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आखिरकार ऋषि राज चुनौती और खतरे

अपने बीच के एक शख्स के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने से भारत में जश्न का माहौल, लेकिन ऋषि सुनक के सामने उस देश की गर्त में पहुंच चुकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना पहली और पहाड़-सी चुनौती.

दिखाएंगे दम : ऋषि सुनक कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बनने के लिए अपने अभियान के दौरान 23 अगस्त को एक जगह भाषण देते हुए
दिखाएंगे दम : ऋषि सुनक कंजर्वेटिव पार्टी के नेता बनने के लिए अपने अभियान के दौरान 23 अगस्त को एक जगह भाषण देते हुए
अपडेटेड 5 नवंबर , 2022

शफी रहमान, लंदन में

सर जॉन पेंडर ने ब्रिटेन से भारत तक समुद्र के नीचे तार बिछाने के लिए 1869 में ब्रिटिश इंडियन सबमरीन टेलीग्राफ कंपनी की स्थापना की थी. जब अंग्रेज लेखक जॉन रस्किन को इस उद्यम के बारे में बताया गया, तो उन्होंने कुछ मजाक और कुछ गंभीरता से पूछा, ''मुझे हैरानी है कि संदेश क्या भेजेंगे.’’

डेढ़ सदी बाद भारतीय मूल का एक सजा-धजा और चतुरसुजान शख्स अपने आप में ताकतवर संदेश बनकर उभरा है, वह भी उस देश के लिए जो आर्थिक संकट और राजनैतिक अस्थिरता में फंसकर खुद अपने आप में मजाक बन गया है. पूर्व हेज-फंड मैनेजर ऋषि सुनक 200 साल में ब्रिटेन के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बने हैं. वे इस पद पर पहुंचने वाले पहले अश्वेत व्यक्ति और पहले धर्मपरायण हिंदू हैं.

उस साम्राज्य की रोशनी तो काफी पहले बुझ गई थी, जहां सूरज कभी डूबता नहीं था. साम्राज्य ने धूमधाम से पलट हमला किया, तो इस साल दीवाली के दिन वेस्टमिंस्टर विविधता के जलसे की रोशनी में डूब गया. यहां तक कि लेबर पार्टी के नेता पॉल बोआटेंग भी अपना उल्लास बमुश्किल ही छिपा सके, ''ब्रिटेन ने दुनिया को दिखा दिया कि आप सच्चा बहुनस्लीय लोकतंत्र हो सकते हैं और मैं पूरी जिंदगी इसी के लिए लड़ा हूं.’’

सुनक के लिए यह शिखर की हैरतअंगेज दौड़ रही. 5 जुलाई को स्कैंडलों से दागदार बोरिस जॉनसन के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने वाले वे पहले मंत्री थे. यह बोजो सरकार के अंत की शुरुआत थी. जल्द ही वे कंजर्वेटिव पार्टी के ज्यादातर सदस्यों का समर्थन हासिल करके प्रधानमंत्री पद की दौड़ के दो में से एक उम्मीदवार बन गए.

बाद में वे दिलेर और मुखर स्कूल शिक्षिका से राजनेता बनीं अपनी पार्टी की साथी और फॉरेन सेक्रेटरी लिज ट्रस के मुकाबले टोरी सदस्यों का दिल जीतने में नाकाम रहे. ट्रस सरकार महज 49 दिन चली, जो अपने आप में शर्मसार करने वाला रिकॉर्ड है, और आधे से ज्यादा टोरी सांसदों का समर्थन हासिल करके सुनक प्रधानमंत्री चुने गए.

पीछे मुड़कर देखें तो प्रधानमंत्री का पद हासिल करना ब्रिटेन की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था और गिरती अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा को बचाने से शायद कहीं ज्यादा आसान रहा हो सकता है. सुनक जबरदस्त चुनौतियों और दुश्वारियों से घिरे हैं, जो आने वाले महीनों में नतीजे नहीं देने पर उन्हें उतनी ही तेजी से गद्दी से हटा सकती हैं जितनी तेजी से उन्होंने ट्रस को हटाया (देखें अर्थव्यवस्था: चार बड़ी चुनौतियां).

ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन वित्तीय अवसरों का देश होने और बाकी यूरोप के साथ व्यापार समझौतों के वादों से तेजी से दूर होता गया. चार दशकों में सबसे ज्यादा 10 फीसद से ऊपर महंगाई के बीच पाउंड लगातार गिरते हुए सितंबर के आखिर में प्रति डॉलर 1.03 पर आ गया, जो इसका अब तक का सबसे निचला स्तर है. खाद्य पदार्थों की कीमतें 40 साल में सबसे तेज रफ्तार से बढ़कर आसमान छूने लगीं.

तन्ख्वाहें जस की तस कम बनी रहीं और जीवनयापन के खर्च के संकट ने देश के तमाम हिस्सों को अपने आगोश में ले लिया. उपभोक्ता खर्चों ने जबरदस्त गोता लगाया और 21 अक्तूबर को जारी आंकड़ों से पता चला कि लोग महामारी से पहले के मुकाबले भी कम खरीदारी कर रहे थे. ब्याज दरें तेजी से बढ़ रही हैं और चौतरफा नाराजगी की चिंगारियां भड़क रही हैं. ब्रिटेन की मशहूर अफसरशाही, कूटनीतिक दक्षता और सार्वभौम भाषा होने का फायदा तेजी से अपनी ताकत और चमक खो रहा है.

ऐसे समय जब ऊर्जा के ऊंचे बिल चुकाने की आशंका घर-परिवारों के सामने मुंह बाए खड़ी है, एनएचएस कन्फेडरेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव मैथ्यू टेलर ने यह बताना मुनासिब समझा कि रिसर्च के मुताबिक, घरों के कम गर्म होने की वजह से साल में 10,000 तक लोग काल के गाल में समा जाते हैं; और जीवनयापन खर्च के संकट की वजह से ऐसे ''लोगों की संख्या बेहिसाब ऊंचाई’’ पर पहुंच जाएगी जो ''अपने घरों को गर्म नहीं कर पाएंगे.’’

सरकार कदम नहीं उठाती तो इस साल सर्दियों में ज्यादा मौतें होंगी. आधुनिक ब्रिटेन में जिंदगी चार्ल्स डीकेंस की कहानियों से मिलती-जुलती होने लगी है. स्पैनिश अखबार ला वैनगार्डिया के लंदन संवाददाता राफेल रामोस खरा-खरा बोलते हैं. उन्होंने लिखा, ''साहित्य और कला में एबसर्डिज्म या बेतुकापन तार्किकता की बाध्यताओं से बचने, अनुभव और वास्तविकता को तिलांजलि देने और खुद को विवेकहीनता तथा मनमानेपन को सौंप देने की प्रवृत्ति है.

राजनीति में यही हम ब्रिटेन में होता देख रहे हैं.’’ सुनक के कमान संभालने से पहले देश ने चार महीनों में चार चांसलर, दो गृह मंत्री और दो प्रधानमंत्री देखे. यहां तक कि रूस भी तंज कसने वालों में फटाफट शरीक हो गया. उसके विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि ट्रस सबसे ज्यादा अपनी 'विनाशकारी निरक्षरता’ के लिए याद की जाएंगी. डाउनिंग स्ट्रीट में सत्ता-बदल की परिस्थितियों को लेकर सुनक के मन में कोई उलझन नहीं.

बदलाव ही उनके पहले भाषण की थीम था. अपने पूर्ववर्ती की 'बदलाव की बेचैनी’ की सराहना करते हुए उन्होंने माना कि ट्रस ने गलतियां कीं. ''वे दुर्भावना या बदनीयत की वजह से नहीं हुईं, बल्कि मामला इसके बिल्कुल उलट था, पर गलतियां तो वे फिर भी थी हीं. और मुझे अपनी पार्टी का नेता और आपका प्रधानमंत्री, कुछ तो उन्हें दुरुस्त करने के लिए ही चुना गया है.’’

सुनक ने 2019 के घोषणापत्र के वादे पूरा करने का वादा किया—ज्यादा मजबूत एनएचएस, बेहतर स्कूल, सुरक्षित सड़कें, सरहदों पर नियंत्रण, पर्यावरण की हिफाजत, सशस्त्र बलों की सहायता, रहन-सहन का स्तर बढ़ाना और ऐसी अर्थव्यवस्था का निर्माण करना जो ब्रेग्जिट के अवसरों को गले लगाए. ब्रिटेन में कई लोग मानते हैं कि सुनक राह से भटक गए ब्रिटिश इतिहास को दोबारा लिखेंगे.

