मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल मध्य भारत का प्रमुख शहर है. यह शहर एक ओर जहां अपनी प्राकृतिक छटा के लिए जाना जाता है वहीं लोग अब इसे रहने के लिए एक आदर्श ठिकाना भी मान रहे हैं.
लगभग 16 लाख की आबादी वाले इस शहर की आबोहवा सबको लुभाती रही है. अब यह शहर इंडस्ट्रियल क्षेत्र में भी अपनी धमक बढ़ा रहा है. भोपाल के गोविंदपुरा और मंडीदीप में उद्योगों के जरिए हर साल लगभग 10,000 करोड़ रु. से अधिक का उत्पादन हो रहा है.
अकेले मंडीदीप से ही 8,000 करोड़ रु. का निर्यात किया जा रहा है. यहां बसे ल्युपिन और प्रॉक्टर एंड गैंबल जैसे बड़े उद्योग बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं. मंडीदीप स्थित एचईजी का प्लांट देश का प्रमुख इलेक्ट्रोड प्लांट है.
पिछले एक साल में शहर ने तेजी से विकास किया है. इस कड़ी में देश का सबसे लंबा बीआरटीएस-‘‘माइ बस’’ भी शामिल है. इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले साल 27 सितंबर को की थी. 24 किलोमीटर लंबे इस बस कॉरिडोर के जरिए प्रतिदिन हजारों लोग अपने ठिकानों पर पहुंच रहे हैं.
बीता साल स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी शहर के लिए अच्छा रहा क्योंकि प्रतिष्ठित संस्थान एम्स ने भी यहां काम शुरू कर दिया है. अब आस-पास शहरों के लोगों को सस्ता और अच्छा इलाज नजदीक ही मिल जाएगा, इसके लिए उन्हें किसी महानगर की ओर जाने की जरूरत नहीं होगी. शिक्षा के क्षेत्र में भोपाल पहले से ही अपना सिक्का जमा चुका है. शहर में 150 इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज हैं.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव कहते हैं, ‘‘सरकार की कोशिश हमेशा से पूरे प्रदेश के विकास की रही है. लेकिन राजधानी होने की वजह से भोपाल पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, जिसके नतीजे भी दिख रहे हैं. भोपाल में हो रहा विकास साफ नजर आता है.
शहर की सड़कें और निर्माणाधीन फ्लाइओवर इसके गवाह हैं. प्रदेश सरकार युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रही है. एम्स जैसा उच्च स्तरीय संस्थान अपना काम शुरू कर चुका हैं.’’
भोपाल को लॉजिस्टिक सेवाओं के हिसाब से आदर्श शहर कहा जा सकता है. इसीलिए सस्ती विमानन सेवा एयर एशिया एयरलाइंस भोपाल में मध्य भारत का हब बनाना चाहती है. एयरलाइंस के अधिकारियों की सरकार से कई दौर की चर्चा हो चुकी है. कई और विमानन कंपनियां भी यहां पर निवेश करना चाहती हैं.
उन्हीं कंपनियों को आकर्षित करने के लिए विमान ईंधन पर वैट कम कर दिया गया है. पहले 23 प्रतिशत वैट लगता था जिसे घटाकर अब 5 प्रतिशत कर दिया गया है. तालाबों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने 216 करोड़ रु. की एक योजना तैयार की. इससे भूजल स्तर बनाए रखने में मदद मिलेगी.
शहर के विकास में भागीदार गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल क्षेत्र के उद्यमी रोजगार के सृजन के लिए सरकार से और उदार होने की मांग करते हैं. उद्योगपति योगेश गोयल कहते हैं, ‘‘गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया के ज्यादातर उद्योगपति अपनी क्षमता बढ़ाना चाहते हैं लेकिन इसके लिए जमीन उपलब्ध नहीं है. यह बड़ी समस्या है.’’ लेकिन असल मायने में विकास तभी सफल माना जाएगा जब शहर में अपराध के बढ़ते ग्राफ पर अंकुश लगाया जाएगा.
शहर एक नजर
ताकतः शहर में राष्ट्रीय स्तर के एम्स और लगभग 150 इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज हैं. रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए आदर्श जगह है.
