
उस दिन रांची के जेएससीए स्टेडियम में कैम्प लगा था. कैम्प में चहल-पहल थी, क्योंकि शहर के 'कल्ट हीरो' महेंद्र सिंह धोनी भी वहां मौजूद थे. एक खिलाड़ी को धोनी ने सलाह दी, "अच्छा खेलते हो, टिक के खेलो. आसानी से विकेट मत दो, कोशिश करो कि छक्का मारने के बाद सिंगल लो, एक ही ओवर में छह छक्के मारने की कोशिश मत करो."
यह सलाह एक बाएं हाथ के बल्लेबाज के लिए थी, जिसे रांची और आसपास का शहर 'रांची का गेल' कहता है. यह खब्बू बल्लेबाज लंबे-लंबे छक्के मारता है, और इसी में उसे खुशी मिलती है. उसके कोच चंचल भट्टाचार्य कहते भी हैं, "वह इस बात से ज्यादा चिंतित रहता है कि उसने कितना लम्बा छक्का मारा है, बजाय इसके कि वह कितनी देर क्रीज पर रुकता है."
बल्लेबाजी के अलावा यह खिलाड़ी विकेटकीपिंग का भी जिम्मा संभालता है.

इस विकेटकीपर बल्लेबाज का नाम रॉबिन मिंज है, और चंचल वही कोच हैं जिन्होंने धोनी को बचपन में ट्रेनिंग दी थी. रॉबिन का परिवार मूलरूप से झारखंड के आदिवासी क्षेत्र गुमला का रहने वाला है. उनके पिता फ्रांसिस जेवियर मिंज ने जब आर्मी जॉइन की, तो परिवार रांची में आकर बस गया. रांची में ही रॉबिन का क्रिकेट प्रेम परवान चढ़ा, और उन्होंने इसी शहर के सॉनेट क्रिकेट क्लब से ट्रेनिंग ली है. मंगलवार को हुई आईपीएल की नीलामी में मिंज को गुजरात टाइटंस ने मुंबई इंडियंस के साथ कड़ी स्पर्धा कर 3.60 करोड़ रुपए में खरीदा है.
रॉबिन के बल्लेबाजी कोच आसिफ हक उनकी तुलना खतरनाक कैरेबियाई बल्लेबाज क्रिस गेल से करते हैं. आसिफ कहते हैं कि रॉबिन को लंबे छक्के मारना पसंद है. नए जमाने के क्रिकेट खिलाड़ियों की तरह वो भी पहली ही गेंद से प्रहार करने जाता है. उसे 200 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करना पसंद है. कई बार उसे समझाया जाता है कि जमीनी शॉट खेलने पर ध्यान दो, लेकिन उसे यह समझाना बड़ा मुश्किल काम है.
मंगलवार को जब दुबई में नीलामी हो रही थी, तो रॉबिन के पिता रांची एयरपोर्ट पर बोर्डिंग पास लिए यात्रियों की सहायता कर रहे थे. आर्मी से रिटायर फ्रांसिस मिंज अब एक सिक्योरिटी गार्ड हैं, जिन्हें एक कम्पनी ने रांची एयरपोर्ट पर रखा है. इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से फ्रांसिस ने बताया कि नीलामी के दिन एक सीआईएसएफ जवान उनके पास आया और कहा, "अरे फ्रांसिस सर, आप तो करोड़पति बन गए."
चर्चा में आने के बाद भी फ्रांसिस जमीन से जुड़े नजर आते हैं. वे कहते हैं, "जब रॉबिन फ्लाइट से आईपीएल खेलने जाएगा, तो मैं यहीं एयरपोर्ट पर रहूंगा. मुझे ड्यूटी करनी है, मेरी दो बेटियां हैं, जो पढ़ रही हैं. मैं चाहता हूं कि रॉबिन भी अपना ग्रेजुएशन पूरा करे."
जूनियर मिंज के साथ-साथ फ्रांसिस मिंज के पास भी धोनी से जुड़ी एक कहानी है. दरअसल, ये धोनी का एक वादा था, जो उन्होंने फ्रांसिस के साथ किया था. मिंज बताते हैं, " हाल ही में एयरपोर्ट पर मेरी धोनी से मुलाकात हुई थी और उन्होंने मुझसे कहा था कि फ्रांसिस जी! कोई नहीं लेगा (नीलामी में अगर रॉबिन नहीं बिके) तो हम ले लेंगे." हालांकि इसकी जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन इस बात में कोई दोराय नहीं कि भारतीय टीम के पूर्व कप्तान छोटे-छोटे शहरों से आने वाले खिलाड़ियों की बड़ी प्रेरणा रहे हैं. मिंज भी उन्हीं में शुमार हैं.