कवि और नोबल पुरस्कार विजेता साहित्यकार रबीन्द्रनाथ टैगोर ने एक बार ताज महल का वर्णन करते हुए लिखा था, 'एक अश्रुमोती... समय के गाल पर, सदा सर्वदा के लिए'. ताज महल का आज जो हाल हो गया है उसे देखकर आंखों में आंसू आ जाएंगे.
दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत को महफूज रखने की लंबी लड़ाई लड़ रहे वकील एम.सी. मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को हाल ही में ताज महल के बारे में जो जानकारियां दीं, वे चिंता में डालने वाली हैं- ताज को बचाने के लिए हम अगर गंभीर न हुए तो हो सकता है कि जल्द ही यह खंडहर में तब्दील हो जाए.
इमारत में दरारें दिखने लगी हैं. मीनारें झुकने लगी हैं. दीवारों से पत्थर और दूसरी चीजें झड़कर अक्सर गिर पड़ती हैं. पानी और हवा में बेहिसाब जहर घुल गया है जिसका नतीजा है कि संगमरमर की सफेदी अब हल्के पीले से लेकर भूरे रंग तक में तब्दील हो रही है.
आसपास के इलाके में अवैध अतिक्रमण बहुत ज्यादा है, सीसीटीवी काम नहीं करते और ताज के आसपास के सारे नाले जाम हो चुके हैं. और ताज की देखभाल करती आई यमुना मर रही है जिससे मकबरे की बुनियाद पर गंभीरत खतरा मंडरा रहा है.
नदी की गंदगी में पैदा होने वाले कीड़े लाखों की तादाद में इमारत पर जाकर बैठते हैं उसे गंदा कर रहे हैं. ऐसा लगता है मानो पत्थर पर लिखी सदाबहार गजल अब बीमारियों का घर बन गई है.
''आप ताज को बंद कर सकते हैं. आप चाहें तो इसे ध्वस्त भी कर सकते हैं. आप चाहें तो इससे पल्ला भी झाड़ सकते हैं.'' मेहता की अर्जी पर सुनवाई करते हुए ताज महल को लेकर सुप्रीम कोर्ट की बेंच की यह हताशापूर्ण टिप्पणी 'दुनिया के इस महान आश्चर्य' की दुर्दशा और उसके संरक्षण को लेकर लापरवाही की सारी कहानी कह देती है.
दुनिया के अन्य प्रसिद्ध स्मारकों को भी संरक्षण से जुड़ी ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. शहर की सड़कों पर दौड़ती गाड़ियों के धुएं से रोम स्थित कोलोसियम पर भी कालिख की एक मोटी परत चढ़ गई थी और इसे बदहाली से उबारने के लिए तीन साल तक जीर्णोद्धार प्रयास हुए. तब जाकर हाल ही में इसे पुनः व्यवस्थित किया गया है.
ताज जैसी विश्व धरोहरों की निगरानी करने वाली संस्था युनेस्को, स्मारकों की वर्तमान स्थिति को बनाए रखने के लिए, खासतौर से पर्यटकों की भारी संख्या के कारण इमारतों पर जो दबाव बनता है उसके सही प्रबंधन के लिए, एक एकीकृत प्रबंधन योजना की सिफारिश करती है जिसका उचित तरीके से क्रियान्वयन होना चाहिए.
बहरहाल ताज की परेशानी महज इसे नजरअंदाज करने से कहीं बढ़कर है. हम पर्यावरण और अपनी विरासत की हिफाजत को लेकर किस कदर बेरुखी रखते हैं, यह उसकी कहानी भी है.
ताज कहता है कि हममें तो पर्यटन की अपनी अपार संभावनाओं का इस्तेमाल करके पैसे कमाने की सही काबिलियत भी नहीं है. भारत में पिछले साल एक करोड़ सैलानी आए थे. सिंगापुर, जिसके पास ताज का दूर-दूर तक मुकाबला करने के काबिल एक इमारत भी नहीं है, वहां 17 लाख सैलानी आए थे.
इस विशेष अंक में कार्यकारी संपादक दमयंती दत्ता द्वारा तैयार आवरण कथा 'ताज को बचाना है' में यह रेखांकित करने का प्रयास किया गया है कि खस्ताहाल कचरा प्रबंधन, प्रदूषण, कीट-पतंगों और पर्यटकों की बेतहाशा भीड़, विश्व के इस महान आश्चर्य के लिए कैसे विडंबनाओं का सबब बन चुकी है और इसका अस्तित्व खतरे में है.
यह गलतियों, तन्द्रा, उपेक्षा, कुप्रबंधन के अपराधों, अदूरदर्शिता और साफ तौर पर लापरवाही की एक दुखद कहानी है. यह वह स्मारक है जिसके साथ दुनिया, भारत को जोड़कर देखती है.
अक्सर जब आप किसी को बताते हैं कि आप भारत से हैं, तो वे स्वतः ही बोल पड़ते हैं- जहां 'ताज महल' है. ताज 370 वर्षों तक भारत के कई शासकों, प्राकृतिक आपदाओं और युद्धों को सफलतापूर्वक झेल गया.
जैसे भारत के दूसरे स्मारक नष्ट हो रहे हैं उसी तरह नष्ट होने के लिए हम 'विश्व के इस महान आश्चर्य' को नष्ट होने के लिए कैसे छोड़ सकते हैं? मैंने दर्जनों बार ताज का दीदार किया है और हर बार यह मुझे अचंभित कर देता है. हम उस पीढ़ी के लोग नहीं बन सकते जो इस महान स्मारक की सुंदरता को यूं ही नष्ट हो जाने देंगे.
इस सप्ताह से इंडिया टुडे ग्रुप अपने सभी प्लेटफॉर्म पर #SaveTheTaj अभियान लॉन्च करेगा.
हर हफ्ते, हम इससे जुड़ी एक बड़ी समस्या को सबके सामने रखेंगे. मैं आप सभी से इस अभियान में शामिल होने का आग्रह करता हूं. हम इस शानदार इमारत की हिफाजत कैसे कर सकते हैं, इस पर अपने विचार हमें भेजें.
यह एक अद्भुत धरोधर है जिसे हमें संरक्षित करना होगा. अगर हम ऐसा नहीं करते, तो यह दुनिया हमें माफ नहीं करेगी.
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