सोचिए, यह कितना आरामदेह होगा कि कोई जिम में घंटों पसीना बहाए बिना ही सिक्स-पैक एब्स पाने में सफल रहे. नई तकनीक और कम से कम चीर-फाड़ के साथ प्लास्टिक सर्जरी ऐसी ही क्रांति है जो एकदम खामोशी के साथ कम समय में अपनी काया को आकर्षक बनाने के लाखों लोगों के सपने को पूरा कर रही है.
दिल्ली के पंचशील पार्क स्थित लग्जरी एस्थेटिक्स एक ऐसा ही नॉन-सर्जिकल कॉस्मेटिक क्लिनिक है जहां आकर 42 वर्षीया गुंजन मल्होत्रा को समझ आया कि सफल व्यवसाय चलाने वाले अपने पति के साथ पार्टियों में शामिल होने के दौरान खूबसूरत दिखने के लिए इससे बेहतर विकल्प नहीं हो सकता.
गुंजन मल्होत्रा एक गृहिणी हैं, जिनकी सास को वसा घटाने के लिए सर्जरी कराने के बाद सामान्य जीवन में लौटने में चार-पांच दिन लगे. लेकिन, गुंजन कहती हैं, उनके लिए यह ब्यूटी पार्लर में तैयार होकर निकलने जैसा ही अनुभव है. वे कहती हैं, ''साइज जीरो ड्रेस में फिट होने के लिए नियमित तौर पर खानपान पर नियंत्रण और एक्सरसाइज करना संभव नहीं हो पाता. खासकर उम्र बढ़ने के साथ आपका मेटाबॉलिज्म कम होने पर यह सब और भी मुश्किल हो जाता है.’’ प्राकृतिक तरीके से वजन घटाने के बजाए मल्होत्रा छोटी-मोटी सर्जरी या अल्ट्रासाउंड मशीन के इस्तेमाल को ज्यादा पसंद करती हैं.
गुंजन मल्होत्रा का सबसे पसंदीदा विकल्प कूलस्कल्पिंग है, जो बिना चीर-फाड़ वाली तकनीक है. इसमें शरीर पर जमी अतिरिक्त चर्बी को हटाने के लिए अल्ट्रासाउंड एनर्जी का इस्तेमाल किया जाता है. यह सीने, पेट और जांघों आदि की चर्बी हटाने में विशेष तौर पर प्रभावी साबित होती है, और कुछ ही महीनों में बेहतर नतीजे साफ नजर आने लगते हैं. इससे त्वचा को भी कोई नुक्सान नहीं पहुंचता है.
कम से कम चीर-फाड़, सुरक्षित एनेस्थीसिया, 3डी इमेजिंग, एआइ-आधारित सर्जरी, इंजेक्शन की मदद से लगाए जाने वाले फिलर्स के तमाम विकल्प और 24/7 देखभाल के साथ एआइ की मदद से व्यक्तिगत परामर्श ने यह सब कुछ और भी आसान बना दिया है. इससे सर्जरी में किसी तरह की चूक की गुंजाइश कम होती है और निशान, सूजन जैसी सर्जरी के बाद की दिक्कतों का खतरा भी कम ही रहता है.
दुबई और मुंबई में काम करने वाले सेलेब्रिटी कॉस्मेटिक सर्जन डॉ. पराग तैलंग कहते हैं, ''आज, कोई भी आसानी से नाक की सर्जरी कराकर अगले दिन अपने काम पर लौट सकता है. शायद ही किसी को इस बारे में पता चलेगा, क्योंकि इसमें कोई सूजन नहीं आती और इसे यथासंभव सामान्य दिखना सुनिश्चित किया जाता है.’’
भले ही बिना चीर-फाड़ के सर्जरी करने की बात अजीब लगे लेकिन यह नई वास्तविकता है. मरीज इस प्रक्रिया के कुछ ही घंटों के बाद अपनी सामान्य दिनचर्या शुरू कर सकते हैं और इसके नतीजे वैसे ही होंगे जैसे लंबा समय लगाकर की गई सर्जरी में आते. प्लास्टिक सर्जरी और इंडियन एसोसिएशन ऑफ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जन्स (आइएएपीएस) के राष्ट्रीय सचिव डॉ. रजत गुप्ता कहते हैं, ''लोग चाहते हैं कि यह सब कुछ बेहद बारीकी से किया जाए और नतीजे सामान्य लगें. ऐसा कुछ न हो जिससे लगे कि सर्जरी कराई गई है.’’
लंच ब्रेक बोटॉक्स ट्रीटमेंट (इसमें केवल 30 मिनट लगते हैं), फिलर्स (हाइलूरोनिक एसिड-आधारित इंजेक्शन की मदद से चेहरा भरा-भरा और झुर्रियां से मुक्त हो जाता है), मम्मी मेकओवर और हाइब्रिड फेसलिफ्ट जैसे कॉम्बो ट्रीटमेंट अब काफी ज्यादा चलन में हैं (देखें बॉक्स).
