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पेरिस ओलंपिक्स 2024 में मीराबाई चानू से सोने की वजनदार उम्मीद

ओलंपिक से महज कुछ हफ्ते पहले मीराबाई को अभी पूरे जोर-शोर से रियाज शुरू करना है पर उनका कहना है कि कोच विजय शर्मा ने पूरी योजना बना रखी है

मीराबाई चानू
मीराबाई चानू
अपडेटेड 29 जुलाई , 2024

मीराबाई चानू, 29 वर्ष
खेल: वेटलिफ्टिंग 49 किग्रा
उपलब्धि: 2020 ओलंपिक में रजत पदक
कैसे क्वालिफाइ किया: इस अप्रैल फुकेट में आइडब्ल्यूएफ विश्व कप में 184 किलो वजन उठाकर

मासिक धर्म से जुड़ी तकलीफों से जूझते हुए 2021 में उन्होंने तोक्यो ओलंपिक में समूचे देश की उम्मीदों का वजन उठाया और पदकों के प्यासे देश को रजत पदक दिया. मगर एक साल बाद उन्हें अपने शरीर जितना यानी 49 किग्रा वजन उठाने में भी मुश्किल आई.

व्हीलचेयर से बंधा भविष्य मीराबाई को ताक रहा था. देश ने 2024 के पेरिस ओलंपिक में पदक की उम्मीदें दूसरों पर टिका दीं. मगर मीराबाई ने हार नहीं मानी. खालिस इच्छाशक्ति और पक्के इरादे के बूते वे यह पटकथा बदलने को तैयार हैं.

मीराबाई के दशक भर लंबे करियर में दर्द हमेशा साथी रहा, चाहे कमर में चोट हो, कंधे या फिर कलाई में. बोगोटा में 2022 विश्व चैंपियनशिप से कुछ दिन पहले मीराबाई की कलाई में चोट लग गई. दर्द के बावजूद उन्होंने वहां रजत (विश्व चैंपियनशिप का अपना दूसरा पदक) जीता. 2023 के हांगझू एशियाई खेलों में मुकाबले के दौरान वे कूल्हे में चोट लगा बैठीं.

परिस्थितियों और मौसम के हिसाब से ढलने को पेरिस पहुंच चुकीं मीराबाई ने वहां से इंडिया टुडे को बताया, "दर्द बहुत भीषण था. मैं फ्री स्क्वैट भी नहीं कर सकी. यकीन नहीं था कि आराम करने से दर्द चला जाएगा. दिमाग कई सवालों से घिरा था." पांच महीने खेल से बाहर रहने के बाद अप्रैल में फुकेट में हुए विश्व कप में उन्होंने एक और वापसी की और कुल 184 किलो वजन उठाकर पेरिस का टिकट पक्का कर लिया.

ओलंपिक से महज कुछ हफ्ते पहले मीराबाई को अभी पूरे जोर-शोर से रियाज शुरू करना है पर उनका कहना है कि कोच विजय शर्मा ने पूरी योजना बना रखी है. छोटे कद की वेटलिफ्टर कहती हैं, "मैं इस वक्त अपने शीर्ष पर हूं. पटियाला (ओलंपिक कैंप) में मैंने अपने सामान्य लोड के 80-85 फीसद तक जोर लगाया...यहां पेरिस में हम पूरी ताकत लगा देंगे."

इसका मतलब है मुश्किल अखाड़े में मेडल के लिए 200 किलो से ज्यादा वजन उठाना, जहां कम से कम चार वेटलिफ्टर यही करने की होड़ कर रहे होंगे. तोक्यो में मीराबाई ने अपने झुमके शान से दिखाए थे. रजत जीतने के बाद इनाम में टैटू बनवाया. वे कहती हैं, "मणिपुरी में हम मां को 'ईमा’ कहते हैं. यही मैंने अपनी बांह पर गुदवाया." देश यह देखने को बेताब है कि अपने तीसरे ओलंपिक और दूसरे पदक की तैयारी में जुटी यह ईमा टैटू वाली लड़की क्या कमाल करेगी.

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