दुनिया और इस इलाके में लगातार उथल-पुथल के बीच सशस्त्र बलों की तैयारियों के बारे में विशेषज्ञ अक्सर अपनी राय जाहिर करते रहे हैं. मगर इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2025 में श्रोताओं को यह सब थल सेना, वायु सेना और नौसेना के प्रमुखों के मुखारविंद से सुनने को मिला, जब उन्होंने भारत के उभरते सुरक्षा परिदृश्य के बारे में बेहद अहम और गहरी जानकारी दी.
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सैन्य और सामरिक मिलीभगत की तरफ ध्यान दिलाते हुए आगाह किया कि दो मोर्चों पर युद्ध का खतरा वास्तविक है. सीमा-पार आतंकवाद का लगातार खतरा चिंता का सबब बना ही हुआ है, और कश्मीर में हालांकि स्थानीय भर्तियों में कमी आई है लेकिन पाकिस्तान अभी भी भड़काऊ करतूतों से बाज नहीं आ रहा. मारे गए आतंकवादियों में 60 फीसद पाकिस्तानी नागरिकों से यह स्पष्ट है.
जनरल द्विवेदी ने चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत की सतर्कता की तस्दीक की और कहा कि डेपसांग और डेमचोक सरीखे टकराव के ठिकानों पर सेनाओं के पीछे हटने में सुधार आया है. उन्होंने कहा कि आधुनिक युद्ध अनवरत 'ग्रे जोन’ (युद्ध और शांति के बीच का क्षेत्र) के टकराव में बदल गया है, जिसमें भारत लगातार 'न युद्ध, न शांति’ की अवस्था में है और 'ढाई मोर्चों’ की चुनौती का सामना कर रहा है. उन्होंने अग्निवीर भर्ती योजना को 'बड़ी कामयाबी’ करार दिया.
भारतीय वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल ए.पी. सिंह ने हवाई युद्ध क्षमताओं को आधुनिक बनाने की तत्काल जरूरत की तरफ इशारा किया. उन्होंने भारत की तरफ से अमेरिका से एफ-35 स्टेल्थ लड़ाकू विमान खरीदने की अटकलों को खारिज कर दिया और स्पष्ट किया कि कोई औपचारिक पेशकश नहीं की गई है.
चीन की तरफ से छठी पीढ़ी के विमानों का परीक्षण करने और अमेरिका की तरफ से एफ-16 विमान बेड़े के रखरखाव के लिए पाकिस्तान को धन की मंजूरी देने के बारे में उन्होंने नवीनतम टेक्नोलॉजी के मामले में फासला जल्द से जल्द पाटने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा, ''फिलहाल हम ही हैं जो नई टेक्नोलॉजी के पीछे भाग रहे हैं.
हमें ऐसे पायदान पर पहुंचने की जरूरत है जहां हम दूसरों को बताने की स्थिति में हों और भारत में बनी ऐसी टेक्नोलॉजी हासिल कर पाएं.’’ उन्होंने भारत के पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के विकास को तेज करने पर भी जोर दिया. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि तब तक भारत को स्वदेशी बदलावों के साथ बने-बनाए लड़ाकू विमान खरीदने पड़ सकते हैं.
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने यूक्रेन-रूस युद्ध से सबक लेते हुए इस धारणा को खारिज कर दिया कि आधुनिक टकराव छोटे और निर्णायक होंगे. उन्होंने बताया कि टेक्नोलॉजी को अपने हिसाब से ढालकर और बाहरी समर्थन के बूते यूक्रेन ने किस तरह अपने से ताकतवर प्रतिद्वंद्वी को ललकारा. उन्होंने जोर देकर कहा कि आपूर्ति शृंखलाओं में व्यवधान और भूराजनैतिक गठबंधनों में बदलावों से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर सैन्य निर्भरता के खतरे सामने आए हैं.
उन्होंने आत्मनिर्भरता पर और तेजी से अमल का आग्रह करते हुए भारत की सामरिक समुद्री स्वतंत्रता पक्की करने के लिए खासकर नौसैन्य क्षमताओं में टेक्नोलॉजी की तेज रफ्तार प्रगति का आह्वान किया. भारत के सैन्य नेतृत्व का संदेश दोटूक था: भारत सुरक्षा खतरों और टेक्नोलॉजी की कमियों से घिरा है, रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता समय की मांग है.ठ्ठ
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ने कहा, ‘‘हमें (अमेरिकी एफ35 का) विश्लेषण करने की जरूरत है, हमारी जरूरतें क्या हैं और क्या-क्या चीजें उसके साथ आती हैं. लागत उसका एक हिस्सा है. हमने इसके बारे में सोचा नहीं है. अभी तक कोई पेशकश नहीं की गई है.’’
थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, ‘‘भारत 'न युद्ध, न शांति’ वाली अवस्था में है, और युद्ध की सभी पांचों पीढ़ियों की चुनौती इसके सामने है: खाई, परोक्ष, पैंतरेबाजी, संकर और एआइ युद्ध.’’ साथ ही उन्होंने कहा कि हमें पाक-चीन के बीच गहरी सांठगांठ को स्वीकार करना होगा.
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा, ‘‘यह सिर्फ आत्मनिर्भर होने का मामला नहीं; बात इसकी है कि हम कितना जल्दी आत्मनिर्भर होते हैं. हमें टेक्नोलॉजी को अपनाने की रफ्तार को तेज करना चाहिए ताकि अपनी नौसेना की क्षमताओं को बढ़ा पाएं.’’
खास बातें
भारत 'ढाई मोर्चे’ की चुनौती से दो-चार है. पाकिस्तान और चीन के बीच की मिलीभगत 100 फीसद वर्चुअल क्षेत्र में है. भारत के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की परियोजना में तेजी लाना तत्काल बेहद जरूरी है. तब तक भारत को बने-बनाए लड़ाकू विमान खरीदने पड़ सकते हैं.
युद्ध के समय सप्लाइ चेन में बाधा और बदलते गठबंधन बताते हैं कि विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर सैन्य निर्भरता कितनी जोखिम भरी है.
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