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सामाजिक सरोकारः मददगार हाथ

टचस्क्रीन टेक्नोलॉजी के जरिए यूजर बताता है कि वह कहां जाना चाहता है और व्हीलचेयर उसे अपने आप चलते हुए वहां ले जाती है.'' इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में टीम को नौ महीने लगे.

बहुत काम-का मोटर से लैस सेल्फ-ई व्हील चेयर
बहुत काम-का मोटर से लैस सेल्फ-ई व्हील चेयर
अपडेटेड 18 मार्च , 2020

अक्षमता से ग्रस्त लोगों तक आधुनिक टेक्नोलॉजी पर आधारित यंत्रों की अनुपलब्धता उनके लिए बड़ी समस्या है. अमृता विश्व विद्यापीठम यूनिवर्सिटी, अमृतापुरी के कुछ छात्रों ने 2017 में मोटर से लैस कम लागत की व्हीलचेयर बनाने का मन बनाया. संस्था की ह्यूमैनिटैरियन टेक्नोलॉजी लैब्स के डायरेक्टर प्रोफेसर राजेश कन्नन मेगालिंगम की अगुआई में इंजीनियरिंग के तीन छात्रों—रवितेजा चिंटा, अखिल राज और सरत श्रीकांत—ने एक प्रोटोटाइप तैयार किया.

टेक्नोलॉजी से संचालित

इस व्हीलचेयर का नाम सेल्फ-ई रखा गया और इसमें स्वचालित प्रणाली है. अमृता टीबीआइ के डायरेक्टर कृष्णश्री अच्युतन बताते हैं, ''यह लेजर सेंसर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके आसपास का विस्तृत नक्शा तैयार करती है. टचस्क्रीन टेक्नोलॉजी के जरिए यूजर बताता है कि वह कहां जाना चाहता है और व्हीलचेयर उसे अपने आप चलते हुए वहां ले जाती है.'' इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में टीम को नौ महीने लगे. उन्होंने व्हीलचेयर के लिए एल्गोरिद्म विकसित करने की खातिर रोबोट ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया. सेल्फ-ई तीन अलग-अलग मोड में काम करती है—ऑटोमैटेड, फिक्स्ड-ऑटोमैटेड और मैन्युअल.

आगे का काम

प्रोजेक्ट को यूनिवर्सिटी ने फंड दिया. सेल्फ-ई का परीक्षण और मूल्यांकन अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में किया गया है. अच्युतन कहते हैं, ''हमने अब एक स्टार्ट-अप मेगारा रोबोटिक्स बनाया है और अमृता टीबीआइ से निवेश हासिल किया है.'' व्हीलचेयर ने दो पेटेंट प्राप्त किए और इसे दो अवॉर्ड मिल चुके हैं: वन मोमेंट रोबोट ग्लोरी कंपीटिशन, सिंगापुर में बेस्ट मैकेनिकल डिजाइन और आइईईई स्टुडेंट एंटरप्राइज अवॉर्ड, न्यू जर्सी, अमेरिका.

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