scorecardresearch

ताकतवर-रसूखदारः साधु की शक्ति

स्वामी अवधेशानंद गिरि देश ही नहीं, विदेशों में भी भारतीय दर्शन और वैदिक सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं. उनका मानना है कि सभी धर्म एक जैसा संदेश ही देते हैं. जलवायविक और भौगोलिक भिन्नता से तरीके और साधन अलग हो सकते हैं.

स्वामी अवधेशानंद गिरि
स्वामी अवधेशानंद गिरि
अपडेटेड 23 अक्टूबर , 2019

स्वामी अवधेशानंद गिरि

57 वर्ष महामंडलेश्वर, जूना अखाड़ा

क्योंकि वे इस समय साधुओं के समस्त अखाड़ों में सबसे बड़े और करीब चार लाख साधुओं वाले जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर, हरिद्वार के प्रतिष्ठित भारत माता मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और देश के समस्त आचार्यों की सर्वोच्च संस्था 'आचार्य सभा' के सभापति भी हैं. देशभर में लगने वाले कुंभ जैसे बड़े मेलों में वे कथावाचन भी करते रहे हैं. धर्मपरायण हिंदू उन्हें आदर देते हैं. हिंदू धर्म के मर्म के वे विशेष जानकार माने जाते हैं

क्योंकि उनके अखाड़े में उनसे मुलाकात के लिए देश के सभी प्रभावशाली लोग, केंद्रीय मंत्री और नेता अक्सर दिखाई देते रहते हैं. देश के शक्तिशाली लोगों, मशहूर हस्तियों और अभिनेताओं के गुरु भी हैं. वे राम मंदिर अभियान से भी जुड़े हैं इसलिए उनके विचारों का काफी महत्व है

क्योंकि वे युवा पीढ़ी से जुडऩे के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. उनके फेसबुक पेज पर उनके विचार उपलब्ध हैं और लाखों की संख्या में उनके फॉलोवर भी हैं

धर्म का विचार

स्वामी अवधेशानंद गिरि देश ही नहीं, विदेशों में भी भारतीय दर्शन और वैदिक सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में लगे हुए हैं. उनका मानना है कि सभी धर्म एक जैसा संदेश ही देते हैं. जलवायविक और भौगोलिक भिन्नता से तरीके और साधन अलग हो सकते हैं.

Advertisement
Advertisement