पुणे की 59 वर्षीया डिजाइन कंसल्टेंट पूर्णिमा दत्त (बदला नाम) मुस्कराते हुए बताती हैं, ''मैं लंच ब्रेक के दौरान बोटॉक्स कराने वाली कोई अकेली नहीं हूं. निश्चित तौर पर यह बहुत जल्द हो जाता है और दर्द रहित है. मैं कभी-कभी मीटिंग के लिए जाते समय रास्ते में रुककर बोटॉक्स करा लेती हूं और फिर काम पर चली जाती हूं.’’ उन्होंने अपने नितंबों पर स्थायी फेस थ्रेड (त्वचा का ढीलापन खत्म करने का तरीका) और हाइ-डेफिनिशन लिपोसक्शन (वसा घटाने का उपाय) भी करवाया है.
हालांकि उन्हें इस सबमें किसी तरह की झिझक महसूस नहीं होती. और, इतनी राशि चुकाने (केवल बोटॉक्स की कीमत 30,000 रुपए प्रति सत्र है) की वजह सिर्फ यह है कि यह सारा कायाकल्प इतना सहज हो कि किसी को सर्जरी का सहारा लेने के बारे में पता न चल पाए.
जाहिर है, पहले से कहीं ज्यादा भारतीय खुद को खूबसूरत दिखाने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी का सहारा ले रहे हैं. आंकड़े भी बदलते चलन की गवाही देते हैं. इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एस्थेटिक प्लास्टिक सर्जरी (आइएसएपीएस), 2023 वैश्विक सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत में प्लास्टिक सर्जन एक वर्ष में लोगों का सौंदर्य बढ़ाने से जुड़ी करीब 10 लाख सर्जरी करते हैं, जिसमें लगभग आधी बिना चीर-फाड़ वाली होती हैं.
ग्रैंड व्यू रिसर्च के मुताबिक, भारतीय नॉन-इनवेसिव एस्थेटिक (यानी पूरी तरह कायाकल्प वाली प्लास्टिक सर्जरी के बजाए बिना चीर-फाड़ के छोटे-मोटे बदलाव कराना) का बाजार 2023 में 16,400 करोड़ रुपए का रहा. इसके 2030 तक 56,000 करोड़ रुपए से ऊपर पहुंचने की उम्मीद है. इन सब में नाक की सर्जरी सबसे लोकप्रिय है और भारत में नॉन-सर्जिकल राइनोप्लास्टी बाजार के 2030 तक 277 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है.
वैश्विक स्तर पर नॉन-सर्जिकल विकल्पों में खासी तेजी आई है. आइएएपीएस ने बताया कि 2020 में इनकी संख्या सर्जिकल तरीकों से ज्यादा थी. आइएएपीएस सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत राइनोप्लास्टी और लिपोसक्शन सर्जरी के कुल आंकड़ों के लिहाज से क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर है और सर्जिकल और नॉन-सर्जिकल सौंदर्य प्रक्रियाओं में सातवें स्थान पर है. बिना चीर-फाड़ चेहरे के कायाकल्प के मामले में यह दूसरे स्थान पर है.
बेहतर नई तकनीकी
आज, बड़े सर्जन ऐसे उपकरण इस्तेमाल करते हैं जो वास्तविक समय में ही सर्जरी वाली जगह के आसपास के ऊतकों के बारे में सटीक आकलन कर सकते हैं और 7 माइक्रोन (लाल रक्त कोशिका के आकार) जितने महीन कणों को भी देख सकते हैं. ऐसे कैमरे हैं जिनकी मदद से वास्तविक समय में रक्त हानि का अनुमान लगाया जा सकता है. कैमरों में हैप्टिक सेंसर होते हैं, जो यह बता देते हैं किस जगह पर कितना दबाव डालना है.
साथ ही एक ट्रैकर होता है जो लेंस को स्वचालित ढंग से वहां तक पहुंचा देता है जिससे सर्जन के लिए सब कुछ स्पष्ट देखना मुमकिन होता है. कुछ सर्जन रोबोटिक सर्जरी की मदद लेते हैं जो 95 फीसद सटीक नतीजे देती है. इसमें प्री-ऑपरेटिव प्लानिंग के लिए वीआर सिमुलेशन का सहारा लिया जाता है. इंप्लांट में 3डी प्रिंटर की मदद ली जाती है, जो मरीज के अपने ऊतक को बढ़ाकर छिद्रपूर्ण ढांचा भरने में कारगर होता है.
