
पुरुष टीम खेल: हॉकी
उपलब्धि: टोक्यो 2020 ओलंपिक में कांस्य
कैसे क्वालिफाई किया: 2022 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर
पूरा देश 5 अगस्त, 2021 को खुशी से झूम उठा था. सभी ने राहत की सांस ली, एक भारी बोझ जो दिल से हट गया था. हॉकी के ओलंपिक मेडल का 41 साल लंबा इंतजार आखिरकार खत्म हुआ था. भारत के शानदार कारनामों और दबदबे के किस्से सुनकर पीढ़ियां जवान हुईं.
आठ ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने का वह ऐतिहासिक रिकॉर्ड अब तक नहीं टूटा है. गोलकीपर 36 वर्षीय पी.आर. श्रीजेश कहते हैं, "टोक्यो तक हमने उन कामयाबियों के बारे में सुना था. फिलहाल शिखर के नजदीक भी नहीं थे, हाथ में कभी मेडल नहीं देखा था."
टोक्यो में उस सुबह सब बदल गया. मौजूदा कप्तान और कांस्य विजेता टीम का हिस्सा रहे 28 वर्षीय हरमनप्रीत सिंह कहते हैं, "हमने हॉकी को प्यार और सम्मान मिलते देखा." उस टीम के 11 खिलाड़ी पेरिस जा रहे हैं. उनका खाली हाथ लौटने का इरादा कतई नहीं है.
श्रीजेश कहते हैं, "आप कामयाबी का स्वाद चख लेते हैं, तो आपको पता होता है कि दोबारा ऐसा करने और लक्ष्य हासिल करने के लिए क्या करना है." सिंह भी कहते हैं, "अच्छा प्रदर्शन करने और पदक लेकर आने का दबाव तो है. आप बेहतर करना चाहते हैं. आपको लगातार जीतना होता है."

टोक्यो ओलंपिक ने इस राष्ट्रीय खेल के साथ आम प्रशंसकों के रिश्ते को फिर जिला दिया. भारतीय हॉकी की जानकारी रखने वालों के लिए यह घटना क्षणिक कामयाबी नहीं थी, बल्कि इसकी पटकथा उस मील का पत्थर साबित हुए पूरे साल लिखी गई थी. खासकर जब ओडिशा सरकार ने हॉकी को बढ़-चढ़कर सहारा देना शुरू किया. जमीनी स्तर पर विकास में निवेश किया.
नवीनतम सुविधाओं से लैस स्टेडियम बनाए. ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों की मेजबानी की. वीडियो एनालिसिस सरीखी वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता शामिल की गई. इस सबसे खेल को बढ़ाने में मदद मिली. 22 साल से टीम इंडिया के सदस्य श्रीजेश इस सबके गवाह रहे हैं. वे कहते हैं, "साजो-सामान बदला, नियम बदले, जगह और दर्शक बदले, खेल खेलने की रफ्तार बदली."
जुलाई की शुरुआत में सदस्यों के बीच मजबूत रिश्तों और तालमेल की गतिविधियों के लिए टीम स्विट्जरलैंड और फिर ट्रेनिंग कैंप के लिए नीदरलैंड गई. उससे पहले भारतीय खेल प्राधिकरण के बेंगलुरु केंद्र पर उन्होंने उत्साह से भरे माहौल में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना के साथ गहन प्रशिक्षण लिया.
सिंह कहते हैं, "खाना खाने के बाद बेड ही दिखता है. हरेक प्लेयर एक दूसरे को पुश कर रहा है, चाहे कंडीशनिंग हो, रिकवरी या जिम में... हर कोई पहल कर रहा है, भले ही हम थके हों, हम जानते हैं कि पदक जीतते ही यह सारा दर्द दूर हो जाएगा."

श्रीजेश ने बताया कि कैसे वे हरमनप्रीत के बेहद खौफनाक ड्रैग फ्लिक बचा रहे थे, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा. वहीं कप्तान ने बताया कि उन्होंने दो बार के एफआईएच गोलकीपर ऑफ द ईयर को कैसे कुछेक बार चकमा दिया. इस यशस्वी जोड़ी के कंधों पर अक्सर उम्मीदों का खासा बोझ है. सिंह कहते हैं, "आप पर इतना भरोसा और विश्वास किया जाता है कि आपको मैदान के भीतर और बाहर नजीर कायम करनी होती है और रोज-रोज सुधार लाना होता है."
कोच क्रैग फुल्टन ने पेरिस के लिए ऐसी टीम जोड़ी है जिसमें खिलाड़ियों से इतना लचीला होने की उम्मीद की जाती है कि जरूरत पड़ने पर दो पोजीशन कवर कर सकें. इसका मतलब है कि अनुभवी और आम तौर पर मिडफील्ड में सेंटर-हाफ मनप्रीत सिंह डिफेंस में खेलते हैं; सिंह डिफेंड करते हैं और सेंट्रल ड्रैग-फ्लिकर भी हैं और उपकप्तान हार्दिक सिंह, जो 2023 के एफआईएच मेन्स प्लेयर ऑफ द ईयर भी हैं, गोलकीपर को छोड़कर सभी पोजीशन में देखे जा सकते हैं.
अपने चौथे ओलंपिक में हिस्सा ले रहे श्रीजेश टीम की धुरी और विपक्षी टीम का दुस्वप्न हैं. दो दशकों से अपनी पोजीशन पर बने रहने की उनकी क्षमता लाजवाब है. श्रीजेश कहते हैं, "गोलकीपर एक भी गलती करता है तो वह दिखाई देती है. जीतना या हारना उसके हाथ-पैरों में है. मैं हमेशा कल से बेहतर होने की कोशिश करता हूं. मैं टीम की जिम्मेदारी लेता हूं. मुझे हमेशा लगता है कि मेरी गलती के कारण टीम और देश न भुगते." बीते पांच साल में उन्होंने शिकायत के लिए ज्यादा कुछ नहीं छोड़ा.
भारत की क्रिकेट टीम के हाथों आईसीसी विश्व कप का 13 साल लंबा इंतजार खत्म होने के बाद एक वायरल संदेश में इस इत्तेफाक की तरफ इशारा किया गया कि विश्व कप जीतने वाली हर टीम में एक 'मल्लू' होता है. इस मामले में संजू सैमसन. हॉकी टीम के 'मल्लू' श्रीजेश ने संदेश देखा और कांटे का फाइनल मुकाबला भी.
वे कहते हैं, "हम हमेशा दूसरे खेलों से सीखने की कोशिश करते हैं. इससे हमने सीखा कि एक ओवर, एक पल (काफी है), और हमने उनसे जीत छीन ली." ओलंपिक में नीली जर्सी वाली भारतीय टीम भी ऐसे ही कारनामे की उम्मीद करेगी.