तमाम अच्छी कहानियों की तरह यह कहानी भी शहर में एक नए शख्स के आगमन से शुरू होती है. कोई ऐसा जिसका ऊपर उठना कामयाबी की असाधारण कहानी है. सुनक के पंजाबी दादा-दादी 1960 के दशक में औपनिवेशिक पूर्व अफ्रीका से ब्रिटेन आए. उनके डॉक्टर पिता और फार्मासिस्ट मां ने पढ़ाई के लिए उन्हें कुलीन निजी स्कूल विनचेस्टर कॉलेज भेजा.

स्कूल के पूर्व छात्रों की कतार प्रभावशाली है—जनरल सर निक कार्टर (चीफ ऑफ द डिफेंस स्टाफ), डेविड जे. दाउलेस (जिन्होंने 2016 में भौतिकशास्त्र का नोबल पुरस्कार जीता), मंसूर अली खान पटौदी (मशहूर भारतीय क्रिकेटर) और जॉर्ज मैलोरी (एवरेस्ट पर्वतारोही). सुनक को सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का है कि वे विनचेस्टर के लिए कभी स्कॉलरशिप हासिल नहीं कर सके और उनके माता-पिता को सालाना फीस के तौर पर 43,000 पाउंड की भारी-भरकम धनराशि चुकानी पड़ी. 

मगर कुलीन निजी स्कूल के सभी छात्रों को ब्रिटिश मंत्रिमंडल की सदस्यता नहीं मिल पाती. इसके लिए शायद एक शताब्दी पहले स्थापित पाठ्यक्रम में नाम लिखवाना होता है. अंडरग्रेजुएट के तौर पर सुनक दर्शनशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और अर्थशास्त्र (पीपीई) पढ़ने के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के लिंकन कॉलेज गए. कर्जन पीआर की डायरेक्टर फरजाना बादुएल कहती हैं, ''किसी भी दूसरे विश्वविद्यालय के किसी भी दूसरे पाठ्यक्रम से कहीं ज्यादा, ऑक्सफोर्ड का पीपीई ब्रिटेन की राजनैतिक जिंदगी में गहरे पैठा हुआ है, और ऐसे तरीके से जो किसी भी अन्य लोकतंत्र में नहीं सुना गया.’’

दक्षिण से लेकर वाम तक, केंद्र से लेकर हाशिए तक, अव्वल दर्जे के एक्टिविस्टों से लेकर अति-पूंजीवादियों तक, बिगड़ैल लड़कों से लेकर दिलकश युवाओं तक पीपीई के स्नातकों ने ब्रिटेन के सियासी महलों के हर छोटे-बड़े कमरों में काम किया है. कैम्ब्रिज से आधुनिक इतिहास की पढ़ाई करके निकले लेबर पार्टी के नेता और विचारक मॉरिस ग्लासमैन कहते हैं, ''पीपीई में कुलीन विश्वविद्यालय की डिग्री की प्रतिष्ठा के साथ व्यावसायिक पाठ्यक्रम की मोहर जुड़ी है.

यह मंत्रिमंडल की सदस्यता के लिए मुकम्मल प्रशिक्षण है और यह जिंदगी का नजरिया देती है. यह अत्यंत गहरा सांस्कृतिक रूप है.’’ 2001 में ग्रेजुएशन करने के बाद सुनक कई महत्वाकांक्षी छात्रों की तरह सीधे गोल्डमैन सैक्स पहुंच गए. कैलिफोर्निया में एमबीए की डिग्री पूरी करके दो साल बाद 2006 में वे लंदन और मेफेयर लौटे, जहां एक नए किस्म का बुटीक फाइनेंस फल-फूल रहा था, जिसे 'हेज फंड’ कहा जाता था.

उन्हें सर क्रिस्टोफर हॉन ने द चिल्ड्रंस इन्वेस्टमेंट (टीसीआइ) फंड मैनेजमेंट में रख लिया, जो एक एक्टीविस्ट फर्म में ऐसी नौकरी थी जिसके लिए बहुत लोग लालायित रहते हैं. निजी शेयरपूंजी के लिए रणनीतिक टेक्नोलॉजी, उचित सतर्कता और मूल्य सृजन मुहैया करने वाली फर्म एक्ससेंशियस के डायरेक्टर सुमेश पुथियावीतिल कहते हैं, ''हेज फंड में दो किस्म के लोग होते हैं. खूबसूरत और चिकनी-चुपड़ी बातें करने वाले, जो ग्राहकों के पीछे तब तक लगे रहते हैं जब तक वे अपना पैसा देने को तैयार नहीं हो जाते, और ढीले-ढाले लोग जिनकी शर्ट के बटन तक करीने से नहीं लगे होते. ऋषि पहली किस्म के थे.’’