दिल्ली के ग्रेटर कैलाश-2 स्थित डिवाइन कॉस्मेटिक सर्जरी के संस्थापक डॉ. अमित गुप्ता कहते हैं, ''तकनीक ने सौंदर्य से जुड़ी सर्जरी को सुरक्षित और लोगों के लिए अधिक स्वीकार्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उच्च गुणवत्ता वाले इंप्लांट ने महिलाओं को इन प्रक्रियाओं को अपनाने का आत्मविश्वास दिया, जिन्हें पहले नापसंद किया जाता था. वीएएसईआर (अतिरिक्त वसा हटाने के लिए अल्ट्रासाउंड तरंगों का इस्तेमाल करने वाली मशीन) जैसी तकनीक ने लिपोसक्शन को सुरक्षित बना दिया है. हम असली जैसे सिक्स पैक बना रहे हैं जो जिम में बनाए सिक्स पैक्स जैसे ही नजर आते हैं.’’
आज, किताबों, हाथ से खींची गई आकृतियों या इंटरनेट की सहायता लेने के बजाए अब उस शरीर के अंग के अविश्वसनीय रूप से सटीक वास्तविक मॉडल को देखकर परामर्श किया जाता है जिस पर सर्जरी करनी है. यह तरीका बिना चीर-फाड़ और कम से कम चीर-फाड़ दोनों में अपनाया जाता है. मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, साकेत में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख और प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. सुनील चौधरी बताते हैं, ''वर्चुअल 3डी सर्जरी प्लेटफॉर्म जबड़े की सर्जरी में बहुत मददगार होते हैं जो पूरे चेहरे की संरचना बदल सकते हैं, मसलन ठुड्डी को आगे बढ़ाना है या जबड़े को फिर से आकार देना है. मैं आमतौर पर मरीजों के जबड़े का 3डी मॉडल प्रिंट तैयार करवाता हूं और फिर इसमें क्या और कैसे करना बेहतर होगा, यह जानने के लिए एक नकली सर्जरी करता हूं.’’
दो बड़ी नॉन-सर्जिकल तकनीक एंडोस्कोपिक और रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल तो इस लिहाज से वरदान साबित हो रहा है. डॉ. चौधरी कहते हैं, ''एंडोस्कोपिक फेशियल प्लास्टिक सर्जरी ने चेहरे और माथे की लिफ्ट सर्जरी में क्रांति ला दी है. एंडोस्कोपी चेहरे को बड़ा करके दिखाती है जिससे तमाम बारीकियों को ध्यान में रखकर ऑपरेशन करना आसान हो जाता है. मैं नियमित तौर पर एंडोस्कोपिक फेशियल प्लास्टिक सर्जरी करता हूं और इसके नतीजे बहुत ही शानदार रहते हैं.
यह मरीजों को इसलिए पसंद आता है क्योंकि इसमें कोई निशान नहीं रहता.’’ इसी तरह, ऊतकों पर अल्ट्रासाउंड तरंगों के इस्तेमाल ने लिपोसक्शन को बदलकर रख दिया है. डॉ. चौधरी यह भी बताते हैं, ''अल्ट्रासोनिक लिपोसक्शन शरीर की वसा को तरल पदार्थ में बदल देता है, जिसे मोटराइज्ड लिपोसक्शन कैनुला के माध्यम से आसानी से बाहर निकाला जा सकता है. दोनों ही तकनीकों ने साथ मिलकर सर्जरी के दौरान रक्त हानि के खतरे को घटा दिया है. यही नहीं, शरीर के आकार और त्वचा के सिकुड़ने को लेकर सटीक अनुमान लगाना भी आसान होता है.’’
एक और नॉन-सर्जिकल उपकरण का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है और यह है माइक्रोनीडलिंग, जिसमें सुई की मदद से त्वचा को कई बार छेदा जाता है. इस तरह त्वचा को निखारने और दाग-धब्बे दूर करने में मदद मिलती है. दिल्ली स्थित लग्जरी एस्थेटिक्स के मालिक गौरव सिंह कहते हैं, ''हम आठ चरण वाली प्रक्रिया का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें एक ही सत्र में तीन गुना अधिक कोलेजन उत्पादन किया जाता है. इससे त्वचा पर दाग-धब्बे, मुंहासे और हाइपरपिग्मेंटेशन कम करने में मदद मिलती है. यह उन लोगों के लिए एकदम सही उपाय है, जो एकदम निखरी हुई और स्वस्थ दिखने वाली त्वचा चाहते हैं.’’
