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समग्र विकास की शानदार गाथा

विकास के मामले में तमिलनाडु सबसे ऊंचे पायदान पर रहा और असम तेजी से उसके करीब पहुंच रहा है. इंडिया टुडे के राज्यों की दशा और दिशा कॉन्क्लेव में इस बार शानदार प्रदर्शन करने वाले राज्यों के मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट मंत्री भी मौजूद रहे

चंद्रदीप कुमार
चंद्रदीप कुमार
अपडेटेड 5 दिसंबर , 2018

उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने नई दिल्ली में 22 नवंबर को इंडिया टुडे के राज्यों की दशा और दिशा कॉन्क्लेव में कहा, ''भारत तेज गति से विकास कर रहा है. लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि देश की 20 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन बिता रही है और उनमें से 20 प्रतिशत निरक्षर हैं. आज देश के सामने ये चुनौतियां हैं और विकास के जरिए ही उनसे निबटा जा सकता है.'' उपराष्ट्रपति ने सबसे उम्दा प्रदर्शन करने वाले और सबसे ज्यादा प्रगति करने वाले राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पुरस्कारों का वितरण किया. नायडू ने राजनीतिक नेताओं से अपील करते हुए कहा कि सभी राजनीतिक पार्टियों को देश के विकास के लिए मिल-जुलकर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा, ''वे शत्रु नहीं हैं, वे केवल राजनीतिक विरोधी हैं.

राजनीतिक और विचारधारागत मतभेदों के बावजूद केंद्र और राज्य को भारत के विकास और उसकी समृद्धि के लिए आपस में सहयोग करते हुए काम करना चाहिए.'' पिछले एक वर्ष में अपनी विदेश यात्राओं को याद करते हुए नायडू ने कहा कि भारत की वृद्धि को अब दुनिया के अन्य देश भी स्वीकार कर रहे हैं. उन्होंने कहा, समय की मांग है कि स्थानीय निकायों को प्रोत्साहित करके विकास की प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत किया जाए. उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, तीन एफ, का फॉर्मूला सुझाया. उपराष्ट्रपति ने कहा, ''हमें अपने स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना चाहिए और उन्हें फंड, फंक्शन और फंक्शनरीज मुहैया कराना चाहिए.

स्थानीय निकाय जमीनी स्तर पर विकास को अंजाम देते हैं.'' नायडू ने किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए कर्जमाफी और मुफ्त बिजली जैसे अल्पकालिक समाधानों की आलोचना करते हुए राजनेताओं को इनसे बचने के लिए कहा. उन्होंने कहा, ''मुफ्त में रेवडिय़ां बांटने से आप लोकप्रियता भले हासिल कर सकते हैं लेकिन इनसे राज्य कंगाल हो जाएंगे. किसानों को चौबीसों घंटे बिजली मिलनी चाहिए लेकिन मुफ्त में नहीं.'' गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने कभी भी मुफ्त बिजली का प्रलोभन नहीं दिया, इसके बावजूद वे राज्य में तीन बार सत्ता में आए.

उपराष्ट्रपति ने इंडिया टुडे के राज्यों की दशा और दिशा कार्यक्रम की भी प्रशंसा की क्योंकि राज्यों के विकास के सूचकांक को मापने की दिशा में यह एक सकारात्मक और रचनात्मक प्रयास है. उन्होंने मीडिया से अपील की कि वह सिक्किम में आर्गेनिक खेती की सफलता जैसी विकास की खबरों को बढ़ावा दे ताकि किसानों को इनसे प्रेरणा मिल सके. उन्होंने इस बात के लिए लताड़ लगाई कि मीडिया के एजेंडे में विकास की खबरें नदारद होती हैं जबकि 'विकास की खबरें भी मसालेदार' हो सकती हैं. उन्होंने कहा, ''विचारों को खबरों के रूप में दिखाया जाता है, यह नहीं होना चाहिए.'' एक पंक्ति के अपने कटाक्षों के लिए मशहूर नायडू ने उन लोगों को सलाह दी जो सार्वजनिक जीवन में सफलता पाना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ''अगर आपके अंदर ग्लैमर, ग्रामर और ह्यूमर (हास्यबोध) है तो 'रियुमर (अफवाह) के लिए कोई गुंजाइश नहीं रहेगी. इनमें से कोई एक गुण पर्याप्त नहीं होगा. आपके अंदर इन तीनों का समन्वय होना चाहिए.''

