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कृतज्ञता: खुशी की चाबी

शांति और संतोष असली खुशी की बुनियाद हैं और आपके पास जो है, उसकी अहमियत समझने से ही ये हासिल हो सकती हैं

कैसे खोजें खुशी...
कैसे खोजें खुशी...
अपडेटेड 14 फ़रवरी , 2022

जया रो

खुशी हमारे रवैये पर निर्भर करती है. हम क्या देख रहे हैं—वह जो हमारे पास है या वह, जो हमारे पास नहीं है? आपके पास अपार भौतिक संपदा हो, लेकिन अगर आप उन दो-एक चीजों पर ही ध्यान देते हैं जो आपके पास नहीं हैं, तो आप दुखी होंगे. भारतीय मिथक कथाओं में सुदामा के पास कुछ नहीं था, फिर भी वे ऐसे रहते थे जैसे उनके पास सब कुछ है.

जिंदगी की कुछ सबसे बेशकीमती चीजें हमें मुफ्त मिलती हैं—ऑक्सीजन जिससे हम सांस लेते हैं, शानदार पारिवारिक रिश्ते या अच्छी सेहत. जिस क्षण आपको एहसास होता है कि आपके पास इतना कुछ है, आप उस अज्ञात शक्ति के प्रति कृतज्ञता से भर जाते हैं जिसने ये सब चीजें आप पर न्योछावर की हैं और फिर खुशी अपने आप चली आती है.

हमें यह याद रखना चाहिए कि जिंदगी में हमें वही मिलता है, जिसके हम हकदार होते हैं, वह नहीं जो हम चाहते हैं. हकदार हम उसी के होते हैं जो अतीत में हमने अपने कर्मों से कमाया है.

कैसे खोजें खुशी...

आपके पास जो है उस पर ध्यान दें. यह एहसास आपको कृतज्ञता की तरफ ले जाता है और आपके मन को शांति और संतोष की अवस्था में लाता है. जब आपका मन संतुष्ट और शांत होता है, आपकी बुद्धि तीक्ष्ण हो जाती है और आप साफ-साफ सोच पाते हैं. इससे आप अपना सर्वश्रेष्ठ बाहर ला पाते हैं और इस तरह जिंदगी में कहीं ज्यादा हासिल करते हैं. संतुष्ट होने का मतलब यह नहीं कि आप कोई आकांक्षा ही न करें.

दें. देने का वास्तविक कृत्य ही नहीं, उससे पहले देने का विचार मात्र आपको खुशी से भर सकता है. आप भावनाएं, प्रेम, सरोकार, ज्ञान और अनुकंपा दे सकते हैं. जब आप देते हैं, तो हासिल करते हैं. जब आप झपटते हैं, तो गंवा देते हैं. यही हमने समझा नहीं. इसीलिए हम लेने वाले हैं, देने वाले नहीं.

खुद को नवाजी गई पांच चीजें लिखकर दिन शुरू करें. ईश्वर में आपका भरोसा हो या न हो, उस शक्ति को जरूर महसूस करें जिसने आपको इतनी सारी चीजों से नवाजा है.

बच्चों को देने का आनंद सिखाएं. वे बड़े होकर सफल, संतुष्ट और सानंद वयस्क बनेंगे! यह कहने के बजाए कि खूब अच्छा करो ताकि खूब धन कमा सको, बच्चों को सिखाएं कि लोगों की सेवा कैसे करें. इससे उन्हें सच्ची खुशी मिलेगी. ठ्ठ

जया रो आध्यात्मिक गुरु और वेदांता विजन की संस्थापिका हैं
(अदिति पै से बातचीत पर आधारित)  

मुझे किस चीज से खुशी मिलती है

''खुशी मेरे लिए मन:स्थिति है. यह सांसारिक लाभ पर आधारित नहीं है. मुझे सबसे ज्यादा खुशी तब होती है जब हमारे काम से दूसरे लोगों को आनंद मिलता है. महामारी के दौरान खुशी के विचार में काफी बदलाव आया है. आज हमारे विचारों की गुणवत्ता हमारी भौतिक संपत्ति से ज्यादा अहमियत रखती है क्योंकि खुशी का स्वामित्व हासिल नहीं किया जा सकता या उसे किसी बक्से में नहीं रखा जा सकता—जब हम जीवन के हर क्षण को आशा, शिष्टता, कृतज्ञता और विनम्रता के साथ महसूस करते हैं तो यह सांस लेकर खिलती है''

हर्षवर्धन नेवतिया, चेयरमैन, अंबुजा नेवतिया ग्रुप

खुशी की तलाश: खुशियां बिखेरने की इंडिया टुडे ग्रुप और आरपीजी ग्रुप की साझा पहल है

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