क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी के अध्यक्ष के नाते उन्होंने मोदी-शाह जोड़ी के मातहत काम करते हुए भी अपनी अलग जगह बनाई
क्योंकि उन्होंने भाजपा-शासित उत्तराखंड (दो बार), असम, कर्नाटक और गुजरात में सत्ता का सुचारु स्थानांतरण पक्का किया. नए पदस्थ और निवर्तमान मुख्यमंत्रियों से ज्यादातर बातचीत प्रधानमंत्री मोदी ने की, पर यह नड्डा ही थे जिन्होंने यह पक्का किया कि सत्ता बदल के कारण कोई अप्रिय घटना न हो
क्योंकि ज्यादा असंतोष पैदा किए बगैर पार्टी में बदलाव लाने में नड्डा बहुत प्रभावी रहे. महिलाओं, ओबीसी, दलितों, आदिवासियों और युवा नेतृत्व को ज्यादा जगह देना इन बदलावों में शामिल है
फ्री किक नड्डा फुटबॉल के उत्कट अनुयायी और यूरोपीय चैंपियंस लीग सरीखे टूर्नामेंट के मुरीद रहे हैं. अपने युवा दिनों में वे तैराकी और घुड़सवारी में भी निपुण थे
बी.एल. संतोष, 56 वर्ष, महामंत्री (संगठन), भाजपा
भरोसेमंद कड़ी
क्योंकि वे संघ से संबद्ध संगठनों और भाजपा के बीच आरएसएस की आधिकारिक कड़ी हैं. भाजपा के संगठन से होने के नाते पार्टी के भीतर उनका जबरदस्त दबदबा है. जब वे किसी राज्य की यात्रा पर जाते हैं, तो कोई भाजपा मुख्यमंत्री उन्हें इंतजार करवाने की जुर्रत नहीं करता
क्योंकि उन्होंने संगठन और मंत्रिमंडल के फेरबदल में अहम भूमिका निभाई. दोनों बदलावों में उनके वफादारों को अहम पद मिले. अपने जानी दुश्मन बी.एस. येदियुरप्पा की कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से विदाई पक्की करने में भी संतोष की खासी भूमिका रही
क्योंकि वे दक्षिण भारत में भाजपा के अलंबरदार हैं. संतोष ने उत्तर प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, गोवा सरीखे राज्यों में पार्टी के आपस में झगड़ते धड़ों के बीच युद्ध विराम भी पक्का किया
ईंट दर ईंट संतोष पढ़ाई से इंजीनियर और भाजपा के पहले प्रोफेशनल डिग्रीधारी राष्ट्रीय महामंत्री भी हैं