पिछले साल हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत से लेकर संगठन में अपने अनुभव, कार्यशैली और नए दायित्व के लिए पूरी तरह सचेत रहने समेत कई विषयों पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इंडिया टुडे हिंदी के संपादक सौरभ द्विवेदी से बातचीत की. पढ़िए इसके प्रमुख अंश:
• पहले चुनाव में पांचवें नंबर पर रहने से लेकर अब मुख्यमंत्री बनने तक आपकी राजनैतिक यात्रा कैसी रही?
मैं पार्टी कार्यालय में कंप्यूटर पर काम करता था. तब कंप्यूटर पहली बार आया ही था. संगठन में रहकर विभिन्न पदों पर काम किया. मैंने युवा मोर्चे से काम शुरू किया था. युवा मोर्चा से किसान मोर्चा, फिर ओबीसी मोर्चा, उसके बाद विधायकी लड़ा. तब लोग कहते थे कि छोरा तो ठीक है लेकिन पार्टी का हिसाब-किताब नहीं है. मैं समझाता था कि आप लोग साथ आ जाएंगे तो वह भी बन जाएगा. और देखिए, 2014 में हिसाब बना तो आज भी बना ही हुआ है.
• अच्छा, यह बताइए, आपको अंदाजा था कि आप मुख्यमंत्री बनाए जा सकते हैं? कब मिली थी सूचना?
किसी तरह की कोई सूचना नहीं थी. मैं तो प्रदेश अध्यक्ष था तो जैसे सबको खबर मिली कि विधायक दल की बैठक है, उसमें आपको रहना है, वैसे ही मुझे भी बताया गया था. उसी बैठक में मुझे भी सबके साथ ही पता चला कि मुझे मुख्यमंत्री बना रहे हैं. पार्टी का निर्णय सभी को मान्य हुआ. यह भारतीय जनता पार्टी है जहां कार्यकर्ता की वैल्यू है. कांग्रेस या किसी भी दूसरे दल में यह कभी नहीं हो सकता था कि एक गरीब परिवार से आने वाले आम कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री का दायित्व मिले.
• पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और आपके स्वभाव की चर्चा होती है, कहा जाता है कि आप जिस विनम्रता से लोगों से मिलते हैं, ऐसी विनम्रता खट्टर में नहीं थी.
मनोहरलाल जी ने हरियाणा की राजनीति के मायनों को बदला है. 2014 से पहले हरियाणा में क्षेत्रवाद और भेदभाव अपने चरम पर था. जहां से सरकार का विधायक नहीं चुना जाता था, वहां के लोग जब समस्या लेकर मुख्यमंत्री के पास जाते थे तो कहा जाता था कि 'वोट तो दिया नहीं था आप लोगों ने'. लेकिन मनोहरलाल जी के समय में आप हरियाणा के एक कोने से दूसरे कोने तक समान विकास देखते हैं. ये होती है जनता की, और जनता के लिए राजनीति.
• यह कहा जा रहा है कि नायब सिंह सैनी सिर्फ चेहरा हैं, सरकार मनोहरलाल खट्टर और उनके खासमखास ब्यूरोक्रेट राजेश खुल्लर चला रहे हैं.
विरोधियों के पास आरोप लगाने को कुछ और तो है नहीं. भाजपा संगठन आधारित पार्टी है और यहां सबकी सब जगह सुनवाई है. पार्टी ने अगर सरकार की कमान मेरे हाथ में दी है तो सरकार चलाना मेरा ही दायित्व है. हमारे यहां विचार विमर्श की परंपरा रही है. मैं सभी से सलाह लेता हूं और भाजपा में किसी भी निर्णय से पहले कार्यकर्ता स्तर से लेकर पार्टी अध्यक्ष तक सभी से चर्चा करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाता है. इसलिए ऐसा दुष्प्रचार नहीं करना चाहिए. हालांकि विपक्ष खुद एकजुट नहीं हो पा रहा.
• क्या इसी एकजुट न हो पाने का फायदा भाजपा को मिला?
कांग्रेस परिवारवाद से ग्रसित पार्टी है. इनके बहुत सारे बड़े नेता हाशिए पर हैं. इस बार तो इन्हें यह लग रहा था कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार आ रही है. इसी चक्कर में इनके नेता इधर-उधर भी गए. हमने तो सबका सम्मान ही किया.
• लेकिन ब्यूरोक्रेट्स में दायित्व को लेकर आश्वस्ति नहीं है. संजीव कौशल से लेकर विवेक जोशी तक चीफ सेक्रेटरी क्यों नहीं टिक रहे हैं?
ऐसा नहीं है. विवेक जोशी जी हमारे हरियाणा कैडर के बहुत ही वरिष्ठ अधिकारी हैं. वे बहुत अच्छे अफसर हैं इसलिए चुनाव आयोग में उन्हें बुला लिया गया. विवेक जी अपने काम में बहुत गंभीर और बेहद ईमानदार अधिकारी हैं इसलिए जहां उनकी ज्यादा जरूरत समझी गई, वहां का दायित्व उन्हें मिला.
• अनिल विज और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के रिश्तों में कोई समस्या है?
विज साहब हमारी पार्टी के नेता हैं, हमारी सरकार के वरिष्ठ मंत्री भी हैं और हमें कुछ न कुछ उनसे सीखने को मिलता है. मैं तो एक कार्यकर्ता के तौर पर ही काम करता रहा हूं, जब मैं विधायक था तब भी और जब सांसद था तब भी. पार्टी का जो आदेश होता है उसे सभी स्वीकार करते हैं. तो उनके साथ ऐसा कोई विषय है नहीं, सब ठीक है.
