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नितिन जैन: पिता को खोया, मां कैंसर से जूझीं... फिर 'गिफ्ट्स' ने बदली कहानी

पिता की मृत्यु और मां को कैंसर से जूझते देखने की पीड़ा उस दिन और असल जान पड़ी जब नितिन ने खुद को एक्सिडेंट के बाद अस्पताल के बिस्तर पर पाया. उसी पल उन्होंने तय किया कि एक ऐसा प्रोडक्ट बनाना है जो भारतीयों को अपने परिवार के प्रति प्रेम व्यक्त करने में मदद करे.

नितिन जैन, 35 वर्ष संस्थापक, इंडीगिफ्ट्स
नितिन जैन, इंडीगिफ्ट्स के संस्थापक
अपडेटेड 15 दिसंबर , 2023

इंडीबनी प्राइवेट लिमिटेड के ऑफिस में हर जगह पारिवारिक स्लोगन लिखे हुए हैं. मसलन, ऑफिस की सीढियों से प्रवेश करते ही दीवारों पर 'दादी के अचूक नुस्खे और दादा के अनकहे किस्से', 'भाई-बहन का बचपन' और 'पति-पत्नी की अनबन', 'बुआ-फूफा, मामा-मौसी/जीजा, चाची और पड़ोसी/ रिश्ते-नाते तीज-त्यौहार/ मनाए एक साथ इंडी परिवार' जैसे स्लोगन लिखे गए हैं. इंडीगिफ्ट्स के सीईओ और फाउंडर नितिन जैन कहते हैं, ''मैं अपनी भावनाओं को इन स्लोगन और उपहारों के जरिए व्यक्त कर पाता हूं.''

देश, परिवार और संस्कृति के लिए उनके मन में इस हद तक दीवानगी है कि अपने पूरे व्यापार को इसी बुनियाद पर खड़ा कर दिया. 18 साल की उम्र में खुद का व्यापार शुरू करने वाले नितिन जैन आज गिफ्ट के क्षेत्र का देश-दुनिया में जाना-पहचाना नाम हैं. उनकी कंपनी इंडीगिफ्ट्स (इंडीबनी प्राइवेट लिमिटेड) का नाम इंडिया के नाम पर रखा गया.

बाल संबल संस्थान के बच्चों को 2010 में एनिमेशन प्रशिक्षण देते हुए

देश के अधिकांश राज्यों के साथ विश्व के 18 देशों में उनके बनाए गए गिफ्ट बिकते हैं. अमिताभ बच्चन और साक्षी तंवर सहित कई फिल्मी सितारे और टाटा, महिंद्रा जैसे देश के नामी उद्योगपति विभिन्न मौकों पर उनसे गिफ्ट तैयार करवाते हैं. नितिन जैन को संस्कृति और भाषाओं से इतना लगाव है कि 12 भाषाओं में उन्होंने हर उत्सव के लिए गिफ्ट तैयार किए हैं. महज 7 साल के समय में इंडीगिफ्ट्स ने 25-30 लाख लोगों तक अपनी पहुंच बनाई है. 

इंडी नाम की भी एक अलग कहानी है. साल 2008 में नितिन जैन के पिता की एक रोड एक्सिडेंट में मौत हो गई. माताजी भी दो बार कैंसर सर्वाइवर रहीं. एक ऐसा वक्त भी आया जब उनका एक्सिडेंट हुआ और उन्हें लगा कि अब उनका परिवार और जिंदगी पूरी तरह से बिखर गई है. इस दौर में उनकी माता, बहन, रिश्तेदारों और दोस्तों ने पूरा साथ दिया.

छह महीने अस्पताल के बिस्तर पर लेटे हुए नितिन को एहसास हुआ कि उन्हें जो दूसरी जिंदगी मिली है, वह अब सिर्फ उनकी नहीं है. उन्होंने अपने दोस्तों के साथ इंडीबनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाई और उसी समय तय कर लिया कि यह कंपनी हर भारतीय की भावनाओं को व्यक्त करने का जरिया बनेगी. इंडीबनी की टैग लाइन ही 'वसुधैव कुटुंबकम’ है यानी संपूर्ण विश्व एक परिवार है.

नितिन जैन बताते हैं कि उनका मैस्कॉट इंडी एक भारतीय संयुक्त परिवार का सदस्य है. दादा-दादी, पापा-मम्मी, पत्नी, बच्चा, बहन, चाचा-चाची, बुआ-फूफा और पालतू डॉगी इंडी परिवार के अन्य सदस्य हैं. इन्हें ध्यान में रखकर उन्होंने गिफ्ट्स बनाए हैं. नितिन के कलेक्शन में 'डैड यू आर द बेस्ट’ और 'डैडीज स्वैग’ वाले तकिए, 'वल्ड्र्स बेस्ट शेफ' वाले एप्रन जैसे प्रोडक्ट दिखते हैं.

इसके अलावा  'इफ कर ना बट कर, बीवी कहे जो झट कर', 'मम्मी का ढाबा', 'पापा का ठेका' जैसे उनके स्लोगन वाले आइटम खूब बिकते हैं. पत्नी चालीसा को प्रोडक्ट के तौर पर सबसे पहले इंडीगिफ्ट्स ने ही प्रस्तुत किया. इन तमाम स्लोगन और गिफ्ट्स का उन्होंने कॉपीराइट भी लिया है. उनकी ओर से बनाए गए कई गिफ्ट और स्लोगन 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' और 'वागले की दुनिया' जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों में दिखाई दिए.

