आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक इतनी तेजी से आगे बढ़ रही है कि वह मानव स्मृतियों और विचारों को हमेशा के लिए सहेजना शुरू कर देगी. इससे डिजिटल अमरता का युग शुरू हो सकता है.
एआइ सृजित ये क्लोन मानव व्यवहार की नकल कर सकते हैं और अपने समकक्ष मानव से सीख सकते हैं. एक बार ठीक से प्रशिक्षण लेने के बाद एक 'शाश्वत' आध्यात्मिक परिवर्तनों का मार्ग बन सकता है और हमें जीवन, स्मृति और दृष्टिकोणों की गहरी अंतर्दृष्टि दे सकता है.
टेक उद्यमी हेनरिक जॉर्ज इसे हासिल करने के लिए ईटीईआर9 में काम कर रहे हैं. एक ऐसी दुनिया जहां ये क्लोन सुनिश्चित कर सकेंगे कि इंसान को हमेशा याद रखा जाए. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के एक सत्र के दौरान उन्होंने समझाया, ''कल्पना कीजिए आइंस्टीन इस प्लेटफॉर्म पर जिंदा होते और छात्रों को सीधे डिजिटल तरीके से पढ़ाते.''
ऐसी एआइ टेक्नोलॉजी बायोहैकिंग के लिए भी प्रासंगिक होती जा रही है. यह किसी इंसान की गहरी मशीनी समझ का इस्तेमाल करके उसकी उम्र को लंबी कर सकती है और शरीर में कुछ हानिकारक जीनों को 'बंद' करके बेहतर स्वास्थ्य नतीजे दे सकती है. बायोहैकिंग के क्षेत्र में काम करने वाले एक अन्य पैनलिस्ट सजीव नायर ने कहा, ''120 साल तक एकदम स्वस्थ रहने और समाज के लिए सर्वश्रेष्ठ योगदान देने में बुराई ही क्या है?''
मगर खुद के डिजिटल संस्करण के हमेशा के लिए मशीन में पहुंच जाने से नैतिकता, प्रामाणिकता और गोपनीयता को लेकर कई चिंताएं खड़ी होती हैं. सबसे बड़ी चिंता है, हैक किए गए डेटा लीक और मशीन से नियंत्रित होते इंसान. इस्कॉन के संत गौरांग दास ने बहस में आध्यात्मिक आयाम जोड़ते हुए कहा, ''हमें मशीनों की मदद की जरूरत है. मगर मूल्य और नैतिकता हमेशा मानवीय ही रहने चाहिए.'' इसे दो अन्य ने भी दोहराया तथा कहा कि आखिरकार मानव और मशीन के बीच विभाजन रेखा रहनी ही चाहिए. डिजिटल प्लेटफॉर्म और टेक्नोलॉजी जहां अवसरों और सुविधाओं को आसान कर देते हैं, वहीं मानव आत्मा को किसी एक में कैद नहीं किया जा सकता. दास के अनुसार, आत्मा सर्वोच्च होती है.
इस्कॉन से जुड़े मोटिवेशनल स्पीकर गौरांग दास का कहना है कि हम टेक्नोलॉजी के खिलाफ नहीं हैं, न ही हम आधुनिकीकरण के खिलाफ हैं. हम डिजिटल के भी खिलाफ नहीं. मगर सवाल यह है कि कौन किसको नियंत्रित कर रहा है?
वहीं, वहीं, ईटीईआर9 के सीईओ हेनरिक जॉर्ज बताते हैं कि मेरे क्लोन की जरा कल्पना कीजिए. अगर मैं दुष्ट आदमी हूं तो मेरा डिजिटल वर्जन भी बुरे आदमी का ही होगा. लेकिन कुछ टूल्स और नियम-कायदे ऐसे हैं जो इसे दुरुस्त कर सकते हैं.
वाइरूट्स वेलनेस सॉल्यूशंस के संस्थापक सजीव नायर के मुताबिक जब हम चीजों के अधिकतम उपयोग की बात कर रहे हैं तो बात सिर्फ शरीर की नहीं हो रही. बात शरीर, मस्तिष्क और मन की हो रही है...आज की टेक्नोलॉजी की मदद से आप उम्दा काम कर सकते हैं.