नोवो नार्डिस्क इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रांत क्षेत्रिय के मुताबिक, चिकित्सा अनुसंधानों से लगातार पता चल रहा है कि मोटापा केवल खूबसूरती का मसला नहीं. भारत समेत कई सरकारें अब इसे बीमारी यानी बहुत ज्यादा वसा से उत्पन्न मेटाबोलिक गड़बड़ी मानती हैं.
मोटापे को स्वास्थ्य की 229 स्थितियों से जोड़ा जाता है, जिनमें डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, ऑस्टियोअर्थराइटिस, बांझपन के अलावा अवसाद और दुश्चिंता सरीखे मानसिक विकार शामिल हैं. अलबत्ता मोटापे से लड़ना महज इच्छाशक्ति का मामला नहीं.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में नोवो नॉर्डिस्क इंडिया के विक्रांत श्रोत्रिय ने मोटापे के इलाज के बारे में बात की और बताया कि जेनेटिक और मेटाबोलिक कारकों की वजह से लोगों में पहले से ही जरूरत से ज्यादा कैलोरी ग्रहण करने का रुझान होता है. खाने की उपलब्धता भले बढ़ गई हो पर मानव शरीर जिंदा रहने को फैट जमा करने का आदी है.
ओजेम्पिक सरीखी वजन कम करने की दवाइयों के उभार के चलते कई लोग इसे मोटापे की 'जादुई गोली’ समझते हैं, जबकि नोवो नॉर्डिस्क इसे टाइप 2 डायबिटीज की दवा के तौर पर बेचती है. श्रोत्रिय स्पष्ट करते हैं, ''यह जादुई दवा नहीं. यह कोई बहाना नहीं कि मैं पार्टी करूं और बाद में एक इंजेक्शन ले लूं. यह उन लोगों के लिए है जो खानपान और कसरत के बावजूद वजन कम नहीं कर पाते.’’
कारगर ढंग से वजन घटाने को कई तरीकों की दरकार होती है. श्रोत्रिय इसे ''एबीसी एटिट्यूड (रवैया), बिहेवियर (व्यवहार) और चॉइसेज (चयन)’’ कहते हैं. फायदे अच्छे-खासे हैं. श्रोत्रिय के मुताबिक, 5 फीसद की कमी से भी ब्लड शुगर पर नियंत्रण बढ़ जाता है और ब्लड प्रेशर या रक्तचाप कम हो जाता है. 10 फीसद की कमी से टाइप 2 डायबिटीज और फैटी लिवर का जोखिम कम हो जाता है, और 10-15 फीसद की कमी से डायबिटीज से छुटकारे का अनुभव हो सकता है. दवा, ध्यानपूर्वक भोजन, नियमित व्यायाम और चिकित्सकीय मार्गदर्शन के संयोजन से जीवन की गुणवत्ता में सुधार आ सकता है.
मोटापे के इलाज के बजाए एहतियात बरतना लाख गुना आसान है. इसलिए इस पर पैनी नजर रखें कि आप कब खा रहे हैं, क्या खा रहे हैं और योगाभ्यास के तौर पर आप करते क्या हैं. इसके अलावा, आपको जब जरूरत महसूस हो तो प्लीज! डॉक्टर के पास जाने में संकोच न करें; इलाज अब पहले के मुकाबले कहीं सरल है.
ओजेम्पिक के रूप में बाजार में बेचे जा रहे सेमाग्लूटाइड का बड़े पैमाने पर क्लिनिकल रिसर्च हो चुका है. नियामक संस्थाओं ने पूरे डेटा का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया है...कोई दवाई तभी बाजार में लाई जाती है जब जोखिम के मुकाबले उसके लाभ कई गुना ज्यादा हों.
मोटापे से शरीर में मेटाबोलिक गड़बड़ी पैदा होती है. इसे खूबसूरती का मसला समझने के बजाए जीव वैज्ञानिक नजरिए से समझने की जरूरत है. दवाई मोटापे का जादुई इलाज नहीं है. दवाई खानपान, व्यायाम और मानसिक स्वास्थ्य सरीखे स्वस्थ जीवनशैली के विकल्पों के साथ लेनी चाहिए.