टीम जुट गई.

यह टीम हैकर्स से डेटा वापस तो नहीं ले सकी लेकिन उसने हैकर्स के कंप्यूटर का आइपी एड्रेस ट्रैक कर हैकर्स के कंप्यूटर से वह डेटा डिलीट कर दिया. गौतम बताते हैं, "यह एक असंभव-सा काम था और इस काम के लिए ज्यादा तो नहीं, मात्र डेढ़ करोड़ रुपए का भुगतान हमें हुआ था."

गौतम कुमावत, 27 वर्ष, फाउंडर, हैकिंगफ्लिक्स

ऐसे साइबर अटैक हों या लोगों को इथिकल हैकिंग, साइबर सिक्योरिटी सिखाना हो, ये सब काम गौतम कुमावत और उनकी कंपनी हैकिंगफ्लिक्स डॉट कॉम कर रही है. एक मध्यमवर्गीय परिवार के पढ़ाई में औसत रहे गौतम ने 27 साल की उम्र में ही करोड़ों का कारोबार और अपना खुद का इथिकल हैकिंग ब्रांड अपनी अथक मेहनत से स्थापित किया है. 

हालांकि गौतम के लिए इसकी पृष्ठभूमि बचपन में ही तैयार हो गई थी. तब वे परिवार सहित झुंझुनूं की सूरजगढ़ तहसील के कुम्हारों का वास नामक एक गांव में रहा करते थे. गौतम वहीं के सरकारी स्कूल में पांचवीं तक पढ़े. बचपन में उनके गांव में बिजली नहीं थी.

वे पांचवीं से नौवीं तक चार किलोमीटर दूर के गांव काझड़ा में पढ़ने के लिए पैदल जाते थे. पिता सिविल इंजीनियर थे और प्राइवेट नौकरी करते थे. उम्र में नौ साल बड़ी बहन ने गौतम को पाला पोसा था. 12वीं तक बहनें साथ में रहीं. नौवीं की पढ़ाई के बाद ग्रेजुएशन तक पढ़ाई जयपुर में की क्योंकि पूरा परिवार जयपुर आ गया. गौतम ने 12वीं विज्ञान से दो बार की. दोबारा भी गणित में 36 नंबर ही आए. 

हैकिंग की शुरुआत गौतम ने फोन से की थी. बाद में बेसिक फोन का पासवर्ड तीन सेकंड में खोलना खेल-खेल में सीख लिया. पिता दफ्तर का लैपटॉप लेकर आते थे तो रात को उससे खेलते थे. वर्ष 2010 में राजस्थान पुलिस की वेबसाइट हैक कर ली. तब वे हैकिंग सीख रहे थे, 10वीं में पढ़ते थे. तीन महीने बाद पुलिसवाले आए और पकड़कर ले गए.

पुलिस ने देखा कि बच्चा है तो डांट-फटकार कर छोड़ दिया. दोबारा कुछ महीने बाद पुलिस फिर इनके घर पहुंची और ले गई लेकिन इस बार पुलिस इनसे खुद मदद लेना चाहती थी. दरअसल, एक प्रभावशाली परिवार की युवती तीन दिनों से गायब थी और सारी इंटेलिजेंस लगाने और हाथ पैर मारने के बाद भी पुलिस को उसका कुछ पता नहीं चल पा रहा था. दबाव बहुत था.

गौतम के प्रयासों से उस युवती का पता मिल गया. गौतम बताते हैं, "मैंने उस युवती के कुछ फ्रेंड्स से बात की, उसके बैंक एकाउंट में पैसों की जानकारी ली. ग्राफिक्स डिजाइनर से एक डिजिटल पैंफलेट बनवाई और इसमें एक लाइव लिंक लगवाया, जिसमें होटल में ठहरने पर डिस्काउंट की बात लिखी थी." इसे गौतम ने युवती के मोबाइल पर भेजा तो युवती ने उसे क्लिक कर दिया. इससे उसकी लोकेशन और आइपी एड्रेस पता चल गया. वह एक होटल का निकला और नजदीकी थाने की पुलिस वहां पहुंच गई और केस सॉल्व हो गया. 

2015 की एक घटना है. राजस्थान में डार्कवेब पर देसी कट्टे बिक रहे थे. डार्कनेट पर खरीदने वाले और बेचने वाले एक दूसरे को रेटिंग देते हैं कि खरीदार पुलिस का आदमी तो नहीं है. इन्होंने डार्कनेट पर उससे संपर्क कर भरोसा जीता और उससे कट्टे मंगाए. तीन बार ऐसा किया और बेचने वाले ने इन्हें फाइव स्टार की रेटिंग दी. तीसरी बार मंगाने के बाद इन्होंने कहा अलग-अलग पुर्जे से वे कट्टा असेंबल नहीं कर पा रहे हैं, तुम खुद कर दो.

