scorecardresearch

हैदराबाद विस्फोट: कौन है इस दहशतगर्दी का सरगना?

बम धमाकों का आदी यह शहर जब भी एक सामान्य जिंदगी की तरफ लौटता है, किसी नए धमाके से दहशत फैल जाती है.

अपडेटेड 11 मार्च , 2013

शहर अभी-अभी मानो किसी नींद से जागा है. गुरुवार की शाम हुए भयानक बम धमाकों से हैदराबाद सहमा हुआ है. चारमीनार खामोश है. हालांकि दिलसुख नगर से धुंआ हट चुका है, लेकिन पुलिस बैरिकेड के भीतर पड़े खून के छींटे अभी पूरी तरह सूखे नहीं हैं. अचानक एक बम फटा और कुछ ही पल पहले लोगों की आवाजाही, खरीदारी करती औरतों, दौड़ते-भागते बच्चों, चमचमाती दुकानों और रौशनियों से गुलजार दिलसुख नगर काली लपटों में धू-धू कर जलने लगा. क्या इंसान, क्या दुकान, सबकुछ कचरे के ढेर में तब्दील हो गए. अब हादसा गुजर चुका है, लेकिन अपने पीछे छोड़ गया है ढेर सारे सवाल. आखिर कौन है इन धमाकों के पीछे?

इस आतंकी हमले में 17 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 124 लोग घायल हैं. हमले से पहले आतंकियों ने शहर के बारे में काफी  जानकारियां जुटाई थीं. मसलन, जहां विस्फोट हुए, वह हैदराबाद का सबसे व्यस्त इलाका है, जहां दिनभर भीड़ लगी रहती है. पहला धमाका वेंकातादरी थिएटर के पास हुआ और कुछ ही मिनटों बाद दूसरा धमाका दिलसुखनगर क्रॉस रोड के पास हुआ, जहां कोणार्क थिएटर है और यहां काफी भीड़भाड़ रहती है.hyderabad blast

दिलसुखनगर व्यावसायिक और शिक्षण संस्थानों का केंद्र है. बम धमाके उस वक्त हुए, जब छात्रों सहित बड़ी संख्या में लोग अपने घर जा रहे थे और थिएटर सहित खाने-पीने की दुकानों पर लोगों की भीड़ जमा थी.

पहला धमाका होने पर अफरातफरी और भगदड़ मच गई. लोग कुछ समझ पाते, इसके बाद ही दूसरा धमाका हो गया. धुंआ छंटने में थोड़ा वक्त लगा. तब कहीं जाकर लोगों ने देखा कि मर चुके और मरणासन्न स्थिति में लोग यहां-वहां पड़े हुए हैं. पुलिस को यह पता लगाने में ज्यादा वक्त नहीं लगा कि दोनों बम आइईडी थे और उन्हें साइकिल में फिट किया गया था. इन बमों में टाइमर लगा था और दोनों के फटने के समय में बस कुछ ही मिनटों का अंतराल था.

जांच एजेंसियों की अब तक की तफ्तीश से जो तस्वीर उभरकर आई है, उसके मुताबिक इस खूनी हमले के पीछे इंडियन मुजाहिदीन (आइएम) का हाथ होने की आशंका जाहिर की जा रही है. सूत्रों के मुताबिक लश्कर के फ्रंट ऑर्गेनाइजेशन इंडियन मुजाहिदीन ने इस धमाके के लिए सिमी से जुड़े स्थानीय लोगों की मदद ली थी. सूत्रों के मुताबिक खून की यह होली अचानक नहीं खेली गई. हैरानी की बात तो यह है कि आंध्र प्रदेश पुलिस को यह पहले से पता था कि शहर में आतंकी हमले होने की आशंका है और इसके लिए आतंकियों ने कम-से-कम तीन माह पहले यहां रेकी भी की थी. आइएम के पकड़े गए आतंकी सैयद मकबूल उर्फ जुबेर ने पिछले साल अक्तूबर में खुलासा किया था कि हैदराबाद के दिलसुखनगर, बेगम बाजार और अब्दीस आतंकियों के निशाने पर हैं.

सवाल यह है कि मकबूल के खुलासे के बाद आखिर पुलिस सचेत क्यों नहीं हुई? ऐसे किसी भी हमले के मद्देनजर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए गए, जबकि यह खुलासा खुद आइएम के एक प्रमुख आतंकी ने किया था. पुणे सीरियल ब्लास्ट में आरोपी मकबूल ने मुंबई पुलिस के जांचकर्ताओं को यह भी बताया था कि उसने अपने साथियों को आतंकी हमलों में इस्तेमाल की जाने वाली इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस बनाने का प्रशिक्षण दिया था.

