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स्मार्ट मनीः होम इंश्योरेंस से घर की सुरक्षा

अगर प्राकृतिक आपदा में आपके घर को नुक्सान पहुंचता है या फिर किसी तरह के कीमती सामान की चोरी हो जाती है तो मकान बीमा आपके लिए वरदान साबित हो सकता है

स्मार्ट मनीः होम इंश्योरेंस
स्मार्ट मनीः होम इंश्योरेंस
अपडेटेड 8 अक्टूबर , 2020

अपराजिता शर्मा

इन दिनों प्राकृतिक आपदाएं जोर पर हैं. इस साल हमने बिहार में बाढ़,  महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक में मूसलाधार बारिश तथा पश्चिम बंगाल और ओडिशा के हिस्सों में अफ्फान चक्रवात ने तांडव मचाया. भूकंप के सिस्मिक जोन 4 में आने वाले दिल्ली में भी हमने एक के बाद एक कई भूकंप आते देखे. इस तरह की आपदाओं से होने वाली तबाही में जानमाल के साथ मकान और घर के सामान का नुक्सान भी हो सकता है.

जीवन बीमा घर के किसी सदस्य की मौत से परिवार की रक्षा करता है पर आपके घर और उसके कीमती चीजों का क्या? बहुत सारे लोग इस बात से अनजान हैं कि वे कम प्रीमियम पर अपने घरों—उसके ढांचे के साथ ही उसके सामान—का बीमा करा सकते हैं. आप सिर्फ घर के ढांचे या सिर्फ सामानों का बीमा भी करवा सकते हैं. मिसाल के तौर पर, किराएदार घर में केवल अपने सामान का ही बीमा करवाना चाहेंगे.

कवरेज की सीमा
 

एक सामान्य गृह नीति में विभिन्न जोखिमों को शामिल करते हुए 10 खंड होते हैं:

खंड 1: इमारत और घरेलू सामग्री के लिए आग और संबद्ध संकट.

खंड 2: चोरी और सेंधमारी (केवल सामान)

खंड 3: कीमती चीजों से जुड़े सभी जोखिम

खंड 4: प्लेट ग्लास का

कवर (तय)

खंड 5: घरेलू उपकरणों का टूटना

खंड 6: टेलीविजन सेट (सभी जोखिम) कवर

खंड 7: पैडल साइकिल (सभी जोखिम) का कवर

खंड 8: यात्रा का सामान

खंड 9: व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा खंड 10: सार्वजनिक देयता और कर्मचारी क्षतिपूर्ति जोखिम.

मानदंडों के अनुसार, घरेलू सामान के तहत खंड 1 (आग और संबद्ध संकट) कवर के साथ पॉलिसी में कम से कम तीन से चार खंडों को शामिल करना अनिवार्य है. इसके साथ जितने खंड जोड़े जाएंगे बीमा पॉलिसी उतनी ही व्यापक होती जाएगी.

कम जाने हुए कवर
 

अगर भारी बरसात या ओला वृष्टि की वजह से या फिर तेज हवा या तूफान से घर की छत में या दीवारों में किसी किस्म की सीलन आ जाए या फिर पानी चूने लगे तो बीमा कंपनी से मरम्मत के लागत की मांग की जा सकती है. पॉलिसी एक्स डॉट कॉम के संस्थापक और सीईओ नवल गोयल कहते हैं, ''होम इंश्योरेंस पॉलिसी पालतू पशु की लागत को भी कवर करती हैं. इसके नियम और शर्तें विभिन्न कंपनियों के लिहाज से अलग होते हैं. कई घरों में कीमती उपकरण और गैजेट होते हैं. मकान बीमा प्लान के साथ, आप इन सबका बीमा करवा सकते हैं. पोर्टेबल उपकरण, मसलन लैपटॉप और ऑडियो-विजुअल सिस्टम भी इसके दायरे में आते हैं.'' घर या बैंक लॉकर में रखे गए, यहां तक कि पहने गए गहने भी होम इंश्योरेंस के तहत आते हैं