कमजोरीः फ्लाइट कनेक्टिविटी सभी शहरों के लिए नहीं है. इंडस्ट्रियल क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी. शहर में अपराध का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है.
संभावनाएं: मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं तो भारी निवेश हो सकता है और रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं.
अकेले मंडीदीप से ही 8,000 करोड़ रु. का निर्यात किया जा रहा है. यहां बसे ल्युपिन और प्रॉक्टर एंड गैंबल जैसे बड़े उद्योग बड़ी तादाद में लोगों को रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं. मंडीदीप स्थित एचईजी का प्लांट देश का प्रमुख इलेक्ट्रोड प्लांट है.
पिछले एक साल में शहर ने तेजी से विकास किया है. इस कड़ी में देश का सबसे लंबा बीआरटीएस-‘‘माइ बस’’ भी शामिल है. इसकी शुरुआत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले साल 27 सितंबर को की थी. 24 किलोमीटर लंबे इस बस कॉरिडोर के जरिए प्रतिदिन हजारों लोग अपने ठिकानों पर पहुंच रहे हैं.
बीता साल स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी शहर के लिए अच्छा रहा क्योंकि प्रतिष्ठित संस्थान एम्स ने भी यहां काम शुरू कर दिया है. अब आस-पास शहरों के लोगों को सस्ता और अच्छा इलाज नजदीक ही मिल जाएगा, इसके लिए उन्हें किसी महानगर की ओर जाने की जरूरत नहीं होगी. शिक्षा के क्षेत्र में भोपाल पहले से ही अपना सिक्का जमा चुका है. शहर में 150 इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज हैं.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रमुख सचिव मनोज श्रीवास्तव कहते हैं, ‘‘सरकार की कोशिश हमेशा से पूरे प्रदेश के विकास की रही है. लेकिन राजधानी होने की वजह से भोपाल पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, जिसके नतीजे भी दिख रहे हैं. भोपाल में हो रहा विकास साफ नजर आता है.
शहर की सड़कें और निर्माणाधीन फ्लाइओवर इसके गवाह हैं. प्रदेश सरकार युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रही है. एम्स जैसा उच्च स्तरीय संस्थान अपना काम शुरू कर चुका हैं.’’
भोपाल को लॉजिस्टिक सेवाओं के हिसाब से आदर्श शहर कहा जा सकता है. इसीलिए सस्ती विमानन सेवा एयर एशिया एयरलाइंस भोपाल में मध्य भारत का हब बनाना चाहती है. एयरलाइंस के अधिकारियों की सरकार से कई दौर की चर्चा हो चुकी है. कई और विमानन कंपनियां भी यहां पर निवेश करना चाहती हैं.
उन्हीं कंपनियों को आकर्षित करने के लिए विमान ईंधन पर वैट कम कर दिया गया है. पहले 23 प्रतिशत वैट लगता था जिसे घटाकर अब 5 प्रतिशत कर दिया गया है. तालाबों के संरक्षण के लिए प्रदेश सरकार ने 216 करोड़ रु. की एक योजना तैयार की. इससे भूजल स्तर बनाए रखने में मदद मिलेगी.
शहर के विकास में भागीदार गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल क्षेत्र के उद्यमी रोजगार के सृजन के लिए सरकार से और उदार होने की मांग करते हैं. उद्योगपति योगेश गोयल कहते हैं, ‘‘गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया के ज्यादातर उद्योगपति अपनी क्षमता बढ़ाना चाहते हैं लेकिन इसके लिए जमीन उपलब्ध नहीं है. यह बड़ी समस्या है.’’ लेकिन असल मायने में विकास तभी सफल माना जाएगा जब शहर में अपराध के बढ़ते ग्राफ पर अंकुश लगाया जाएगा.
शहर एक नजर
ताकतः शहर में राष्ट्रीय स्तर के एम्स और लगभग 150 इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज हैं. रिटायरमेंट के बाद रहने के लिए आदर्श जगह है.
कमजोरीः फ्लाइट कनेक्टिविटी सभी शहरों के लिए नहीं है. इंडस्ट्रियल क्षेत्र में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी. शहर में अपराध का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है.
संभावनाएं: मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएं तो भारी निवेश हो सकता है और रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं.