नई नस्ल100 नुमाइंदे/ नवोन्मेषक
रवि प्रकाश, 31 वर्ष
डेयरी टेक्नोलॉजी रिसर्चर, बेंगलूरू
स्टील से बना और बिजली से चार्ज होने वाला दूध का एक बर्तन 30 मिनट में दूध को ठंडा कर सकता है और भारत के डेयरी उद्योग को क्रांतिकारी ढंग से बदल सकता है. नैनो तरल-आधारित टेक्नोलॉजी के इस बर्तन में सात लीटर दूध आ सकता है और यह उसे 30 मिनट में 37 डिग्री सेल्सियस से सात डिग्री सेल्सियस तक ठंडा कर सकता है.
इसे नवोन्मेषी डेयरी टेक्नोलॉजिस्ट रवि प्रकाश ने ईजाद किया है, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआइ) बेंगलुरू से पीएचडी कर रहे हैं.
उन्हें उम्मीद है कि शुरुआती नमूनों पर 9,000 रुपए की लागत के साथ वे इसे सस्ता बना सकते हैं. एनडीआरआइ की वित्तीय सहायता से उन्होंने 10 लाख रुपए के निवेश से ऐसी प्रणाली डिजाइन की जो कच्चे दूध को परिवेश के तापमान से जरूरी सीमा तक ठंडा करती है.
प्रकाश कहते हैं, ''दूध निकालने के बाद उसकी गुणवत्ता कायम रखने में असल अहमियत उस समय की है जिसमें किसान दिन में दो बार उसे संग्रह केंद्र से होते हुए शीत केंद्र तक ले जाता है.’’ प्रकाश के पिता बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में हरसारी के सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षक हैं.
किसान का बेटा होने के तजुर्बे और शिक्षा (एनडीआरआइ, करनाल से बी.टेक. की डिग्री) ने उन्हें इस बर्तन का नमूना तैयार करने के लिए उकसाया. इस आविष्कार के लिए 2019 में उन्हें नकद 25,000 अमेरिकी डॉलर के साथ ब्रिक्स यंग इन्नोवेटर प्राइज मिला. उन्हें उम्मीद है कि यह बर्तन 2023 के मध्य तक किसानों को 5,000 रुपए से भी कम कीमत में सुलभ हो जाएगा.
''सस्ते और हाई-टेक आवष्किार किसानों की जिंदगी बदल सकते हैं, खासकर भारत में असंगठित डेयरी फार्मिंग क्षेत्र की.’’
अरबों का मौका सरकार को डेयरी विकास की राष्ट्रीय कार्य योजना से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 2022 तक 2,100 करोड़ रुपए की लागत से दूध को तेजी से ठंडा करने वाले 8,80,000 उपकरणों की जरूरत होगी.