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"मुझे शास्त्रीय संगीतकारों का पहनावा पसंद नहीं"

सितार पर ऋषभ शर्मा की महारत ने सोशल मीडिया पर उन्हें खासा पॉपुलर बना दिया. इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में इस 26 वर्षीय संगीतकार से बातचीत के कुछ अंश

ऋषभ शर्मा, संगीतकार
ऋषभ शर्मा, संगीतकार
अपडेटेड 27 मार्च , 2025

• सितार ने ऋषभ को पॉपुलर बनाया है या ऋषभ सितार को पॉपुलर बना रहे हैं?

दोनों बाते हैं. मैं गिटार बजाता था लेकिन सितार की ध्वनि ने, इसकी स्वाभाविक झंकार ने धीरे-धीरे मुझे अपनी ओर खींच लिया. इसमें छह मुख्य तार लेकिन 13 सहायक तार भी हैं जो किसी राग विशेष को छेड़ते हैं. सो, अगर आप एक स्वर बजाते हैं तो चार और तार उसके सात झंकृत होते हैं.

• आपके भीतर एक रैपर या रॉकस्टार मौजूद है?

मैं तो यही कहूंगा क्योंकि मैं किसी एक खास भारतीय शास्त्रीय इमेज से बंधकर नहीं रहना चाहता हूं. मेरा संगीत दरअसल मेरी शख्सियत का ही आईना है. मैं कैनी और प्लेबॉइ सरीखे रैपर्स को सुनता हूं. इसे लेकर मेरे भीतर कभी आग्रह-दुराग्रह नहीं रहा. हालांकि मेरे गुरुजनों का कहना होता था कि 'शास्त्रीय संगीत ही सुनो.'

• आप अक्सर ही शास्त्रीय संगीतकारों जैसी वेषभूषा में नहीं होते. क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि आप उस पीढ़ी को संगीत पेश कर रहे हैं जो उसके वायरल होने से उसकी कामयाबी तय करती है?

मुझे शास्त्रीय संगीतकारों का पहनावा पसंद नहीं. मुझे लगता था कि चलो उन लोगों के लिए 'उम्दा पोशाकों की एक फैशन लाइन शुरू करें.' मेरे हाथों की मेहंदी भी उसी की एक झलक है.

• शुद्धतावादियों की आलोचना से आप विचलित होते हैं?

शुद्धतावादी बेशक मेरी आलोचना करते हैं लेकिन अब वह सब मैंने स्वीकार कर लिया है. मेरा संगीत परंपरा से गहरे जुड़ा हुआ है. साजों के निर्माण के धंधे से जुड़ा रहा मेरा परिवार सुर बहार को जिंदा करने की कोशिश कर रहा है. और जब तक बच्चे गिटार की जगह सितार चुन रहे हैं, हमारे लिए यह जीत की तरह है.

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