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कूड़े-कचरे का कुशल प्रबंधन

कुल कचरे में से 50 फीसदी प्लास्टिक, 40 फीसदी कागज और बाकी कांच, रबड़, धातु और कपड़े होते हैं. नेप्रा एक जीरो वेस्ट-टू-लैंडफिल कंपनी है

शैलेश रकवल
शैलेश रकवल
अपडेटेड 7 अक्टूबर , 2019

वाटर वॉरियर

विजेता-वाटर लिटरेसी फाउंडेसन (डब्ल्यूएलएफ) और अयप्पा मसागी

जीत की वजह- डब्ल्यूएलएफ की अखिल भारतीय पहल ने किसानों को जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने में मदद की है

भारत में सूखा कचरा प्रबंधन व्यवसाय में एक अग्रणी नाम संदीप पटेल, चार शहरों— अहमदाबाद, इंदौर, पुणे और जामनगर में प्रति दिन 560 मीट्रिक टन सूखे कचरे का प्रसंस्करण करके उससे कागज, प्लास्टिक पाइप, घरेलू सामान, कचरा बैग, धातु और सीमेंट आदि उद्योगों के लिए कच्चा माल बनाते हैं.

कई अन्य परियोजनाएं जो शुरू होने वाली हैं उनमें बृहन्मुंबई महानगरपालिका के साथ 600 मीट्रिक टन प्रति दिन के सूखे कचरे के प्रबंधन के लिए एक समझौता प्रमुख है. इसके अलावा, पटेल की नेप्रा रिसोर्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड का वर्तमान में टर्नओवर 110 करोड़ रुपए है. उसके अगले तीन साल में 1,000 करोड़ रुपए के आंकड़े को छूने की उम्मीद है.

पटेल की विशेषज्ञता कूड़ा बीनने वालों और सूखे कचरे की छंटाई करने वाली असंगठित जनशक्ति के प्रबंधन, बुनियादी ढांचे के निर्माण की है. उनके दो साझेदारों में से एक ध्रूमिन पटेल कचरा संग्रह और संचालन का प्रबंधन करते हैं, जबकि दूसरे रवि पटेल बिक्री और व्यावसायिक गतिविधियां देखते हैं.

कुल कचरे में से 50 फीसदी प्लास्टिक, 40 फीसदी कागज और बाकी कांच, रबड़, धातु और कपड़े होते हैं. नेप्रा एक जीरो वेस्ट-टू-लैंडफिल कंपनी है.

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