हालांकि, इस सभी पर खर्च भी कम नहीं होता. डॉ. चौधरी कहते हैं, ''लागत अधिक हो सकती है लेकिन यह आगे चलकर कम हो जाएगी.’’ मामूली चीर-फाड़ के नाक की सर्जरी कराने पर 25,000 से 1,00,000 रुपए के बीच खर्च आता है; ब्रेस्ट इंप्लांट की लागत दो लाख रुपए तक हो सकती है; सिक्स पैक बनाने में चार लाख रुपए तक का खर्च आ सकता है और चेहरे पर स्थायी डर्मा फिलर्स कराने पर 30,000 से 70,000 रुपए तक खर्च होता है. बेंगलूरू के फैट-रिडक्शन स्पेशलिस्ट डॉ. प्रखर श्रीवास्तव कहते हैं, ''मेरे पास एक क्लाइंट था जिसने म्यूचुअल फंड शुरू किया ताकि इन पैसों से लिपोसक्शन करा सके.’’
क्या इसके आदी हो सकते हैं?
कुछ लोग प्लास्टिक सर्जरी के 'आदी’ हो जाते हैं. हालांकि, ऐसा उन लोगों के मामले में होता है जो बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर (बीडीडी) से पीड़ित होते हैं. इसमें व्यक्ति हमेशा इसे लेकर चिंतित रहता है कि वह कैसा दिख रहा है. सामाजिक असंतुष्टि, आत्मसम्मान कम होना और आत्मविश्वास और शारीरिक आकर्षण में कमी इस स्थिति को जन्म देती है. हैदराबाद की मनोचिकित्सक डॉ. पूर्णिमा नागराज कहती हैं, ''अगर ऐसा व्यक्ति सर्जरी कराने में सक्षम हो तो उसके सिर्फ अच्छा दिखने के लिए ऐसे गलत विकल्प चुनने की आशंका रहती है, जो चिकित्सकीय रूप से असुरक्षित हो.’’
ऐसे लोग सर्जरी के मामले में ऐसा रुख अपनाते हैं जैसे बाजार से कोई सामान खरीदने जा रहे हों. बीडीडी मरीजों के सर्जरी के आदी हो जाने के जोखिम को देखते हुए नैतिक आचार संहिता पर अमल करना बेहद अहम हो जाता है. डॉ. गुप्ता कहते हैं, ''हमें प्लास्टिक सर्जरी की लत और इसकी जरूरत के बीच अंतर करना होगा. अगर कोई व्यक्ति बार-बार बोटॉक्स उपचार के लिए आता है तो यह लत नहीं है क्योंकि इसका असर खत्म हो जाता है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति ब्रेस्ट शेपिंग या लिपोसक्शन के लिए बार-बार आता है, तो यह लत है. नियमत:, अगर कोई व्यक्ति किसी ऐसी चीज के लिए दूसरी बार आता है जिसकी जरूरत स्पष्ट नहीं होती तो हम मना कर देते हैं.’’
प्लास्टिक सर्जरी में प्लास्टिक शब्द का इस्तेमाल ग्रीक मूल के शब्द प्लास्टिकोस से जुड़ा है, जिसका अर्थ होता है—किसी चीज का आकार-प्रकार बदलना. लेकिन मानव शरीर को गढ़ने की इस कला के प्रति लोगों की बढ़ती ललक को देखते हुए चिकित्सकीय नैतिकता को भी संतुलित तरीके से लागू किए जाने की महती जरूरत है. हालांकि, नई तकनीक डॉक्टरों और मरीजों दोनों के लिए वरदान साबित हो रही है. इससे सर्जरी के सटीक और सुरक्षित होने के साथ बाद में निशान या अन्य दुष्प्रभाव नजर आने का खतरा भी घटा है. लेकिन कहीं न कहीं एक लक्ष्मण रेखा खींचना बेहद जरूरी है. ठ्ठ
डॉ. पराग तैलंग, सेलेब्रिटी कॉस्मेटिक सर्जन के मुताबिक आजकल, बेहतर एनेस्थीसिया और सर्जरी के बाद देखभाल की वजह से अधिकांश सर्जरी लगभग बिना दर्द के हो सकती हैं. कई क्लाइंट गोपनीयता पसंद करते हैं, जो बेहतर सुविधाओं की वजह से मुमकिन है.
हर साल लगभग दस लाख भारतीयों के बॉडी डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर (बीडीडी) का पता चलता है. बीडीडी से पीड़ित लोगों के प्लास्टिक सर्जरी की लत में पड़ने के जोखिम को देखते हुए नैतिक आचार संहिता को लागू करना बेहद जरूरी हो जाता है.
एआइ संचालित त्वचा उपकरण त्वचा की स्थिति का सटीक मूल्यांकन करते हैं, जो आंखों से देखने पर संभव नहीं होता. 3डी इमेजिंग तकनीक विस्तृत मॉडल बनाती है, जो अपेक्षित नतीजों के विकल्प सामने रखती है.
डॉ. गीता ग्रेवाल, संस्थापक और सीएमडी, 9 म्यूजेज वेलनेस क्लिनिक