भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में कहा कि रूस यूक्रेन के साथ जारी युद्ध में नई दिल्ली के कूटनीतिक संतुलन की सराहना करता है. उन्होंने साफ किया कि रूस नई दिल्ली की मध्यस्थता नहीं चाहता लेकिन भारत की लगातार अमन की वकालत तारीफ के काबिल है.
इंडिया टुडे ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर राज चेंगप्पा के संचालन में 'नेविगटिग जियोपॉलिटिकल शिफ्ट्स’ शीर्षक वाले सत्र में अलीपोव ने यूक्रेन की नाटो सदस्यता पर 'लाल रेखा’ खींची और ऐलान किया, ''हमें ऐसा यूक्रेन चाहिए जो हमारे लिए कोई खतरा पैदा न करे.’’
उन्होंने क्रीमिया पर रूस के दावों पर जोर दिया, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की वैधता से इनकार किया और युद्ध को लंबा खिंचने के लिए पश्चिम को दोषी ठहराया. अलीपोव ने कहा कि रूस ने यूक्रेन में अपने रणनीतिक उद्देश्यों को सुरक्षित कर लिया है और बातचीत के लिए किसी तरह की जल्दबाजी में नहीं है. अलीपोव ने यह भी कहा कि अलबत्ता मॉस्को बातचीत को तैयार है, लेकिन यूक्रेन और उसके पश्चिमी हिमायती अड़े हुए हैं.
उन्होंने ट्रंप सरकार के दूसरे कार्यकाल पर कहा, ''अपने पूर्ववर्तियों के मुकाबले मौजूदा अमेरिकी प्रशासन का नजरिया यूरोप में टकराव रोकने का सही संकेत जता रहा है.’’ अलीपोव ने संकट में इजाफे के लिए नाटो के विस्तार को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि यूक्रेन का युद्ध अभियान ''नाटो और दूसरे पश्चिमी समर्थकों’’ पर निर्भर था, समर्थन अगर नहीं होता तो युद्ध खत्म हो जाता.
उन्होंने व्यापार के मामले में भारत से आग्रह किया कि वह पश्चिमी देशों से हतोत्साहित किए जाने के बावजूद आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के अवसर का लाभ उठाए. अलीपोव ने हाल ही में मॉस्को से पांचवीं पीढ़ी के एसयू-57 लड़ाकू विमानों के सह-उत्पादन की पेशकश के बारे में बात की, ''यह भारत के लिए बहुत ही आकर्षक सौदा है.’’ भारत-चीन संबंधों के संदर्भ में रूस की स्थिति पर अलीपोव ने कहा, ''हम भारत और चीन के बीच विश्वास बहाली के पक्ष में हैं. हम किसी का पक्ष नहीं लेना चाहते.’’
इसके आगे डेनिस अलीपोव ने कहा कि भारत ने हमेशा शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया है और हम इसे बहुत अहमियत देते हैं. उन्होंने ये भी कहा कि हम यूक्रेन के साथ किसी भी शांतिपूर्ण वार्ता के बिना आगे बढ़ सकते हैं. हम इस युद्ध को जीत रहे हैं.