दूरदराज के द्वीप ग्रेट निकोबार पर भारत की सामरिक और व्यावसायिक महत्वाकांक्षाओं और दुनिया के एक सबसे समृद्ध और फिर भी सबसे नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के बीच टकराव खदबदा रहा है, जिसमें दांव ऊंचे हैं.
अंडमान और निकोबार (एऐंडएन) प्रायद्वीप का यह धुर दक्षिणी द्वीप जैवविविधता का ज्वलंत स्थल है, जो अब केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जहाजरानी और पर्यटन परियोजना की वजह से संभावित खतरे से घिरा है.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ने पीडब्ल्यूसी इंडिया और उसके फाउंडेशन की तरफ से प्रकाशित रिपोर्ट 'टुवर्ड्स ए क्लाइमेट रिजिलीएंट फ्यूचर: स्ट्रैटजीज फॉर अंडमान ऐंड निकोबार आइलैंड्स’ के अनावरण के लिए मंच दिया. एऐंडएन द्वीपसमूह के पूर्व चीफ सेक्रेटरी डॉ. केशव चंद्रा के हाथों जारी यह विस्तृत रिपोर्ट तीन प्रमुख क्षेत्रों पर रोशनी डालती है: पर्यावरण की सुरक्षा के उपायों के साथ विकास के लक्ष्यों का संतुलन बिठाने की जरूरत; अनुकूलन और शमन की अनिवार्य रणनीतियां; और स्थानीय समुदायों पर बोझ डाले बिना बल्कि उनकी आमदनियों में इजाफा करते हुए इन उपायों के लिए धन जुटाने की चुनौतियां.
अपने आरंभिक संबोधन में पीडब्ल्यूसी इंडिया के चेयरमैन संजीव कृष्ण ने वृद्धि बनाम विकास पर बहस की अहमियत पर जोर दिया, खासकर ''ऐसे वक्त जब जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में कम और कम अहम होता मालूम दे रहा है.’’ डॉ. चंद्रा ने भी इस बात पर बल दिया कि फौरन 'समाधान’ खोजना जरूरी है. अपनी प्रस्तुति के दौरान वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे, ''हमें विकास के सभी पहलुओं का ध्यान रखने की जरूरत है.’’
अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह के पूर्व चीफ सेक्रेटरी केशव चंद्रा ने कहा, "फाइनेंसिंग हर जगह बड़ा, बहुत बड़ा मुद्दा है... सीएसआर कर रही कंपनियों के साथ दिक्कत यह है कि वे अपनी फैक्टरी से पांच किलोमीटर दूर भी जाना नहीं चाहतीं."
ऑबजर्वर रिसर्च फाउंडेशन के नीलांजन घोष ने कहा, "मैं जलवायु परिवर्तन को विकास की समस्या मानता हूं. यह हमारी बेलगाम मानवीय महत्वाकांक्षा की वजह से ऐन विकास की शक्तियों से ही निकलता है."
पीडब्ल्यूसी इंडिया के मधुरा मित्तल ने कहा, "हमने (एऐंडएन द्वीपसमूह में) जो पहली चीज देखी, वह यह थी कि मैंग्रोव की चादर छीज रही है... दूसरी हैं जमीन का जलमग्न होना और एकल कृषि." वहीं, आइटीसी लिमिटेड के अंकित गुप्ता ने कहा, "आप निरे अपने बूते लचीले नहीं हो सकते; यह सामूहिक चीज है. अगर आप अपने पास-पड़ोस की रक्षा नहीं कर सकते, तो अपनी फैक्टरी की रक्षा भी नहीं कर सकते."