आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों के तहत कांग्रेस दलित सम्मान को भुनाने की कोशिश कर रही है. इसलिए पार्टी के दलित चेहरे और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के अध्यक्ष पी.एल. पुनिया ने हाल ही में नई दिल्ली में ‘दलित गीत’ जारी किया. गीत है ‘‘जय जय भीम.” 19 अक्तूबर को रिलीज होने जा रही फिल्म शूद्रः दि राइजिंग का यह गीत बाबा साहेब आंबेडकर को समर्पित है. इस मौके पर पुनिया ने जाति व्यवस्था से जुड़ी मान्यताओं की बखिया उधेड़ी, जो किसी कांग्रेस नेता के लिए साहसी कदम है. उन्होंने आंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘धर्म, मनुष्य के लिए है, मनुष्य, धर्म के लिए नहीं. धर्म लोगों को जानवर बना रहा है.”
यह पुनिया का ही आइडिया था कि जय जय भीम को ‘दलित गीत’ करार दिया जाए. वे कहते हैं कि ऐसा करके हम बाबा साहेब आंबेडकर को श्रद्धांजलि तो देंगे ही, इससे दलितों में आत्म-सम्मान का भाव भी मजबूत होगा. उन्हें अपने हक के लिए लडऩे की प्रेरणा मिलेगी.
इस गीत में बाबा साहेब के जीवन से जुड़े तमाम प्रसंगों को शामिल किया गया है, जिसमें 1891 में उनके जन्म, बचपन और उनकी प्रेरणा से दलितों के बौद्ध धर्म अपनाने तक की बातें शामिल हैं. इस गीत में शूद्रों को ‘एक सम्मानजनक पहचान देने का श्रेय’ आंबेडकर को दिया गया है. वीडियो के शुरू में दलितों की बदहाल, दुखभरी जिंदगी के दृश्यों को दिखाया गया है और अंत में वे आत्मविश्वास और गौरव से भरे समुदाय के तौर पर अपनी पहचान कायम करते हैं. फिल्म के निर्देशक संजीव जायसवाल कहते हैं, ‘बुनियादी तौर पर हमारे समाज में दरार डालने का काम जाति ने ही किया है. यह गहराई तक लोगों की सोच में पैठी हुई है. इसे दिलो-दिमाग से उखाड़ फेंकना होगा.”
हिंदू धर्म के स्याह पक्ष को दिखाने के लिए इस फिल्म की आलोचना हो रही है. कई संगठनों ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है. गत दिनों समाजवादी छात्र सभा ने अध्यक्ष मदन मोहन शर्मा के नेतृत्व में आगरा कॉलेज के सामने निर्देशक संजीव का पुतला फूंका. शर्मा ने इंडिया टुडे से विशेष बातचीत में कहा, ‘‘जिस फिल्म में एक जाति विशेष के प्रति गंदे और भद्दे शब्दों का प्रयोग हुआ है, उस फिल्म को हम आगरा में नहीं चलने देंगे.”
फिल्म निर्देशक संजीव जायसवाल विरोध को स्वाभाविक प्रतिक्रिया मानते हैं. वे कहते हैं, ‘‘यदि लोग फिल्म से उत्तेजित हो रहे हैं तो यह इस बात का संकेत है कि मन की गहराइयों से वह इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि उनके पुरखों ने शोषक व्यवस्था बनाए रखने की गलती की थी. हालांकि संभावना कम है कि सरकार फिल्म पर प्रतिबंध की मांग को स्वीकार करे क्योंकि आयोग के अध्यक्ष पुनिया ने खुद इसके गीत को जारी किया है. हकीकत तो यह है कि पुनिया ने यह आश्वासन भी दिया है कि वे फिल्म को टैक्स फ्री करने के लिए सरकार पर दवाब बनाएंगे.
सोशल मीडिया पर रंग प्रमोटर्स ‘शुद्र राइजिंग’ की टैगलाइन के साथ सफल दलितों के प्रोफाइल पोस्ट कर रहे हैं. फिल्म के फेसबुक पेज पर इसके खिलाफ उठ रहे विरोध के स्वरों को भी जगह दी जा रही है ताकि प्रशंसकों को एकजुट कर उनकी संख्या बढ़ाई जा सके. यू-ट्यूब पर ‘प्राउड टू बी शूद्र’ नाम से एक वीडियो डाला गया है, जिसमें जाति व्यवस्था को ऐतिहासिक संदर्भ में पेश किया गया है.