पुरस्कार जीतने वाले चार मुख्यमंत्रियों—तमिलनाडु के इडप्पडी के. पलानीस्वामी, असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी, और पुदुच्चेरी के वी. नारायणसामी—ने विकास के अपने मंत्र को साझा किया. इस अवसर पर असम की सब्जियां सीधे दुबई और लंदन में बेचने और कच्छ के गुजरात का सिंगापुर बनकर उभरने जैसी मिसालें देखने को मिलीं. कॉन्क्लेव में पुरस्कार जीतने वाले राज्यों के 16 मंत्री और दर्जन भर से ज्यादा नौकरशाह उपस्थित रहे.

तमिलनाडु के 64 वर्षीय मुख्यमंत्री  पलानीस्वामी ने अपने राज्य, जिसे समग्र रूप से उम्दा प्रदर्शन करने वाला राज्य पाया गया था, में विकास के 'अनोखे' मॉडल का खुलासा किया. उन्होंने कहा, ''व्यापार के अनुकूल बनाने के बावजूद यहां कल्याणकारी योजनाओं पर ध्यान देने के साथ आर्थिक मदद दी जाती है.'' उन्होंने बताया कि तमिलनाडु की कल्याणकारी योजनाएं ''विशेष जरूरतों को पूरा करती हैं.'' उनका कहना था कि लैपटॉप की योजना ने राज्य में डिजिटल विभाजन को कम कर दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा, ''कुछ लोग सोचते हैं कि तमिलनाडु की कल्याणकारी योजनाएं लोकलुभावन हैं. लेकिन वास्तविकता यह है कि ये योजनाएं काफी लोकप्रिय हैं.'' पलानीस्वामी ने बताया कि किस तरह तमिलनाडु की कल्याणकारी योजनाओं को राष्ट्रीय मॉडल के तौर पर अपनाया गया और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भी इनकी प्रशंसा की. मुख्यमंत्री ने कहा, ''ये दूरदर्शी और बहुआयामी योजनाएं हैं जिनका असर सीधे गरीबी के स्तर को कम करने पर पड़ता है.'' उन्होंने कई मोर्चों पर तमिलनाडु की तरक्की और उपलब्धियों का उल्लेख किया जिनमें से 'नया प्रयोग आधारित' अर्थव्यवस्था की मिसाल एक थी. यह एक ऐसी पहल है जो ''देश में सर्वश्रेष्ठ शिक्षित और कुशल कार्यशक्त'' में से एक है.

हाल के वर्षों में असम की तरक्की के लिए मुख्यमंत्री सोनोवाल ने प्रधानमंत्री मोदी की 'बेमिसाल राजनैतिक इच्छाशक्ति' को श्रेय दिया. उनका दावा था कि असम आजादी के समय भारत का पांचवां सबसे समृद्ध राज्य हुआ करता था लेकिन पिछले सात दशकों में पिछली सरकारों की उपेक्षा के कारण राज्य की हालत खस्ता होती गई और वह सामाजिक और आर्थिक प्रगति के सूचकांकों में बहुत नीचे पहुंच गया. सोनोवाल ने कहा, अब मोदी ने पूर्वोत्तर के भीतर और बाहर परिवहन और दूरसंचार को बेहतर बनाने पर 'विशेष जोर' दिया है. पिछले साढ़े चार वर्षों में मोदी इस इलाके में करीब 30 दौरे कर चुके हैं और अपने मंत्रियों और अधिकारियों को समय-समय पर भेजते रहे हैं. उन्होंने कहा, ''प्रधानमंत्री ने निजी तौर पर बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को लागू किए जाने पर नजर रखी है. उन्होंने 'ऐक्ट ईस्ट' नीति को एक वरदान बताया जो पूर्वोत्तर में व्यापार, पर्यटन और निवेश को बढ़ाएगा और दक्षिण एशिया के साथ हमारे संबंधों के लिए इस क्षेत्र को महत्व दिलाएगा.''

गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी ने भी कहा कि मोदी ने उनके राज्य को तरक्की की राह दिखाई थी और मौजूदा सरकार तो बस उस रास्ते का अनुसरण भर कर रही है. उन्होंने कहा, ''2001 में कच्छ में आए भूकंप ने पूरे राज्य को लगभग तबाह कर दिया था. हमें लगा था कि यह राज्य अब विकास और वृद्धि के मामले में 20 वर्ष पीछे चला जाएगा. लेकिन गुजरात की जनता ने साहस दिखाया और हम उठकर खड़े हो गए. गिरकर उठना हमारी ताकत रही है.'' मुख्यमंत्री ने बताया, ''तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी ने मार्ग का नेतृत्व किया. उन्होंने राह दिखाई, जिसका अनुसरण हम आज तक कर रहे हैं.

