scorecardresearch

विंडरमेयर थिएटर फेस्ट : ब्लैकबॉक्स में वज्रासन

बरेली के विंडरमेयर थिएटर फेस्ट का इस बार 14वां साल था, जिसमें मानव कौल के साथ-साथ कुछ और चर्चित नाम शामिल रहे

बरेली के रंग विनायक रंगमंडल के नाटक अवेकनिंग्स में दानिश (बाएं) और अजय चौहान
बरेली के रंग विनायक रंगमंडल के नाटक अवेकनिंग्स में दानिश (बाएं) और अजय चौहान
अपडेटेड 13 फ़रवरी , 2024

26 जनवरी की लपेट वाले हफ्ते में बरेली शहर में भी कोहरे का घना गणतंत्र था. उत्तर भारत के दूसरे शहरों की तरह प्राण प्रतिष्ठा वाले झंडों का झुंड. सिविल लाइंस के विंडरमेयर सभागार में चर्चित कवयित्री बाबुषा कोहली पाठ कर रही थीं: जिनके राम जाते हैं, उन्हीं के राम आते हैं; हमारे राम हममें हैं, कहीं आते न जाते हैं.

सामने श्रोताओं में मौजूद अभिनेता दानिश अहमद भी हैं. शहर के रंग विनायक रंगमंडल की चर्चित हो चली और इसी ब्लैकबॉक्स स्टेज पर होने वाली ढाई घंटे की रामलीला में वे राम होते हैं. अंत में उनकी आरती उतारने का सिलसिला लंबा खिंचने पर ऑडियंस को कहना पड़ता है कि भगवान थक गए हैं, आराम चाहते हैं.

कविता पाठ से पहले दानिश स्टेज पर विलियम के किरदार में थे. नाटक था अवेकनिंग्स, ब्रिटिश न्यूरोलॉजिस्ट ओलिवर सैक्स की इसी नाम की मशहूर किताब पर. पास के सिनेमाघरों में सीटों पर फैलकर फाइटर और मैं अटल हूं देखने के बजाय किशोर-किशोरियां ठसाठस भरे सभागार में घुप्प अंधेरे में अगली रो के दर्शकों के लगभग जूतों पर बैठने को जगह बना रहे थे. स्लीपिंग सिकनेस की यह करुण ट्रैजिडी देखने के लिए.

उन्हीं के बीच सिकुड़े-सिमटे, वज्रासन में बैठे हैं इस सभागार और पूरी आयोजना के सूत्रधार डॉ. ब्रजेश्वर सिंह. विंडरमेयर थिएटर और लिटरेचर फेस्टिवल का यह 14वां साल है. खुद को समेटकर उन्होंने जो जगह बनाई-बचाई है उससे कई चीजें शुमार हो पाई हैं.

मसलन, दुनिया भर का साहित्य. अवेकनिंग्स लिखने-निर्देशित करने का जिम्मा उन्होंने रंगविनायक की ही रंगकर्मी शुभा भट्ट भसीन को सौंपा. लेकिन 7-8 साल पहले अमेरिकी न्यूरोसर्जन डॉ. पॉल सुधीर कलानिधि की किताब व्हेन ब्रेथ बिकम्स एअर पर उन्होंने खुद पलाडिन नाम से नाटक लिखकर यहीं के कलाकारों से करवाया था. दर्शकों में दिग्गज अभिनेता विनीत कुमार मुंबई से और कई रंगकर्मी दूसरे शहरों से उनके बुलावे पर बस नाटक देखने चले आए हैं.

उधर, आधी रात के करीब पास ही की कॉलोनी में एक ठिकाने से डिनर करके लौटते हुए चर्चित अभिनेता मानव कौल टीम के 8-10 रंगकर्मियों के साथ घने कोहरे और घुप अंधेरे में भटक गए दिखते हैं. पर कोई शिकवा नहीं.

अपने सोलो पटना का सुपरहीरो समेत यहां तीन नाटकों में अभिनय करने वाले मुंबई के अरण्य थिएटर ग्रुप के घनश्याम लालसा के लिए विंडरमेयर घर जैसी जगह है. ''अरसे से यहां आता रहा हूं. मेरे सोलो में 30-40 लोग डॉक्टर साहब के अस्पताल के ही मौजूद थे.

उनके लिए यह ऐसा ही था कि चलो, बच्चा भी अच्छा काम करने लगा.’’ वे यह भी अंडरलाइन करना नहीं भूलते कि इस फेस्टिवल का क्यूरेशन और इंतजाम देश-दुनिया के कई उत्सवों से बेहतर है.

इस बार 24-31 जनवरी तक चले विंडरमेयर फेस्टिवल की आयोजकीय दृष्टि ने इसे शहर के एक अंतरंग सांस्कृतिक केंद्र में तब्दील कर दिया है. पर अब यहां से आगे बढ़ने की दरकार है. सार्थकता इसमें होगी कि विंडरमेयर धीरे-धीरे गंभीर चर्चा-विमर्श के केंद्र में तब्दील हो.

बरेली में कबूतरबाजी की परंपरा पर एक डॉक्यूमेंट्री भी प्रोड्यूस कर रहे डॉ. सिंह कहते हैं, ''शहर के मिजाज को देखते हुए और कौन-से पहलू जोड़े जाएं, इस पर संजीदा लोगों से मशविरा होता रहा है. देखते हैं, कहां तक कामयाबी मिलती है.’’

Advertisement
Advertisement