● उस्ताद जी, 19 मार्च से द स्टॉर्म नाम से शुरू हो रहे आपके महीने भर के अमेरिका दौरे में क्या खास रहने वाला है?
खास यही कि इस बार मेरा बेटा शाकिर खान मेरे साथ रहने वाला है. कई मंचों पर वह मेरे साथ दिखाई देगा. बहुत-सी जगहों पर हम इकट्ठे बजाएंगे. हर बार बेटे को आगे करूं, यह मेरा स्वभाव नहीं. उसे तैयार करके छोड़ दिया है. अब वह खुद को साबित करके दिखाए. अपनी जमीन हमने अपने बूते बनाई. लेकिन लोगों की बड़ी इच्छा थी कि उसे लेकर आऊं. उसके लिए भी सीखने वाला अनुभव होगा.
● शास्त्रीय संगीत में आपका पांच दशक का अनुभव है. आपको नहीं लगता कि अब आप अपना जिंदगीनामा लिखें?
देखिए, इस बारे में दबाव तो काफी पहले से था लेकिन अब जाकर काम शुरू हुआ है. मेरे शिष्यों के साथ कुछ और लोग इस पर लगे हैं. मेरी शर्त बस इतनी-सी है कि पांच दशक के मेरे अनुभव के साथ पूरी तरह से न्याय हो. वैसे भी अपने जीवन का सबक जिस तरह से मैं उन्हें बता रहा हूं, उसमें कुछ और करने की कहीं गुंजाइश नहीं मिलेगी.
● इसे पाठकों के हाथ में आने की उम्मीद कब तक की जाए?
दो साल का वक्त तो कम से कम लगेगा ही. मेरी व्यस्तता आप समझ सकते हैं. भारत और बाहर लगातार कंसर्ट्स में होता हूं. फिर आने वाली पीढ़ी को लेकर अपनी जिम्मेदारी का भी एक एहसास है इसीलिए स्पिकमैके को भी बराबर समय देता हूं. अभी पंद्रह दिन पहले ही छत्तीसगढ़ में स्कूली बच्चों के साथ था. पंडित रविशंकर की ऑटोबायोग्राफी का शीर्षक था माई म्यूजिक माई लाइफ. मेरे जिंदगीनामे का शीर्षक होगा म्यूजिक इज माई लाइफ, जो कि सच है. संगीत ही मेरा जीवन है.
● जैसा कि आपने भी कहा, स्टार कलाकारों को खाली समय मिलना मुश्किल होता है. लेकिन फुर्सत मिलने पर घर की दिनचर्या क्या होती है?
तब पूरी तरह घर पर होता हूं. पत्नी को समय देता हूं. शॉपिंग पर उनके साथ जाता हूं. घर को नजरअंदाज करके कोई भी संगीतकार सफल नहीं हो सकता.
—राजेश गनोदवाले.