तो बेचने वाले ने कहा आप इन्हें वापस कर दो. इन्होंने हर पार्सल के भीतर जीपीएस लगा दिया और पैकेट वापस भेजा. राजस्थान के छह शहरों में ये पार्सल वापस भेजे और पुलिस को लोकेशन पता चलती रही. इसके बाद कट्टे बेचने वालों को पकड़ लिया गया. ऐसे ढेर सारे किस्से उनके पास हैं.

2013 से 2016 के बीच जयपुर के एक कॉलेज से बीसीए (बैचलर इन कंप्यूटर एप्लिकेशंस) करने वाले गौतम को पढ़ाना बहुत पसंद था. 12वीं में थे तब कंप्यूटर था लेकिन इंटरनेट की एक्सेस नहीं थी. पास में एक साइबर कैफे में जाते थे तो कैफे वाले ने वहां बच्चों को कंप्यूटर पढ़ाने को कहा. गौतम बताते हैं, "उस समय हैकिंग के कोर्स काफी महंगे थे इसलिए मैंने खुद ही सीखना शुरू किया.

कॉलेज के दौरान जयपुर की एक जानी-मानी प्रोग्रामिंग कोचिंग से मैंने पार्टनरशिप की और वहां साइबर सिक्योरिटी का कोर्स पढ़ाना शुरू किया. 2014 में ही मैंने अपनी कंपनी हैक डिफेंस नाम से शुरू की. इसे एमएसएमई कैटेगरी की कंपनी के तौर पर शुरू किया. लेकिन इसे बंद करना पड़ा. बाद में हैकिंगफ्लिक्स डॉट कॉम की शुरुआत की.

हैकिंगफ्लिक्स का ऑफिस जयपुर में था. इसमें करीब दो दर्जन लोग काम करते हैं. इसका मुख्य काम कंपनियों के सिस्टम और नेटवर्क का सिक्योरिटी ऑडिट करना और एडटेक है. एडटेक प्लेटफॉर्म साइबर सिक्योरिटी के कोर्स ऑनलाइन मुहैया कराता है." उनका 40 प्रतिशत तक रेवेन्यू विदेश से आता है.

अमेरिका और ब्रिटेन के ऑडिट क्लाइंट ज्यादा हैं. गौतम के नाम पर प्रोजेक्ट आते हैं. साइबर सिक्योरिटी में गौतम खुद ही एक ब्रांड हैं. विदेश में दफ्तर खोलने के सवाल पर गौतम बताते हैं, "जो स्टार्ट-अप विदेश में कंपनियों के दफ्तर बता रहे हैं, वे वहां के दलालों को पैसे देकर ऑफिस चला रहे हैं. 90 प्रतिशत से ज्यादा स्टार्ट-अप विदेश में अपने दफ्तर दिखाने के लिए वर्चुअल एड्रेस मुहैया कराने वाली कंपनियों को पैसे देकर यह सुविधा ले रहे हैं." 

गौतम का कहना है कि ज्यादा पैसा कमाने के लिए ऐसा काम करना चाहिए जिससे आप सोते रहें तो भी आपकी कमाई होती रहे. इनके एडटेक के कोर्स इसी श्रेणी में आते हैं. कॉर्पोरेट का नियम है कि अपनी कंपनी में दोस्तों और रिश्तेदारों को नहीं रखना चाहिए लेकिन गौतम इससे अलग सोचते हैं. इनका मैनेजर भी 12वीं तक इनके साथ पढ़ा है.

हाल ही में इनके एक स्कूली मित्र की एक बड़े अपैरल स्टोर से नौकरी चली गई तो इन्होंने उसके लिए अपने पैसे से टी-शर्ट मैन्युफैक्चरिंग और ट्रेडिंग का काम शुरू करा दिया. वे कहते हैं, "मैं ऐसे लोगों को पसंद करता हूं जिनमें पोटेंशियल हो, भले ही वे पैसे मुझसे कम कमा रहे हों."

गौतम कुमावत कहते हैं, "मैं फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस पाने के स्तर से आगे निकल चुका हूं. मेरा मकसद पैसा बनाना नहीं, मैं अपने स्तर पर सहारा ढूंढ़ रहे लोगों की जिंदगी बदलना चाहता हूं." उनका दावा है कि उनकी कंपनी खरीदने के लिए दिग्गज एडटेक कंपनियां बड़ी रकम का ऑफर दे चुकी हैं लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया.

गौतम 15 राज्यों की पुलिस के साइबर मसले सुलझा चुके हैं. वे सरकारी अफसरों को ट्रेनिंग देते हैं. सौ से ज्यादा देशों की सुरक्षा व जांच एजेंसियों के स्टाफ ट्रेनिंग ले चुके हैं. दिग्गज कंपनियां उनकी क्लाइंट हैं. गौतम मानते हैं जब तक हैकर्स हैं, उनका काम चलता रहेगा.

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