स्टैनफोर्ड में सुनक की मुलाकात अपनी पत्नी अक्षता मूर्ति से हुई, जो भारतीय टेक अरबपति एन.आर. नारायण मूर्ति की बेटी हैं. दोनों ने 2009 में बेंगलूरू में दो दिन के समारोह में शादी कर ली. बाद में सुनक उन्हें साउथैंप्टन लाए, जहां वे उन्हें परिवार के उस मंदिर ले गए जहां वे बचपन से जाते रहे थे, और कुटीज ब्रेसरी भी, जहां उन्होंने अपने छात्र दिनों में मेजें सजाई थीं. उनके पूर्व नियोक्ता कुटी मिया ने सुनक के लिए 200 लोगों के प्रीतिभोज में थाई खाने का इंतजाम किया.

पुथियावीतिल कहते हैं, ''शानदार दामाद को फिर जल्द ही मूर्ति की निजी पारिवारिक निवेश फर्म काटामरान इन्वेस्टमेंट में डायरेक्टर बना दिया गया. इससे पता चला कि अपने धन के मामले में मूर्ति को उन पर कितना भरोसा था.’’ फिर वे कंजर्वेटिव पार्टी के लिए रिचमंड की सुरक्षित सीट पर अचानक ऊपर से टपक पड़े, जिसे देखकर कई दिग्गज टोरी नेता भी अवाक् रह गए

ब्रिटिश पत्रकार और दिस इज लंदन तथा फ्रैजाइल एम्पायर के लेखक बेन जूडा कहते हैं, ''सुनक के संसदीय करियर को लेकर उनके अरबपति ससुर इतने उत्साही थे कि वे उड़े चले आए और ऋषि की स्वेटशर्ट पहने परचे बांट रहे थे.’’ सुनक ने उनके और अपनी पत्नी के बारे में मजाक में अपने दोस्तों से कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में वे दोनों अकेले प्रवासी हैं. सुनक ने कहा, ''ईमानदारी से कहूं तो मुझे लगता है कि यह मान लेना कि अल्पसंख्यकों को केवल अल्पसंख्यक सीटों से चुनाव लड़ना चाहिए, बड़ी मेहरबानी करना है.’’ 7 मई, 2015 को सुनक 50 फीसद से ज्यादा वोटों के साथ जीते.

फिर सुनक ब्रेग्जिट आंदोलन के समर्थन में उतर पड़े और उससे ज्यादा अहम यह कि उन्होंने बोरिस जॉनसन का पुरजोर समर्थन किया. 20 जुलाई, 2019 को थेरेसा मे को अपदस्थ करके प्रधानमंत्री की गद्दी संभालने के बाद जॉनसन ने उसी साल दिसंबर में जबरदस्त जीत के साथ कंजर्वेटिव पार्टी की सत्ता में वापसी पक्की की. जॉनसन ने सुनक को पहले चीफ सेक्रेटरी ऑफ ट्रेजरी की कुर्सी के लिए चुना और फिर फरवरी 2020 में साजिद जावेद को हटाकर उन्हें चांसलर ऑफ द एक्सचेकर (वित्त मंत्री) बना दिया.

ब्रिटिश वित्त मंत्रियों को औसतन पांच साल का मंत्रिमंडल का अनुभव हासिल होता है और वे कम से कम 15 साल संसद में बिता चुके होते हैं. सुनक आए और उन्होंने अपने लिए नए नियम तजवीज किए. सुनक तेजी से आगे बढ़ते गए. जब कोविड ने धावा बोला, जॉनसन से ज्यादा सुनक उस मौके के अहम शख्स बनकर उभरे. उन्होंने जरूरतमंदों और बेरोजगारों के लिए उदार नकद और फर्लो या अवकाश योजना की पेशकश की, तो उनका कद ऊंचा हो गया. उन्हें 'दयालु नेता’ कहा जाने लगा, हालांकि उन्होंने लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को थामने के लिए कठोर फैसले भी लिए.

