
वह 1994 का साल था और पूरा भारत बोल्ड ऐंड ब्यूटीफुल की खुमारी में डूबा था. इसकी वजह बनी थीं दो युवा मॉडल, जिसमें एक सिर्फ 18 वर्ष की और दूसरी 21 वर्ष की.
मधु सप्रे के मिस यूनिवर्स बनने से चूक जाने के दो साल बाद सुष्मिता सेन ने हमें यह ताज दिलाया और यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय बनीं.
कुछ ही महीनों बाद ऐश्वर्या रॉय ने मिस वर्ल्ड बनकर भारत को जमकर जश्न मनाने का एक और मौका दे दिया. दोनों सुंदरियों ने बाद में फिल्मी दुनिया में कदम रखा और इस इंडस्ट्री का हिस्सा बन गईं, उन्होंने और उनकी साथी सुंदरियों ने रैंप और विज्ञापन की दुनिया में मॉडल्स के लिए अपार संभावनाओं के दरवाजे खोल दिए. कुछ इसी तरह, मॉडलिंग एक विश्वसनीय पेशा बन गया.
उदारीकरण का दौर हमारे लिए संभावनाओं की एक नई दुनिया खोल रहा था. लगातार जीत ने भारतीय महिलाओं को त्वचा की देखभाल, फिटनेस और आहार आदि पर ध्यान देने को प्रोत्साहित किया. मिस इंडिया के लिए आवेदनों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई, जिसमें एक बड़ी संख्या देश के छोटे शहरों से आने वाली लड़कियों की भी थी.
सुपरमॉडल प्रतियोगिताओं की संख्या भी देखते-देखते बढ़ गई क्योंकि कई अंतरराष्ट्रीय मॉडलिंग एजेंसियां प्रतिभा तलाशने आने लगीं. अगले कुछ साल भारत हर तरफ छाया रहा, जिसमें कई देसी सुंदरियों ने एक के बाद एक खिताब जीते.
नई सदी की शुरुआत तक भारत ब्यूटी विद ब्रेन का पावरहाउस बन चुका था, क्योंकि गेहुंए रंग की त्वचा वाली महिलाएं सौंदर्य प्रतियोगिता में पूरी तरह वर्चस्व जमा चुकी थीं. लेकिन इस सारी सफलता के पीछे साबिरा मर्चेंट (शिष्टाचार प्रशिक्षक), अंजलि मुखर्जी (आहार विशेषज्ञ), भरत डागोम्बे (हेयर और मेकअप आर्टिस्ट), डॉ. संदेश मायेकर (दंत चिकित्सक), डॉ. जमुना पै (कॉस्मेटिक चिकित्सक) जैसे कई विशेषज्ञों के पैनल का भी खासा योगदान रहा है.
इन उपलब्धियों ने अरबों डॉलर के सौंदर्य उद्योग के भारत की तरफ रुख करने का रास्ता खोला और बालों की देखरेख और मेकअप, स्टाइलिंग, फिटनेस सेंटर जैसे सहायक उद्योगों को बढ़ावा दिया. बदले में महिलाओं के लिए नई नौकरियों के रास्ते खुले.
लेखिका और पूर्व मॉडल शोभा डे बताती हैं कि कैसे जीत को ''पूरी तरह से और सही समय पर भुनाया गया’’ और अंतरराष्ट्रीय सौंदर्य प्रसाधन ब्रांड भारतीय बाजार में दाखिल हुए. यह सब सिर्फ चेहरे की खूबसूरती की बात नहीं थी. उन्होंने आगे जोड़ा, खिताब जीतने वाली महिलाएं 'वाक्पटु और आत्मविश्वास से भरी थीं, जिन्होंने अन्य महिलाओं को आगे बढ़ने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया.’’
फिल्म उद्योग ने भी उन्हें बड़े पर्दे की चमक-दमक के प्रति लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पूर्व मिस इंडिया विजेता जुही चावला पहले ही यह रास्ता दिखा चुकी थीं, और बतौर मुख्य किरदार अपनी प्रतिभा दिखाकर यह मिथक भी तोड़ दिया था कि मॉडल अभिनय नहीं कर सकतीं.
सुष्मिता और ऐश्वर्या ने भी वही राह अपनाई और फिर गुल पनाग, लारा दत्ता और प्रियंका चोपड़ा भी उनके नक्शेकदम पर चलीं. उनमें से कुछ ने तो एक कदम और आगे बढ़कर अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट में भी अपनी पहचान बनाई. उम्मीद है, यह जलवा यूं ही बरकरार रहेगा.

खूबसूरती का सफर
● 1996: सुष्मिता सेन ने दस्तक फिल्म से बॉलीवुड में कदम रखा. एक साल बाद ऐश्वर्या राय ने मणिरत्नम की इरुवर के साथ सिनेमाई पारी की शुरुआत की
● 1997/1999: डायना हेडन ने मिस वर्ल्ड का खिताब जीता, इसके बाद युक्ता मुखी ने यही कामयाबी दोहराई
● 2000: भारत ने तीनों सौंदर्य प्रतियोगिताएं जीतकर इतिहास रचा. लारा दत्ता मिस यूनिवर्स बनीं, तो प्रियंका चोपड़ा ने मिस वर्ल्ड और दीया मिर्जा ने एशिया पैसिफिक इंटरनेशनल का खिताब जीता
● 2003: ऐश्वर्या लॉरियल पेरिस की वैश्विक ब्रांड एंबेसडर बनीं, उनका यह जुड़ाव आज तक बरकरार है. वे कान फिल्म महोत्सव की जूरी में शामिल होने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री भी हैं
● 2004: ऐश्वर्या ने गुरिंदर चड्ढा की ब्राइड ऐंड प्रीजुडिस के साथ हॉलीवुड में कदम रखा
● 2015: प्रियंका चोपड़ा क्वांटिको के साथ अमेरिकी टीवी शो में मुख्य किरदार निभाने वाली पहली भारतीय अभिनेत्री बनीं
● 2017: मानुषी छिल्लर मिस वर्ल्ड बनीं; इसके साथ ही भारत सबसे ज्यादा खिताब जीतने में वेनेजुएला के बराबर पहुंच गया
क्या आप जानते हैं?
दूसरी मिस इंडिया प्रतियोगिता की विजेता पर्सिस खंबाटा पहली भारतीय मॉडल थीं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े पर्दे पर अपनी जगह बनाई. उन्होंने स्टार ट्रेक में इलिया की भूमिका निभाई. वे ऑस्कर प्रस्तुत करने वाली पहली भारतीय भी बनीं
इंडिया टुडे के पन्नों से
अंक: 17 दिसंबर, 1994
मिस वर्ल्ड: सौंदर्य की ऐश्वर्य-वृद्धि गाथा
इसमें संयम और चाल-ढाल ने अहम भूमिका निभाई लेकिन यह भारत की सबसे पसंदीदा मॉडल होने की वजह से हुआ. मिस इंडिया प्रतियोगिता देखने वालों को अच्छी तरह अंदाजा होगा, जहां अहंकार की हल्की झलक के कारण ताज गंवा देने वाली ऐश्वर्या का रूप एकदम अलग था. यह अंतर समझना आसान नहीं है...
—अर्चना जहागीरदार