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इंडिया टुडे कॉन्क्लेव-2025: अगले पांच सालों में कैसे बढ़ जाएगा तीन गुना भारत का लग्जरी मार्केट?

अमीरों की बढ़ती संख्या (ऊंची नेटवर्थ वाले लोग) और खर्च योग्य आय में तेज वृद्धि के साथ-साथ उपभोक्ता दृष्टिकोण में बदलाव से बढ़ावा मिला है

(बाएं से) ज्यां टूबौल, विवेक साहनी ,राहुल मिश्र
(बाएं से) ज्यां टूबौल, विवेक साहनी ,राहुल मिश्र
अपडेटेड 10 अप्रैल , 2025

भारत का लग्जरी बाजार 17 अरब डॉलर (1.48 लाख करोड़ रुपए) का है जिसकी सालाना वृद्धि दर 30 फीसद है. यह लंबी-लंबी गाथाओं में गढ़ा गया महज छोटा सा सपना नहीं बल्कि वैश्विक महत्वाकांक्षाओं वाला गतिशील उद्योग है. इसका कारोबार 2030 तक तीन गुना हो जाएगा.

इसके उल्लेखनीय कायापलट को इनोवेशन से, अमीरों की बढ़ती संख्या (ऊंची नेटवर्थ वाले लोग) और खर्च योग्य आय में तेज वृद्धि के साथ-साथ उपभोक्ता दृष्टिकोण में बदलाव से बढ़ावा मिला है. हालांकि, इसकी बढ़ोतरी की कहानी न केवल वैश्विक ब्रांडों के लिए बढ़ती चाहत पर हावी है, बल्कि वह घरेलू लग्जरी ब्रांडों को विस्तार और प्रयोग करने के लिए वृद्धि का आधार भी देती है. 

अब जब भारत वैश्विक लग्जरी के अगले हब के रूप में उभर रहा है तो दुनिया के प्रमुख प्रीमियम स्पिरिट्स ब्रांडों में से एक पेरनॉड रिकार्ड इंडिया के सीईओ ज्यां टूबौल, भारत की सौंदर्य और सेहत क्षेत्र की एक प्रेरक शक्ति कामा आयुर्वेद के सह-संस्थापक और अध्यक्ष विवेक साहनी, और पेरिस ऑते कुचू वीक में प्रदर्शन करने वाले पहले भारतीय विजनरी फैशन डिजाइनर राहुल मिश्र भारत की इसी आभा के सटीक उदाहरण हैं.

अगर पेरनॉड रिकार्ड इंडिया की राजस्व के हिसाब से देश की सबसे बड़ी शराब कंपनी बनने की यात्रा स्पिरिट्स के बढ़ते प्रीमियमीकरण, उपभोक्ताओं की ऊंची पसंद और बढ़ती डिस्पोजेबल आय का मिलाजुला रूप है तो अंतरराष्ट्रीय फैशन के रैम्प पर ज्यादातर ऐसे परिधान सजे हुए हैं जो कमोबेश भारत में ही बने हैं.

सौंदर्य की दुनिया में ए-ब्यूटी के प्रसार ने दुनिया भर में नई कल्पनाओं को जन्म दिया है. कामा आयुर्वेद ने आयुर्वेद से यह विचार लिया है और इसे शहरी भारतीयों और अब यूके में अपने स्टोरों के साथ विश्व में लोगों को उपलब्ध कराया है.

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