इसके साथ ही, सुनक ने रणनीति, छवि निर्माण, विज्ञापन और सोशल मीडिया पर काम करने वाले एक स्वतंत्र क्रिएटिव स्टूडियो द क्लर्कनवेल ब्रदर्स के सह-संस्थापक कैस होरोविट्ज की मदद से अलग सार्वजनिक छवि बनाई. द आर्ट ऑफ पॉलिटिकल स्टोरीटेलिंग—व्हाइ स्टोरीज विन वोट्स इन पोस्ट-ट्रूथ पॉलिटिक्स पुस्तक के लेखक फिलिप सार्जेंट कहते हैं, ''उन्होंने और उनकी टीम ने जो विशेष दृष्टिकोण अपनाया.

वह शायद छवि गढ़ने और सोच को दर्शाने के विज्ञापन के पुराने तरीकों—भीड़ के बीच अलग व्यक्ति की तरह प्रस्तुत करना—से बहुत मिलता-जुलता है. इसलिए उनको एक ऐसे होशियार और मृदुभाषी शख्स की तरह पेश किया गया जो लोगों के बीच से उभरा है. यह हाल के दिनों में नेताओं की जुझारू व्यक्ति वाली लोकलुभावन छवि से अलग है. और इस वजह से वे भीड़ में भी अलग नजर आ जाते हैं.’’

सुनक ने जब पाया कि जॉनसन सरकार अराजक हो चुकी है तो उन्होंने जुलाई में चांसलर के अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे के तुरंत बाद किए ट्वीट में उन्होंने लिखा, ''जनता उम्मीद करती है कि सरकार सही ढंग से, पूरी क्षमता और गंभीरता से काम करे और उसकी यह अपेक्षा वाजिब है.’’ उनके इस्तीफे के बाद कई मंत्रियों के सरकार से हटने का सिलसिला शुरू हो गया जिसकी परिणति अंतत: जॉनसन के कुर्सी गंवाने के रूप में हुई.

हालांकि प्रधानमंत्री बनने की रेस में ट्रस से हार जाना उनके लिए बड़ा झटका था, लेकिन अंतत: यह भी उनके लिए एक तरह से फायदेमंद ही रहा. इससे सुनक को अर्थव्यवस्था को उस दलदल से बाहर निकालने के लिए और अधिक छूट और समय मिला है जिसमें वह डूब चुकी है. सुनक को न केवल जर्जर अर्थव्यवस्था को संभालना होगा, बल्कि कई धड़ों में बंट चुकी टोरी पार्टी और अपने पुनरुत्थान के लिए छटपटा रही लेबर पार्टी से भी निबटना होगा, जो 2025 तक इंतजार करने के बजाए तुरंत नए आम चुनावों की मांग कर रही है. सुनक ने चुने जाने के बाद पार्टी नेताओं से कहा था, ''यह हमारे लिए करो या मरो वाला क्षण है.’’

दूसरे नेताओं के मुकाबले युवा और दिखने में आकर्षक होने के अलावा अपने करिश्माई व्यक्तित्व, दुर्लभ आत्मविश्वास और किसी भी काम को हाथ में लेने के बाद उसे अंजाम तक पहुंचाकर ही दम लेने वाले शख्स की छवि के कारण सुनक लेबर पार्टी के लिए किसी भी अन्य टोरी उम्मीदवार की तुलना में अधिक कठिन प्रतिद्वंद्वी हैं.

एक टैब्लॉइड ने अपनी हेडलाइन में उनके लिए ''डिशी ऋषि’’ लिखा. ब्रिटिश मीडिया, जो नेताओं के लिए निर्मम और अपमानजनक दोनों हो सकता है, इस बारे में भी बात कर रहा है कि कैसे लेबर पार्टी ने एक अजीबोगरीब आंकड़े पर अपनी उम्मीदें टिका रखी हैं, जो मानता है कि लंबे कद वाले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की जीत होती है.

लेबर नेता सर कीर स्टार्मर और बोरिस जॉनसन दोनों कद में अपेक्षाकृत छोटे, 5 फुट 8 इंच के हैं. फिर भी लेबर लीडर 5 फुट 6 इंच की उंचाई वाले ऋषि से लंबे हैं. वे कहते हैं, ''छोटे ऋषि को लाओ.’’ ऋषि को इससे सांत्वना हो सकती है कि ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक और शक्तिशाली प्रधानमंत्रियों में एक, मार्गरेट थैचर 5 फुट 5 इंच की ही थीं.

