भारतीय स्ट्रीमिंग पर महिलाओं का बोलबाला है और हो भी क्यों न जब महिला-प्रधान वेब सीरीज को हरी झंडी मिल रही हो और वे लोकप्रिय भी हो रही हों. नेटफ्लिक्स का नया ओरिजिनल शो डब्बा कार्टेल इसकी तस्दीक करता है, जो प्लेटफॉर्म पर #1 ट्रेंड कर रहा है.
शिबानी अख्तर का बनाया और 'नार्कोस ठाणे’ के नाम से प्रचारित यह शो पांच औरतों के इर्द-गिर्द घूमता है, जिन्होंने टिफिन सेवा शुरू की है, हालांकि डब्बों के अंदर जो है, वह और कुछ भी हो, कानूनी कतई नहीं है.
स्ट्रीमिंग ऐसा क्षेत्र भी है जहां सारगर्भित भूमिकाएं अभिनेत्रियों के हिस्से में आ रही हैं, चाहे उनकी उम्र जो भी हो. 74 की उम्र में अग्रणी भूमिका निभा रहीं आजमी ने कहा, ''यह वाकई कल्पना से परे था, यहां तक कि 20 साल पहले भी कि मेरी उम्र की कोई औरत मुख्य किरदार निभाएगी.’’ ओटीटी पर बॉक्स ऑफिस के कलेक्शन से ज्यादा तवज्जो कंटेंट को दी जाती है. उन्हें ज्यादा लंबे वक्त तक देखा भी जाता है, जिसका आजमी के शब्दों में मतलब है, ''लेखक और निर्माता में अलग किस्म का कंटेंट रचने की हिम्मत आ जाती है.’’
छह प्रमुख महिला किरदारों में आजमी, ज्योतिका, निमिषा सजायन, शालिनी पांडे, अंजलि आनंद और सई ताम्हणकर के साथ यह सीरीज अपने मजबूत चरित्र चित्रण की वजह से अलग है. अख्तर मानती हैं कि उन्हें ऐसे प्रतिभाशाली कलाकार जुटा पाने का सौभाग्य मिला, जो सुरक्षित और आश्वस्त थे और जिन्होंने प्रोजेक्ट को सबसे आगे रखा. वे कहती हैं, ''इस बात को लेकर उत्साह और समझ थी कि आप ऐसे लोगों के साथ जगह साझा कर रहे हैं जो कहानी का अभिन्न अंग हैं. जब आप ऐसा होने देते हैं तो कहानी और भी खूबसूरत हो जाती है.’’
सेट पर यह मिथ भी तोड़ दिया गया कि औरतें ही औरतों की बड़ी दुश्मन होती हैं. इससे शूटिंग आसान हो गई. ज्योतिका कहती हैं, ''मुझे लगा कि महिलाएं बस एक दूसरे को आगे बढ़ाने का इंतजार कर रही हैं. हमारे बीच कोई बहस नहीं हुई और हमने काम का मजा लिया.’\
दिलकश डब्बा
तीनों कलाकारों ने एक दूसरे से केवल वही नहीं बांटा जो अपने डब्बे में उन्हें पसंद था बल्कि वह भी जो उनके दूसरे अहम साथी को पसंद था. शबाना ने समोसे और सिर्फ समोसे चुने और ज्योतिका ने कहा कि वे अपना दक्षिण भारतीय नाश्ते का डब्बा अपने अभिनेता पति सूर्या के साथ साझा करेंगी. शिबानी ने फ्रेंच फ्राइज, चॉकलेट चिप कुकीज और डोनट्स के रूप में जंक फूड चुना.
अभिनेत्री शबाना आजमी कहती हैं, "आपको लगता है मेरे पास कोई विकल्प था? वह (शिबानी) मेरी बहू है. उसने बाकायदे मेरे कान खींचे. मुझे उसी के हिसाब से करना पड़ा. तकरीबन आसान-सी दिखाई देने वाली भूमिका निभाने के लिए आपको बहुत ज्यादा होमवर्क और रियाज करना पड़ता है ताकि वह सहज लगे.
यह उस महिला आंदोलन का हिस्सा है जो छन-छनकर महिलाओं के काम के हरेक क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है...आखिरकार आप इस बात का एहसास करके खुश हैं कि पुरुष और महिला दो अलग प्राणी हैं, उनमें फर्क है और आप उस फर्क का जश्न मना रहे हैं ना."
क्राइम ड्रामा सीरीज डब्बा कार्टेल की क्रिएटर और एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर शिबानी अख्तर के मुताबिक, मैं ऐसी कहानी रचना चाहती थी जो महिला प्रधान हो और मुझे पता था कि मैं क्राइम ड्रामा जॉनर ही चाहती थी. हमारे यहां दुनिया भर की इतनी सारी कार्टेल स्टोरीज हैं, लेकिन मुझे लगता है जिस बात ने इसे इतना अनोखा बना दिया, वह दरअसल ठाणे की पृष्ठभूमि थी.
अभिनेत्री ज्योतिका बताती हैं कि हम सभी के साथ बराबर का बर्ताव किया गया, सभी के किरदार अच्छे-से लिखे गए थे और सभी अपनी जगहों पर सुरक्षित थे, यही बात हमें एक साथ लाई. निभाने के लिहाज से सबसे मुश्किल किरदार वे होते हैं जो असल जिंदगी के किरदार होते हैं और जिनके साथ महिलाएं जुड़ाव महसूस करती हैं.