नितिन जैन ने 15-16 साल की उम्र में ही अपने भविष्य की दिशा तय कर ली थी. कॉलेज कैंपस में जब प्लेसमेंट के लिए कई कंपनियां आईं, नितिन ने तभी तय कर लिया था कि उन्हें एम्प्लॉई नहीं, एम्प्लॉयर बनना है. उनके परिवार में किसी के पास बिजनेस का अनुभव नहीं था, और वे कारोबारी बारीकियों से अनजान थे. साल 2009 में नितिन ने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एनिमेशन ऐंड मल्टी मीडिया में डिप्लोमा किया. इसके बाद बिरला इंस्टीट्यूट से ही डिजाइन में मास्टर्स किया.

अमेरिका में वॉशिंगटन डीसी स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड से आंत्रेप्रेन्योरशिप में विशेषज्ञता के लिए एक साल का कोर्स किया. इस दौरान उन्होंने डिजाइन और मार्केटिंग के लिए 300 से ज्यादा कंपनियों, एनजीओ और अन्य संस्थाओं में सेवाएं दीं. उसी दौरान नितिन ने यह फैसला किया कि प्रोडक्ट इंडस्ट्री में अब खुद का काम करना है. 2017 में महज 18 साल की उम्र में उन्होंने डिजाइन हाउस इंडीबनी शुरू कर दिया. 

इंडीगिफ्ट में स्लोगन और डिजाइन का काम नितिन जैन खुद करते हैं, वहीं मार्केटिंग और उत्पाद तैयार करवाने का काम उनकी पत्नी दिव्या जैन संभालती हैं. राजस्थान सहित केरल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की 500 से ज्यादा महिलाएं इंडीगिफ्ट्स से जुड़ी हैं. आर्ट ऐंड क्राफ्ट से जुड़ी इन महिलाओं को क्लस्टर स्तर पर ट्रेनिंग देने और घर बैठे गिक्रट बनाने का प्रशिक्षण देने का काम भी दिव्या ही देखती हैं.

इंडीगिफ्ट्स से जुड़ी महिलाओं को स्वावलंबी और सशक्त बनाने के लिए दिव्या और नितिन ने 2019 में इंडीबनी फाउंडेशन बनाया. इसके जरिए 2024 तक उन्होंने 10 हजार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है. यह फाउंडेशन इंडीबनी से जुड़ी चार राज्यों की आर्ट और क्राफ्ट की कारीगर महिलाओं की कला को निखारने का भी काम कर रहा है. इंडीबनी प्राइवेट लिमिटेड को अब तक 50 से ज्यादा प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं.

नितिन जैन कहते हैं, ''उपहारों के जरिए लोगों को भारत की संस्कृति से जोड़ा जा सकता है. हमारे हर उत्पाद की थीम इंडीजिनियस रखी गई है जिनसे हम लोगों को हमारे रीति-रिवाज और त्योहारों के बारे में जागृत करते हैं. गिफ्ट तैयार करने में हमने पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखा है. हमारा लक्ष्य है कि हम भविष्य में 100 प्रतिशत प्लास्टिक और सिंथेटिक मुक्त उत्पाद बनाएं ताकि पर्यावरण को भी बचाया जा सके."

नितिन के मुताबिक, आर्ट ऐंड क्राफ्ट के क्षेत्र के संगठित नहीं होने की वजह से भारतीय कारीगरों को पूरा मौका और प्रोत्साहन नहीं मिल पाता. वे कहते हैं, ''भारतीय अपनी भावनाएं त्योहारों के जरिए जाहिर करते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय में इन पर चीनी उत्पादों का कब्जा हो चुका है. पटाखे, लाइट्स, रंग, राखियां सब बाहर से आ रहे हैं."

इसी वर्चस्व को तोड़ने के लिए इंडीबनी ने लोकल से वोकल की अवधारणा पर काम करते हुए भारतीयों के लिए भारतीय भाषाओं में गिफ्ट बनाने शुरू किए जिन्हें ई-कॉमर्स के जरिए बेचना शुरू किया. नितिन ने 500 से लेकर 5,000 रुपए तक के गिफ्ट्स बनाए ताकि लोग इन्हें आसानी से खरीद सकें. हालांकि वे और उनकी टीम अब इंडीगिफ्ट्स को ओमनीचैनल ब्रांड बना रही है और ऑनलाइन के साथ-साथ रिटेलर्स तक पहुंच रही है. इनका लक्ष्य है कि साल 2027 तक वे देश-विदेश में बसे एक करोड़ लोगों तक अपने प्रोडक्ट्स पहुंचा सकें.

नितिन जैन फोटोग्राफी के शौकीन हैं. बच्चों के लिए क्रिएटिव एक्टिविटी आयोजित करना उनका शगल है. डिजाइन थिंकिंग, सेहत, कला व संस्कृति पर निरंतर लेखन भी करते हैं.

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