थैचर की तरह, सुनक को ढहती अर्थव्यवस्था से निबटने और जनता का विश्वास बहाल करने के लिए कड़े और अपरंपरागत उपायों का सहारा लेना पड़ेगा. सुनक व्यावहारिक मध्यमार्गी नहीं है. न्यू स्टेट्समैन के सीनियर एडिटर जॉर्ज ईटन कहते हैं, ''वास्तव में, उनकी ताजपोशी कंजर्वेटिवों के बीच थैचरवादियों की जीत है. टोरी सदस्यों के सामने नवउदारवाद की दो किस्मों की पेशकश की गई थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति रीगन के अंदाज में टैक्स में कटौती की समर्थक ट्रस या फिर थैचर की तरह राजकोषीय अनुशासन के पक्षधर सुनक. ट्रस की नाकामी थैचर मॉडल के लिए अच्छा बहाना बना है.’’ उनका प्रमुख कार्य मतदाताओं को खुश करने के लिए महंगाई को नियंत्रित करना और पाउंड को स्थिर रखना तथा अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए जरूरी निवेश को आकर्षित करने के लिए ब्याज दरों को कम रखना है.

अर्थशास्त्री नितिन देसाई का कहना है कि इसके लिए सुनक को कड़े फैसले लेने होंगे. अगर वे और कर नहीं लगाना चाहते तो उन्हें कई मदों में खर्च में कटौती करनी होगी, खासकर रक्षा बजट में. ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पहले जैसी ताकत फिर से प्राप्त करनी है तो उसे यूरोप के साथ व्यापार संबंधों को बहाल करने के तरीके खोजने होंगे. 

द ओपन यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के एक वरिष्ठ लेक्चरर एलन शिपमैन कहते हैं, ''सरकार की लंबी अवधि की उधारी लागत, जो पहले शून्य के करीब थी, अक्तूबर के मध्य तक 5 प्रतिशत से ऊपर बढ़ गई थी, यहां तक कि बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी बॉन्ड से प्राप्तियों को कम रखने की मांग की थी. इसी बीच उपभोक्ता उधार की लागत भी बढ़ गई है, जिससे महामारी के बाद विकास को बढ़ावा देने वाले निवेश में उछाल की कोई उम्मीद नहीं है.

मुद्रास्फीति की आज जैसी उच्च दर ने भी, अतीत में, सार्वजनिक और निजी ऋण की लागत को कम करके सरकार के वित्तीय दबाव को घटाया है. लेकिन वह कवच पहले जैसा मजबूत नहीं है. सरकार के 25 प्रतिशत ऋण का भुगतान अब मुद्रास्फीति की दर के अनुरूप हो गया है, और ऋणदाता उधार लेने की लागत में वृद्धि की लागत को गिरवी और क्रेडिट कार्ड उधारकर्ताओं पर डाल रहे हैं.’’ सुनक आने वाले महीनों में अर्थव्यवस्था के लिए जो कुछ भी करेंगे वह ब्रिटेन का भले ही कुछ बना या बिगाड़ न पाए लेकिन सुनक की कुर्सी को या तो मजबूत कर देगा या फिर छीन ही लेगा.

जहां उनके प्रधानमंत्री बनने को लेकर भारत में बहुत उत्साह है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि वे राजा से भी अधिक वफादार और भारत के लिए सख्त साबित हो सकते हैं. उनके द्वारा सुएला ब्रेवरमैन को फिर से गृह मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाना भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत की कठिन राह का संकेत देता है जो दीवाली पर पूरी होनी थी.

जब ट्रस प्रधानमंत्री थीं, उनकी गृह मंत्री के रूप में ब्रेवरमैन ने कहा था कि उन्हें व्यापार सौदे को लेकर 'चिंता’ है क्योंकि इससे ब्रिटेन में आप्रवासन बढ़ेगा, और वीजा अवधि से ज्यादा समय तक ब्रिटेन में जमे रहने वालों में सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की होती है. उनकी टिप्पणियों ने नई दिल्ली को नाराजगी भरी प्रतिक्रियाओं के लिए उकसाया था.