• लेकिन आरोप लगे कि मुख्यमंत्री दफ्तर से साजिश रची जा रही थी कि अनिल विज चुनाव हार जाएं!
ऐसा नहीं था. जिस तरह का माहौल हरियाणा विधानसभा चुनाव (2024) में कांग्रेस ने बना दिया था, हमारे लिए तो हर एक सीट बहुत जरूरी थी. हर कोई कह रहा था कि कांग्रेस की सरकार बनेगी. लेकिन हम एक-एक सीट पर पार्टी का संदेश अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में लगे रहे. हरियाणा के इतिहास में पहली बार हुआ कि लगातार तीसरी बार सरकार बनी. हरियाणा में भाजपा के लगातार सरकार बनाने की वजहें हैं.
• और उन वजहों पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी क्या कहेंगे?
2014 से पहले हरियाणा में युवाओं को नौकरी के लिए 'पर्ची और खर्ची' का सहारा लेना पड़ता था. सिफारिशों के लिए नेताओं के यहां चक्कर लगाने पड़ते थे. लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में हमारी डबल इंजन की सरकार ने वह व्यवस्था बनाई कि आपको नौकरी बिना किसी पर्ची और खर्ची के मिलेगी. स्टार्ट-अप कल्चर से लेकर कौशल विकास तक भाजपा ने युवाओं के भविष्य निर्माण के लिए जबरदस्त काम किया है.
• हरियाणा चुनाव में भाजपा की 'लाडो बहना' योजना की घोषणा का क्या हुआ जिसमें कहा गया था कि सरकार में आए तो प्रदेश की बहनों को 2,100 रुपए देंगे. इस फाइल पर कब दस्तखत करेंगे नायब सिंह सैनी?
अभी हमने सौ दिन पूरे होने पर एक बुकलेट निकाली है. इसके बाद स्थानीय निकाय चुनाव के लिए आचार संहिता लग गई. हमने इस योजना की पूरी रचना बना ली है. अभी हमारा बजट सेशन है. इसी सेशन में हम इस योजना का प्रावधान करेंगे. विधानसभा चुनाव में हमारे 240 संकल्प थे जिनमें से 18 हमने पूरे कर भी दिए हैं. हरियाणा को नई बुलंदी पर देखना ही भाजपा का लक्ष्य है.
• क्या नायब सिंह सैनी के ऊपर मंत्रियों का दबाव है कि कर्मचारियों के तबादले और पोस्टिंग की पावर उन्हें दे दी जाए?
जो ट्रांसफर पॉलिसी हरियाणा में बनी है उसे पूरा देश फॉलो कर रहा है. अन्य राज्य भी हमारी पॉलिसी को अपने यहां लागू कर रहे हैं. अगर कोई कर्मचारी किडनी या हार्ट का पेशेंट है या उसे कैंसर है तो ऐसे मामलों में हमने छूट भी दी है. सभी मंत्री हमारे आदरणीय हैं और यह सिस्टम सभी के लिए मान्य है.
• लेकिन यह कौन सा सिस्टम है जो बलात्कार में सजायाफ्ता गुरमीत राम रहीम को राज्य सरकार की अनुशंसा पर हर महत्वपूर्ण चुनाव से पहले पैरोल मुहैया करवाता है?
देखिए, यह विषय हमारा नहीं. यह माननीय न्यायालय का विषय है. अदालत में वे अपनी एप्लिकेशन लगाते हैं और न्यायालय उस अर्जी का विश्लेषण करता है, रिपोर्ट लेता है. जिसका जो अधिकार बनता है वह उसे माननीय न्यायालय से मिलता है. अगर लगातार चुनाव चल रहे हैं तो यह अलग बात है. जो निर्णय है वह न्यायालय का है.
• हरियाणा पब्लिक सर्विस कमिशन के अभ्यर्थी शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें हर बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, कमिशन को और ज्यादा मुस्तैद होना चाहिए?
आपने बिल्कुल ठीक कहा है. कई बार जब अभ्यर्थी फॉर्म भर रहे होते हैं तो उनसे जानकारी भरते हुए छोटी-छोटी गलतियां हो जाती हैं. अब इसमें सुधार की प्रक्रिया यही है कि आपको कोर्ट में ही बताना पड़ेगा कि आपने जानकारी ठीक क्यों नहीं भरी. हमारे सामने भी चुनौती है कि जिस प्रकार से विपक्ष ने 'भर्ती रोको अभियान' चला रखा है, इसमें हर बार हमें कोर्ट से आदेश लेना पड़ता है.
• अनुसूचित जातियों के आरक्षण में 'उपवर्गीकरण' के आपके फैसले की सराहना हो रही है. हालांकि मायावती समेत बाकी विपक्षियों ने इसकी आलोचना की. इसे कैसे देखते हैं आप?
इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में धारा 370 जो मोदी जी ने समाप्त की, इसके बाद एक बहुत बड़ा वर्ग जिसे वोटिंग का अधिकार नहीं था, उसे वोटिंग का अधिकार मिला. हमारे देश का ही एक वर्ग जो वंचित था, उसे उसका अधिकार मिला. यहां पर भी जो वंचित समाज में अति-वंचित वर्ग था उसे माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार हमने लाभ दिया है, वह भी बिना किसी के अधिकार में कटौती किए हुए.