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इसके साथ ही अतिरिक्त कवर भी खरीदे जा सकते हैं, जैसे कि संपत्ति के मूल्य में वृद्धि, आतंकवादी घटना, तीसरे पक्ष की देनदारी और किराए का नुक्सान वगैरह को भी इसमें जोड़ा सकता है. पॉलिसी बाजार डॉट कॉम में एसएमई और होम इंश्योरेंस के बिजनेस हेड संजय सिंह चौहान कहते हैं, ''वृद्धि का क्लॉज पॉलिसी अवधि में बीमित राशि में खुद ही नियमित बढ़ोतरी की अनुमति देता है.'' वह विस्तार से बताते हैं, ''अगर किसी इमारत की बीमा की राशि 1 करोड़ रुपए है और कोई ग्राहक इस पर 10 फीसद एस्केलेशन कवर (अतिरिक्त कवर) का विकल्प चुनता है तो अतिरिक्त बीमित राशि 10 लाख रुपए हो जाती है. और यह रोजाना के हिसाब से बढ़ती है. इसलिए, क्लेम की दशा में, मान लीजिए छह महीने बाद, यह अतिरिक्त बीमित रकम 4,93,151 रुपए हो जाएगी (180/365*10,00,000). पॉलिसी के तहत बीमित पूर्ण रकम क्लेम के समय (छह महीने) 10,493,151 हो जाएगी.''


समय के साथ मकान की कीमत बढ़ती जाएगी, ऐसे में यह एस्केलेशन क्लॉज दावे के समय कम राशि की बीमा से सुरक्षा प्रदान करता है. तीसरे पक्ष के देयता में, चौहान कहते हैं, ''यह उस राशि को कवर करता है जो कानूनी रूप से देय होता है. इसमें कानूनी खर्च भी शामिल हैं. आतंकवाद की वजह से हुए नुक्सान या टूट-फूट को एड ऑन में ही कवर किया जा सकता है.'' इसके साथ ही किराए में नुक्सान का कवर भी लिया जा सकता है, जिसके तहत बीमा कंपनी उस दशा में पॉलिसीधारक का मकान किराया चुकाती है जब वह टूटे मकान के पुनर्निर्माण के दौरान कहीं और रह रहा हो.
 
अपवाद
 

सबसे अहम अपवाद तो प्राकृतिक टूट-फूट ही है. बजाज अलायंज जनरल इंश्योरेंस के चीफ टेक्निकल ऑफिसर टी.ए. रामालिंगम कहते हैं, ''घर के सभी उपकरणों और फर्नीचरों की एक तयशुदा जिंदगी होती है. मसलन, आपका पुराना एसी एक दिन काम करना बंद कर देता है और तब आप उस पर दावा नहीं कर सकते, क्योंकि इसने अपनी जिंदगी पूरी कर ली है.''

बीमाकृत चीजों पर जानबूझ कर की गई तोड़-फोड़ को भी कवर नहीं किया जाता. रामालिंगम कहते हैं, ''इस मामले में सही दावे की पड़ताल करना मुश्किल होता है लेकिन चतुर सर्वेयर सही सवाल पूछकर इसका पता लगा सकता है.''


घर में नियमित रूप से आने वालों, मसलन किसी नौकरानी या ड्राइवर की ओर से की गई चोरी या सेंधमारी को भी कवर नहीं किया जाता क्योंकि इन लोगों को घर में घुसने की मनाही नहीं होती. रामालिंगम कहते हैं, ''भारतीय दंड संहिता के तहत, चोरी और खयानत (लार्सेनी) को अलग-अलग पारिभाषित किया गया है. लार्सेनी तब होती है जब उस व्यक्ति के आपके घर में आने-जाने की मनाही नहीं होती. इसलिए आप इसे अपनी पॉलिसी में एड ऑन की तरह जोड़ सकते हैं.''

