संजय दीक्षित
छत्तीसगढ़ी सिनेमा के इकलौते सुपर स्टार हैं अनुज शर्मा. छत्तीसगढिय़ा सिने दर्शकों के दिलों में उनका एकतरफा राज है. गायकी में भी उनका कोई सानी नहीं. सुरील आवाज पिता से उन्हें विरासत में मिली है. छत्तीसगढ़ी फिल्मों के लिए 9 बार का बेस्ट एक्टर पुरस्कार अनुज के नाम है. सबसे लोकप्रिय अभिनेता और बेस्ट प्लेबैक सिंगर का खिताब भी उन्हीं के नाम है. मार्च 2014 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया.
अभी तक सिर्फ 4 छत्तीसगढ़ी फिल्मों ने ही सिल्वर जुबली यानी 25 सप्ताह चलने की सफलता अर्जित की है. और इन सभी फिल्मों के हीरो अनुज शर्मा हैं. उनकी मोर छइहां भुइयां हिंदी फिल्म मोहब्बतें और मिशन कश्मीर जैसी हिंदी फिल्मों के साथ रिलीज हुई थी, जिसने एक थियेटर में 109 दिन लगातार 5 शो में चलकर रिकॉर्ड बनाया. इतना ही नहीं, राज्य में 27 सप्ताह तक चल कर शोले और जय संतोषी मां जैसी फिल्मों के रिकार्ड भी तोड़े. महूं दीवाना तहूं दीवानी, मया दे दे मयारू, रघुबीर, भांवर, राजा छत्तीसगढिय़ा, प्रेम के बंधना जैसी उनकी फिल्में प्रदेश के कई सिनेमा घरों में पूरे 24 घंटे में 8 शो में प्रदर्शन का अनूठा रिकार्ड बना चुकी हैं. हीरो नंबर वन में अनुज ने एक ही गाने में 157 शर्ट बदलने का रिकार्ड भी बनाया है. सोनू निगम, उदित नारायण, कुमार शानू, सुरेश वाडेकर, बाबुल सुप्रियो और विनोद राठौर सरीखे कई पार्श्व गायक अनुज के लिए अपनी आवाज में गाने रिकार्ड कर चुके हैं. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के छत्तीसगढ़ के ब्रांड एंबेसेडर भी हैं.
अनुज का अभिनय और गायन का सफर कक्षा 5 से ही शुरू हो गया था. तब उन्होंने पहली बार मंच पर एक प्रहसन में अभिनय किया था. एक साल बाद मंच पर इक दिन बिक जायेगा माटी के मोल गीत की प्रस्तुति दी. उसके बाद तो फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. फिर आल इंडिया रेडियो में गाने का मौका मिला. एलएलबी फाइनल ईयर में थे, जब उन्हें मोर छइहां भुइयां फिल्म मिली. सन् 2000 में इस फिल्म की करिश्माई सफलता ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी. निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्में अनुज तीन भाइयों और एक बहन में सबसे छोटे हैं. 13 साल की उम्र में ही उनके सिर से पिता का साया उठ गया. उसके बाद उन्हें कई उतार-चढ़ाव देखने पड़े.
अब तक 40 से ज्यादा फिल्मों में मुख्य भूमिका निभाने के अलावा उन्होंने फिल्म निर्माण, निर्देशन और पार्श्वगायन भी किया है. वे मंचीय कार्यक्रमों के भी लोकप्रिय कलाकार हैं और छत्तीसगढ़ के अलावा उन्होंने महाराष्ट्र, ओडिशा और मध्यप्रदेश में 900 से ज्यादा स्टेज शो किए हैं. 20 से ज्यादा कलाकारों के साथ उन्होंने आरुग नाम से अपना एक बैंड भी बनाया है. इसके तहत वे मंच संचालन, नृत्य, अभिनय और गायन भी करते हैं.
छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री की इमारत जिन सबसे महत्वपूर्ण खंभों पर खड़ी है, उनमें अनुज सबसे प्रमुख स्तभ हैं. उनके बिना छत्तीसगढ़ी फिल्मों का न तो इतिहास लिखा जा सकता है और न वर्तमान. फिल्म उद्योग को उन्होंने मात्र व्यवसाय और मनोरंजन के बजाय संस्कृति और परंपराओं के समानजनक प्रदर्शन का साधन माना है. इसी के अनुरूप अपने प्रयासों से उन्होंने छत्तीसगढ़ी सिनेमा को छत्तीसगढ़ की अस्मिता के रूप में भी स्थापित करने में भूमिका निभाई है. अनुज छत्तीसगढिय़ा युवाओं के आदर्श, चरित्र और सपनों के प्रतीक भी हैं. ठ्ठ
संघर्ष
तेरह की उम्र में पिता को खो देने के बाद कई उतार-चढ़ाव देखे
उपलब्धि
नौ बार छत्तीसगढ़ी फिल्मों के बेस्ट एक्टर का खिताब
टर्निंग पॉइंट
2000 में पहली रंगीन छत्तीसगढ़ी फिल्म मोर छइहां भुइयां में हीरो की भूमिका जिंदगी बदल दी
सफलता के सूत्र
सफलता मिलने तक निरंतर प्रयास
सफलता के कारक
अभिनय प्रतिभा के साथ गायिकी में भी दक्षता ने उन्हें अप्रत्याशित सफलता दिलाई
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