
वह 2019 के लोकसभा चुनाव का दौर था. प्रचार जोरों पर था. तब अमेठी से भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने वादा किया था कि अगर वे चुनाव जीतीं तो अमेठी में घर बनाएंगी. 2021 में केंद्रीय मंत्री स्मृति ने अमेठी के गौरीगंज में 15,000 वर्ग फुट का भूखंड खरीदा और इस साल 22 फरवरी को वहीं गृह प्रवेश का आयोजन किया (राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के इस इलाके से गुजरने से कुछेक दिन पहले). अटकलें हैं कि राहुल यहां से फिर चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में देखना बाकी है कि ईरानी के लिए नया घर कितना शुभ साबित होगा?
अपरिहार्य अफसर
अपने खासमखास नौकरशाहों के लिए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन किसी भी हद तक जा सकते हैं. ताजा मिसाल प्रधान मुख्य सचिव के.एम. अब्राहम को तरक्की देकर कैबिनेट रैंक का दर्जा देने की है. मुख्य सचिव के पद से रिटायर हुए इस 65 वर्षीय नौकरशाह ने मुख्यमंत्री कार्यालय फिर जॉइन कर लिया. उनके पास केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) का अतिरिक्त प्रभार भी है. 1982 बैच के इस आईएएस अधिकारी को राज्य में सबसे ताकतवर नौकरशाह माना जाता है. बतौर सेबी सदस्य उन्होंने सहारा घोटाले की जांच की थी. यह पहली बार है कि किसी नौकरशाह को केरल में कैबिनेट रैंक दी गई. नेता उनके कैबिनेट दर्जे से रश्क कर रहे हैं, वहीं अफसरों को नया करियर लक्ष्य मिल गया है.
एक प्रदेश अध्यक्ष महोदयों का
राजस्थान में स्पीकरों को लेकर चहुंओर चर्चा है. मौजूदा विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी आक्रामक हैं मगर उन्होंने अपने पहले सत्र का प्रबंधन अच्छे से किया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पीएम नरेंद्र मोदी से खूब तारीफें मिली हैं और वे राज्य की राजनीति में एक बड़े खिलाड़ी भी हैं. हालांकि अभी वे थोड़े फिक्रमंद होंगे क्योंकि उनके चुनाव क्षेत्र कोटा-बूंदी से भाजपा विधानसभा की चार सीटें हार गई. कभी नेतृत्व में बदलाव की बात आई तो वे मुख्यमंत्री पद की दौड़ में भी हैं. जहां तक राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का सवाल है, प्रदेश में उनकी हर आधिकारिक यात्रा कानाफूसी का सबब बनती है.
पांच लाख से जीतोगे?

इस बार पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने अनौपचारिक तौर पर गुजरात के लिए लक्ष्य रखा है कि ऐसे उम्मीदवारों को ही चुनाव में उतारना जो कम से कम 5 लाख वोटों के अंतर से जीतें. राज्य के कई लोकसभा सांसद अब टिकट कटने को लेकर आशंकित हैं. ऐसे लोग अब प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटील से दो वजहों से बार-बार मिल रहे हैं. पहली कि उनके टिकट पर आंच न आए और दूसरे यह कि वे बड़ी मार्जिन से जीत के गुर सीखना चाह रहे हैं. पाटील 2014 में 5.58 लाख तो 2019 में 6.89 लाख वोटों से लोकसभा चुनाव जीते थे.
रामायण की बिहार तर्ज
फरवरी की 12 तारीख को नीतीश कुमार के विश्वासमत पर बोलते हुए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री को ऐसा राजा दशरथ बताया था जिन्होंने अपने बेटे राम को बनवास दे दिया. उन्होंने 'कैकेयी' का भी जिक्र किया जिसने नीतीश के कान भरे और राजद-कांग्रेस से नाता तोड़ने को उकसाया. 25 फरवरी को तेजस्वी ने बिहार की रामायण को नया मोड़ देते हुए पटना में पत्रकारों से कहा कि ऐसी तीन-चार कैकेयी और एक मंथरा है. वे बोले, "मुख्यमंत्री को उनसे छुटकारा पाना चाहिए वरना वक्त आने पर हम उन्हें बेनकाब करेंगे."