अप्रैल में, दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को वर्तमान के 31 अरब डॉलर से दोगुना करने का लक्ष्य रखा था. भारत ब्रिटेन को चमड़े, वस्त्र, आभूषण और खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि करना चाहता है, जबकि ब्रिटेन, भारत में व्हिस्की पर लगने वाले 150 प्रतिशत के आयात शुल्क को कम करके और अधिक व्हिस्की बेचने का इच्छुक है. लेकिन वीजा नियमों में ढील भारत की मुख्य मांगों में रही है, और ब्रेवरमैन के आने से यह सौदा पटरी से उतर सकता है.

ऋषि के लिए दूसरी चुनौती अपनी उच्च वर्ग की पृष्ठभूमि से परे देखना और देश में जीवनयापन के संकट को दूर करना है. सुनक की अपार संपत्ति उनके खिलाफ जाती है, जिससे उन्हें उपहासपूर्ण तरीके से 'ऋषि रिच’ भी कहा जाता है. वे, उनकी पत्नी और दो बेटियां, कृष्णा और अनुष्का, ज्यादातर पश्चिमी लंदन में केनसिंग्टन में अपने पांच बेडरूम वाले घर में रहते हैं, जिसकी कीमत लगभग 70 लाख पाउंड है.

सप्ताहांत पर, परिवार उत्तरी यॉर्कशर के अपने निर्वाचन क्षेत्र रिचमंड के एक गांव किर्बी सिगस्टन में अपने जॉर्जियन मैनर हाउस (जागीरदारों के किले जैसे घर) में होता है. ग्रेड-2 सूचीबद्ध यह घर 2015 में खरीदा गया था जिसकी कीमत अब 20 लाख पाउंड से अधिक है.

बाद में, उसमें 4 लाख पाउंड खर्च करके इनडोर स्विमिंग पूल, जिम, योगा स्टूडियो, हॉट टब और टेनिस कोर्ट बनाया गया. ऊर्जा की बढ़ती लागत का मतलब है कि 12 मीटर लंबे और 5 मीटर चौड़े पूल को ही गर्म करने के लिए प्रति वर्ष 14,000 पाउंड से अधिक खर्च होंगे, जो एक औसत परिवार के ऊर्जा बिल का लगभग छह गुना है.

सुनक के अपने धन का ऐसा दिखावा ऐसे समय में है जब लाखों ब्रिटेनवासी सोच रहे हैं कि वे सर्दियों में कैसे जीवित बचेंगे क्योंकि दो-तिहाई आबादी महंगे ईंधन खरीदने में असमर्थ है. इस बीच उनके 450 पाउंड के प्राडा लोफर्स और 180 पाउंड के स्मार्ट कॉफी मग की सोशल मीडिया पर खूब आलोचना हुई है और भद्दे मीम्स बने हैं. सुनक परिवार के पास पश्चिमी लंदन में ओल्ड ब्रॉम्प्टन रोड पर अतिथियों के ठहरने लिए एक फ्लैट है, और सांता मोनिका बीच पर एक पेंटहाउस भी है जिसकी कीमत 50.5 लाख पाउंड है.

टेलीग्राफ के साथ एक पॉडकास्ट में, सुनक ने कहा कि वे इस सवाल से भाग नहीं रहे हैं, ''मैं इसका काफी स्वागत करता हूं. बहुत कम लोग इसे उठाते हैं. जब मैं चांसलर था, मैंने लोगों के साथ नियमित रूप से टाउन हॉल बैठकें कीं... मैंने क्या पहना रखा है, वह किसी के लिए प्रासंगिक नहीं था.’’ 

एक अर्ध-नग्न फकीर, जैसा कि विंस्टन चर्चिल ने अपमानजनक रूप से महात्मा गांधी के लिए कहा था, ने 1947 में शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को घुटनों पर ला दिया और उसे भारत को स्वतंत्रता देने के लिए मजबूर कर दिया. विडंबना यह है कि 75 साल बाद भारतीय मूल का एक वक्त, जिसके डिजाइनर सूट के क्रीज इतने नुकीले हैं कि वे आपको चुभ सकते हैं.

ब्रिटेन को आर्थिक संकट से बाहर लाने की कोशिश कर रहा है. महा ऋषि 10 डाउनिंग स्ट्रीट को अपना आश्रम बनाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, जहां से वे उस देश पर शासन करेंगे जिसकी कभी दुनियाभर में हुकूमत चलती थी.

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