कितना बीमा कराना चाहिए
 

अधिकतर होम इंश्योरेंस पॉलिसी की अवधि एक साल होती है, आप अपने मकान के लिए दीर्घावधि प्लान भी खरीद सकते हैं. दावे के समय कम बीमा राशि से बचने के लिए पर्याप्त बीमा राशि की गणना करना महत्वपूर्ण है. मिसाल के तौर पर, अगर आपके मकान की कीमत 10 लाख रुपए है और आपने 6 लाख रुपए की बीमा ले रखी है, जो वास्तविक मूल्य का 60 फीसद है, तो बीमाकर्ता 6 लाख रुपए का 60 फीसद आपको अदा करेगा यानी महज 3.24 लाख रुपए.

मकान की कीमत की गणना करने के तीन तरीके हैं.

1) बाजार मूल्य: बीमाकर्ता पॉलिसीधारक को उतनी रकम देगा जितना कि उस वक्त उस मकान को बेचकर हासिल होगा. इसमें कीमतों में कमी शामिल होती है.

2) बहाली मूल्य: घर की कीमत इसे फिर से बनाने में लगने वाली लागत के आधार पर तय की जाएगी. इसमें घर के जमीन की कीमत शामिल नहीं की जाती.

3) सहमति मूल्य: कुछ बीमा कंपनियां ही सहमति मूल्य के आधार पर कवर देती हैं. इसमें जमीन की कीमत और मकान के पुनर्निर्माण दोनों की लागत शामिल की जाती है. नुक्सान होने की सूरत में, बीमाकर्ता सहमति मूल्य चुकाकर घर का मालिकाना हक हासिल कर लेता है.

डिजिट जनरल इंश्योरेंस के अपॉइंटेड एक्चुअरी आदर्श अग्रवाल कहते हैं, ''बहाली मूल्य की पॉलिसी बाजार मूल्य वाली पॉलिसी की तुलना में बेहतर मुआवजा दिला सकती है. हर कंपनी सहमति मूल्य वाली पॉलिसी नहीं देती.''

बजाज अलायंज के पास सहमति मूल्य विकल्प मौजूद है. रामालिंगम कहते हैं, ''अमूमन, घर बनाने के बाद बीमाकर्ता निर्माण की लागत चुका देते हैं. सहमति मूल्य के आधार पर, हम पूरी रकम तभी चुका देते हैं जैसे ही आप जायदाद के कागजात जमा करते हैं. इस तरह हम इस संपत्ति के मालिक हो जाते है.''

मकान बीमा कैसे खरीदें
 

होम इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदना जटिल है क्योंकि लोग अपने घरों की संपत्ति और सामग्री की गणना में भ्रमित हो जाते हैं. लेकिन अब, कोई भी ऑनलाइन पॉलिसी खरीद सकता है क्योंकि अब मूल्यांकन कोई शर्त नहीं है. अग्रवाल कहते हैं, ''डिजिट इंश्योरेंस में, हम ग्राहकों से सिर्फ दो बुनियादी सवाल करते हैं—मकान का कुल वर्ग क्षेत्रफल और लोकेशन. इसके आधार पर, हम उन्हें बीमाकृत राशि का सुझाव देते हैं. इससे ग्राहकों का भ्रम कम हो जाता है.''

बजाज अलायंज में, अगर सामानों के नुक्सान की कुल राशि 5 लाख रुपये से अधिक है, तो ग्राहक को सामानों की अलग-अलग सूची बनाकर नहीं देनी होती. बहरहाल, दावा करते समय, बीमाकर्ता मूल्यांकन करता है और इससे जुड़े दस्तावेज मांगता है.

भारत में बीमा अभी बहुत लोगों तक नहीं पहुंचा है और होम इंश्योरेंस तो शायद ही किसी के एजेंडे में हो. वैसे, होम इंश्योरेंस पॉलिसी आपके घर या आपके सामानों को अचानक हुए नुक्सान को तो नहीं रोक सकता, पर ऐसा हो ही जाए तो यह आपकी जेब की सुरक्षा कर सकता है.

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