उनके सामने ढेरों चुनौतियां आईं लेकिन वे उनसे निबटने में सफल रहे. गुजरात के लोगों ने प्रयत्न किया और अपने राज्य को यहां तक पहुंचाया.'' गुजरात के लिए भविष्य की योजना के बारे में उन्होंने कहा, ''हम एक परिकल्पना लेकर आगे बढ़ रहे हैं. इसीलिए चुनौतियों के बावजूद हम निवेश आकर्षित करने, निर्यात बढ़ाने और बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने में बेहतरीन काम करने में सफल रहे हैं. हमारे यहां एक समावेशी संस्कृति और एक समावेशी अर्थव्यवस्था है, जिस पर हमें गर्व है.''

पुदुच्चेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी के मुताबिक उनका छोटा राज्य बहुत सुंदर है और इस राज्य ने विकास के हर क्षेत्र में उल्लेखनीय तरक्की की है. उपराज्यपाल किरण बेदी, जिनके साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा रहा है, पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, ''कुछ लोग मुझसे पूछते हैं कि यह सब मैंने कैसे किया. मैं उन्हें बताता हूं कि मैंने प्रधानमंत्री के दफ्तर में ट्रेनिंग ली थी. कुछ लोग विकास चाहते हैं तो कुछ लोग विनाश चाहते हैं. आपको दोनों से निबटना होता है.''

नारायणसामी ने देश की राजधानी में भी विषैली हवा का उल्लेख किया. उन्होंने कहा, ''दिल्ली हवा के प्रदूषण से परेशान है. हमारे यहां हवा तो शुद्ध है क्योंकि हमारे यहां प्रदूषण न करने वाले उद्योग हैं.'' मुख्यमंत्री ने बताया कि उनके राज्य ने किस तरह शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अधिक विकास क्यों किया है. उन्होंने कहा, ''हमने 15 साल पहले 100 प्रतिशत साक्षरता हासिल कर ली थी. हमारे यहां 18 इंजीनियरिंग कॉलेज, आठ मेडिकल कॉलेज और कई अन्य महत्वपूर्ण संस्थान हैं.''

इंडिया टुडे का राज्यों की दशा और दिशा का आकलन सबसे पहले 2003 में शुरू किया गया था. भारतीय राज्यों के कामकाज के मूल्यांकन की यह अपने तरह की एक अलग प्रक्रिया है और राज्यों के आर्थिक, सामाजिक और पारिस्थितिक स्वास्थ्य पर इसके आकलन को अंतिम वाक्य माना जाता है. सरकारी और अन्य प्रामाणिक स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों पर आधारित इस अध्ययन का उद्देश्य विभिन्न श्रेणियों में राज्यों के कामकाज का आकलन करना है. 2018 का अध्ययन प्रमुख रिसर्च एजेंसी मार्केटिंग ऐंड डेवलपमेंट रिसर्च एसोसिएट्स (एमडीआरए) ने किया था.

इस अध्ययन में 31 राज्यों को आबादी और भूगोल के हिसाब से बड़े और छोटे राज्यों में विभाजित किया गया था. 35,000 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र और पांच करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्यों को बड़े और बाकी को छोटे राज्यों में रखा गया था. राज्यों की रैंकिंग दो श्रेणियों में की गई है—सर्वश्रेष्ठ कामकाज वाले राज्य और सबसे तेजी से प्रगति करने वाले राज्य. सर्वश्रेष्ठ कामकाज वाली श्रेणी में, राज्य के सबसे ताजा प्रदर्शन—एक श्रेणी में विशिष्ट और ताजा आंकड़ों पर आधारित—का आकलन किया जाता है. सबसे तेजी से प्रगति वाली श्रेणी में पिछले पांच वर्षों में राज्य में तरक्की—नतीजों पर आधारित सकारात्मक परिवर्तन के आधार पर—आकलन किया जाता है. राज्यों के प्रदर्शन की परख 13 श्रेणियों में की जाती है. ये श्रेणियां हैं-समग्रता, अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून-व्यवस्था, शासन, समावेशी विकास, उद्यमशीलता, पर्यावरण, स्वच्छता और पर्यटन.

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