राष्ट्रपति भवन के ठीक पीछे गुरुद्वारा रकाबगंज साहब 22 नवंबर के गुरुवार को लग्जरी गाडिय़ों की ठेलमठेल से दो-चार हो रहा था. गुरुद्वारे के भीतर से अंतिम अरदास में गाए जा रहे सबद की गूंज उठ रही थी. यह अंतिम अरदास गोलीबारी में मारे गए शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा और उनके भाई हरदीप के लिए थी.
यहां आए कारोबार और राजनीति के दिग्गज गुरुग्रंथ साहब की शरण में काली पगड़ी और सफेद कुर्ता-पाजामा में बैठे एक नौजवान का कंधा थपथपाकर उसे ढाढस बंधा रहे थे. यह नौजवान मोंटी चड्ढा था. अपने पिता की तरह शानो-शौकत जिंदगी के कायल मोंटी ने शायद ही कभी सोचा होगा कि 30 साल की उम्र में वे अपने पिता की अंतिम अरदास में शामिल होंगे और इतनी जल्दी पिता के साम्राज्य का वारिस बन जाएंगे.
मोंटी ने यह भले ही न सोचा हो लेकिन शायद पोंटी ने अपने बेटे को गद्दी सौंपने की तैयारी पहले ही कर ली थी. इस साल मार्च में जब उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ तो अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण समारोह में पोंटी अपने साथ बेटे मोंटी को ले जाना नहीं भूले. मोंटी अपने पिता की ही तरह स्कूल ड्रॉप आउट हैं और उन्हीं की तरह नेता औैर अफसरों से जुगलबंदी करने में उस्ताद.
इस साल अप्रैल में इंडिया टुडे को दिए एक साक्षात्कार में पोंटी ने कहा था कि उनके बेटे की शराब कारोबार में दिलचस्पी नहीं है. लेकिन जानकारों की मानें तो मोंटी पिछले एक साल से शराब के कारोबार में दखल बढ़ाने के साथ ही उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड के राजनैतिक आकाओं के बीच पैठ बनाने में जुटे हुए थे. वे पहले से ही परिवार की प्रमुख कंपनी वेव इंक का ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और कारोबार के बड़े हिस्से को संभाल रहे हैं.
मोंटी अपनी कारोबारी महत्वाकांक्षाओं का प्रदर्शन अपने पिता के वक्त में ही कर चुके थे जब उन्होंने नोएडा और गाजियाबाद में 4,000 करोड़ रु. की लागत से दो बड़ी रियल एस्टेट परियोजनाओं की घोषणा की थी. महज 19 लाख रु. की कीमत में नोएडा जैसे इलाके में फ्लैट मुहैया कराने की घोषणा कर मोंटी ने रियल एस्टेट के दिग्गजों को चौंका दिया था.
उनके पिता ने जहां शराब के बार खोलकर पैसा बनाया वहीं मोंटी शराब के साथ चिकन बार लाने का भी इरादा रखते हैं. वे अपने पॉल्ट्री कारोबार के लिए इज्राएल से ऐसी मशीनें मंगा रहे हैं जो देश में मौजूदा मशीनों से दोगुनी क्षमता वाली होंगी.
पोंटी की अंतिम अरदास में सपा महासचिव रामगोपाल यादव, कांग्रेस सांसद राज बब्बर, पी.एल. पुनिया, मोहम्मद अजहरुद्दीन, ओम प्रकाश चौटाला, शराब के धंधे में उनके प्रतिद्वंद्वी डी.पी. यादव और कर्ई दिग्गज कारोबारी पहुंचे. नेताओं की मौजूदगी इतना बताने के लिए काफी है कि पोंटी ने रिश्तों की जो बगिया सजाई थी उसमें अभी फूल खिले हुए हैं, लेकिन नया बागबां इसे कैसे सींचेगा, यह मोंटी के हुनर पर निर्भर करती है.
उनकी पहली परीक्षा अगले साल मार्च में होगी जब उनकी कंपनी को उत्तर प्रदेश में मिले शराब के होलसेल ठेके की मियाद खत्म हो जाएगी. इस ठेके के तहत मायावाती सरकार ने उत्तर प्रदेश में 14,000 करोड़ रु. का शराब कारोबार पोंटी के हाथ में सौंप दिया था. पोंटी की मौत के बाद उत्तर प्रदेश के पुराने शराब माफिया एक बार फिर अंगड़ाई लेंगे और नौसिखिया हाथों का इन मंझे खिलाडिय़ों से निपटना नए किस्म की चुनौती होगी.