जांच एजेंसियों के शक की सुई के आइएम की ओर मुडऩे की दो खास वजहें हैं. पहला बम बनाना और दूसरा उसे लगाना. अब तक की जांच से यह तय है कि बम में अमोनियम नाइट्रेट, फ्युअल ऑयल और टाइमर का इस्तेमाल किया गया था. साथ ही दोनों बमों को साइकिल में रखे टिफिन बॉक्स में प्लांट किया गया था. आइएम इसके पहले भी 2008 में दिल्ली और जयुपर में हुए बम धमाकों में साइकिल का इस्तेमाल कर चुका है. उसने इन दोनों ब्लास्ट की जिम्मेदारी भी ली थी. जांच एजेंसियों का मानना है कि आइएम के आका रियाज भटकल ने जून, 2012 में आतंकवादी इमरान और अकरम के साथ एक और शख्स को हैदराबाद के दिलसुख नगर इलाके की रेकी करने के लिए भेजा था. इमरान वही शख्स है, जिसने पुणे के बेस्ट बेकरी बम ब्लास्ट को अंजाम दिया था. इस बीच सुरक्षा एजेंसियां महाराष्ट्र के अहमद नगर और नांदेड़ में अपनी टीम भेजकर आइएम के पुराने संपर्कों को खंगालने की कोशिश कर रही हैं. उम्मीद है कि वहां से कुछ अहम सुराग मिल सकते हैं. सुराग तलाशने में जुटी सुरक्षा एजेंसियों का शक आइएम को लेकर तब और भी गहराया, जब धमाके से तीन दिन पहले आइएम के एक भगोड़े सदस्य असदुल्लाह अबरार के मुंबई में होने का पता चला. उस पर 10 लाख रु. का इनाम भी घोषित किया गया है.

आइएम पर शक की सुई घूमने के साथ सवालों की उंगली सरकार और पुलिस की तरफ भी घूमती है कि इस बात की जानकारी होने के बावजूद कि दिलसुखनगर सहित हैदराबाद के कई इलाके आतंकियों के निशाने पर हैं, पुलिस ने इन जगहों की निगरानी बढ़ाने की कोशिश क्यों नहीं की? अजमल कसाब और अफजल गुरु की फांसी के बाद से ही पाकिस्तानी आतंकी संगठनों की ओर से लगातार बदला लेने की धमकियां मिल रही थीं. आइएम सहित इनमें से कई संगठनों के कट्टर समर्थक भारत में भी मौजूद हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी विस्फोट के बाद बताया कि आंध्र प्रदेश सहित सभी राज्यों में आतंकी हमलों की चेतावनी जारी की गई थी. चूंकि उनके गठबंधन सहयोगी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री उनके पास ही मौजूद थे, इसलिए शिंदे को यह कहना पड़ा कि यह चेतावनी स्थान या समय विशेष के लिए नहीं थी. आंध्र प्रदेश के डीजीपी दिनेश रेड्डी के मुताबिक, ‘‘नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी ने आंध्र प्रदेश सहित सभी राज्यों को महज सुझाव दिया था कि ऐसी कोई घटना हो सकती है.’’

हैदराबाद सरकार ने इस बीच आतंकियों से मुकाबला करने के लिए ऑक्टोपस नाम के विशेष बल का गठन किया है. इसके लिए 30,000 पुलिसकर्मी भर्ती करने को भी मंजूरी मिल गई है. खुफिया विभाग में पुलिस काउंटर इंटेलीजेंस इकाई को भी मजबूत किया गया है, लेकिन इनमें कोई भी गुरुवार को दिलसुखनगर की सड़कों पर मासूमों का खून बहने से नहीं रोक पाया. हैदराबाद का पूरा माहौल दरअसल एक ज्वालामुखी की तरह हो गया है जो कभी-भी फट पड़ता है.

अब जांच एजेंसियां जांच में जुटी हैं और सरकार बयानों में. संसद में सरकार और विपक्ष एक-दूसरे के खिलाफ तीखी बयानबाजी कर रहे हैं. सब कह रहे हैं, आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा. कुछ ताकतें बदले की गुहार लगा रही हैं. लेकिन इन हमलों में मारे गए आम आदमी का परिजन सोचता है कि जिंदगी जब-जब थोड़ा-सा सुकून के रास्ते लौटने को होती है, दहशतगर्दी का एक बम फूटता है और फिर सब खत्म.

Advertisement
Advertisement