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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में ट्रंप के मंत्री हॉवर्ड लुटनिक बोले- 'भारत के साथ टैरिफ में बड़े बदलाव का समय आ गया है'

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने कहा, ''1945 में टैरिफ तय किए जाने के बाद से अब 80 साल हो चुके हैं, लेकिन अब इसे बदलने का समय आ गया है और राष्ट्रपति ट्रंप इस पर 'जवाबी कार्रवाई करने पर विचार कर रहे हैं."

Trump, Trade and Tariffs  
हॉवर्ड लुटनिक
अपडेटेड 24 मार्च , 2025

डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता संभाले हुए अभी एक महीने से थोड़ा ही अधिक समय हुआ है लेकिन उन्होंने भू-राजनीति और विश्व व्यापार में पहले ही सिहरन पैदा कर दी है. उन्होंने चीन, कनाडा और मेक्सिको पर भारी टैरिफ लगाए हैं और अप्रैल में भारत समेत दूसरे देशों पर भी इसी तरह के शुल्क लगाने की धमकी दी है. अमेरिका के नए वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक वैश्विक व्यापार वार्ताओं में ट्रंप की ओर से जिम्मा संभालने वाले अहम शख्स हैं.

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में लुटनिक ने वॉशिंगटन डीसी से ऑनलाइन हिस्सा लिया और जवाबी टैरिफ, भारत और चीन के साथ अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधों, भारत को हथियारों की आपूर्ति, अमेरिकी गोल्ड कार्ड वीजा स्कीम आदि जैसे विभिन्न मुद्दों पर सवालों का जवाब दिया. आयात पर अमेरिका के ऊंचे टैरिफ का बचाव करते हुए लुटनिक ने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने व्यापार पर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में सावधानी के साथ विचार किया है.

उन्होंने कहा, ''1870 के दशक से 1913 तक अमेरिका में केवल टैरिफ थे और कोई आयकर नहीं था. और फिर विश्व युद्धों के बाद उसने दुनिया के पुनर्निर्माण में मदद करने के लिए अपनी अर्थव्यवस्था की ताकत, अपनी अर्थव्यवस्था के सामर्थ्य के जरिए दूसरे देशों की मदद करने की कोशिश की.’’ जब अमेरिका ने कम टैरिफ लगा रखे थे तो भारत को अमेरिका के साथ व्यापार करने से बड़ा लाभ होता था. और भारत ने बहुत ज्यादा टैरिफ लगाकर अपने बाजार की रक्षा की.

उन्होंने कहा, ''1945 में इसे तय किए जाने के बाद से अब 80 साल हो चुके हैं. लेकिन अब इसे बदलने का समय आ गया है और राष्ट्रपति ट्रंप इस पर 'जवाबी’ शब्द के साथ विचार कर रहे हैं. आप हमारे साथ जैसा व्यवहार करते हैं, हम भी आपके साथ वैसा ही बर्ताव करना चाहेंगे.’’

भारत दुनिया के सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में है और इसके लिए भारत और अमेरिका के खास संबंधों पर फिर से विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के उन टैरिफ स्तरों को कम करने के लिए द्विपक्षीय बातचीत पर फोकस करना चाहेगा जो उसकी अर्थव्यवस्था के कृषि जैसे कुछ क्षेत्रों की रक्षा करते हैं. लुटनिक ने उम्मीद जताई कि अमेरिका और भारत के बीच व्यापक व्यापार समझौता हो जाएगा.

पनामा नहर को वापस लेने की ट्रंप की योजना पर लुटनिक ने कहा कि अमेरिका ने पनामा नहर के निर्माण में आज के हिसाब से एक ट्रिलियन डॉलर खर्च किए और उस समय मलेरिया से 38,000 अमेरिकियों ने जान भी गंवाई. उन्होंने विस्तार से बताया, ''जिमी कार्टर ने एक समझौते के बदले पनामा को यह नहर दी.

समझौते में कहा गया था कि पनामा किसी भी देश का पक्ष नहीं लेगा. लेकिन पनामा ने यह किया कि उसने नहर के दोनों मुहाने चीनियों को लीज पर दे दिए. चीनी नहर पर पुल बना रहे थे इसलिए अमेरिकी सेना और हमारी सभी नौकाओं को चीनी बंदरगाहों के नीचे और चीनी बंदरगाहों के बीच से गुजरना पड़ता था.’’ 

कनाडा के बारे में, जिसे ट्रंप ने अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की धमकी दी थी, लुटनिक ने कहा कि उसकी पूरी अर्थव्यवस्था अमेरिका पर निर्भर है. उन्होंने कहा, ''वह नाटो को एक तरह से कुछ भी नहीं देता क्योंकि वह अमेरिका की ओट ले लेता है. वह जानता है कि अमेरिका उसकी रक्षा करेगा.’’ और अंत में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप के लिए काम करना उनके जीवन का 'सबसे पसंदीदा‘ समय है.

अमेरिका की भारत के साथ बड़े पैमाने पर व्यापक व्यापार समझौता करने में दिलचस्पी है. इसके लिए अलग तरह के सोच-विचार की जरूरत होगी...जो पीएम मोदी कर सकते हैं क्योंकि राष्ट्रपति ट्रंप के साथ उनके बहुत अच्छे संबंध हैं.

भारत ने रूस से भारी संख्या में अपने सैन्य सामान की खरीद की है और...इस पर रोक की जरूरत है. वैश्विक आर्थिक मुद्रा के रूप में डॉलर की जगह नई मुद्रा बनाने की कोशिश कर रहे ब्रिक्स देशों में भारत अहम सदस्य है. इन कदमों से ...भारत के प्रति हमारे दिल में जो प्यार है, वह पैदा नहीं होता.

अगर लोग यूएस गोल्ड कार्ड के जरिए अमेरिका आते हैं तो उन्हें सिर्फ अमेरिका में कर चुकाना होगा और अपनी वैश्विक आय पर नहीं. इससे बाजार तक उनकी पहुंच तुरंत होगी, उन्हें जल्द मंजूरी मिलेगी और ये महान उद्यमी...अमेरिका में व्यवसाय स्थापित करेंगे. (इससे) हमारा बजट घाटा कम होगा. 

अब कुछ बड़ा, कुछ तगड़ा करने का वक्त आ गया है...जो अमेरिका और भारत को बड़े पैमाने पर जोड़ सके. आइए, हम अमेरिका के प्रति भारत की टैरिफ नीति को कम करें और इससे भारत को असाधारण संबंध बनाने का अवसर मिलेगा.

खास बातें
अमेरिका टैरिफ स्तर घटाने के लिए भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच द्विपक्षीय बातचीत पर फोकस करना चाहेगा. इससे भारत को अमेरिका के साथ खास तरीके से व्यापार करने का अवसर मिलेगा.

अमेरिका चाहता है कि कृषि का भारतीय बाजार खुले. वह चाहता है कि व्यापार 'अधिक निष्पक्ष’ हो और इस आधार पर मजबूत द्विपक्षीय संबंध बनाए जाएं.

अमेरिका का मानना है कि व्यापार करार के लिए सही दृष्टिकोण यह है कि हर बात को सोच-समझकर निबटाया जाए. अमेरिका-भारत व्यापार सौदे में हर चीज को ध्यान में रखा जाएगा न कि एक-एक उत्पाद को.

यूट्यूब पर पूरा सेशन देखने के लिए यहां क्लिक करें. 
 

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