रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप फ्रांसिस का 88 साल की उम्र में सोमवार, 21 अप्रैल को निधन हो गया. जनसंख्या के आधार पर दुनिया के सबसे बड़े धर्म, ईसाइयत की सबसे बड़ी शाखा के नेता के तौर पर, पोप फ्रांसिस 1.4 अरब लोगों के आध्यात्मिक गुरु थे.
2013 में पोप बनने के बाद से वे चर्च का नेतृत्व कर रहे थे. लेकिन अब उनके निधन के बाद चर्चित टीवी सीरीज 'गेम ऑफ थ्रोन्स' का एक डायलॉग एकदम सटीक बैठ रहा है - "द किंग इज डेड, लॉन्ग लिव द किंग."
वेटिकन में सदियों पुरानी रस्मों का सिलसिला शुरू हो गया है. यह एक युग का अंत है, और नई शुरुआत की तैयारी. पोप फ्रांसिस ने आखिरी बार 20 अप्रैल को ईस्टर संडे पर लोगों के सामने संक्षिप्त उपस्थिति दर्ज की थी. उन्होंने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से भी मुलाकात की थी. लेकिन हफ्तों से उनकी सेहत लड़खड़ा रही थी. 3 मार्च को उन्हें दो बार 'अक्यूट रेस्पिरेटरी फेलियर' का सामना करना पड़ा. 14 फरवरी को उन्हें नॉन-इनवेसिव मैकेनिकल वेंटिलेशन पर रखा गया.
निधन की पुष्टि और शुरुआती रस्में
पोप के निधन की आधिकारिक घोषणा के बाद वेटिकन अधिकारी उनकी मृत्यु की पुष्टि शुरू करते हैं. यह जिम्मेदारी आमतौर पर वेटिकन स्वास्थ्य विभाग और कैमरलेंगो (एक कार्डिनल या अधिकारी जो पोप के वित्तीय सचिव और कोषाध्यक्ष के रूप में काम करता है) की होती है. 77 साल के कार्डिनल केविन जोसेफ फैरेल फिलहाल कैमरलेंगो हैं. मृत्यु की पुष्टि के बाद वे शुरुआती इंतजामों की देखरेख करेंगे.
इसके बाद पोप के शव को उनके निजी चैपल में ले जाया जाएगा. वहां शव को सफेद कैसॉक पहनाया जाएगा और जस्ता-लगी लकड़ी के ताबूत में रखा जाएगा. उनके शव को लाल कपड़ों से सजाया जाएगा.
एक प्रतीकात्मक रस्म में, पोप की आधिकारिक मुहर, जिसे 'फिशरमैन रिंग' कहते हैं, को तोड़ दिया जाएगा. कैमरलेंगो इस रिंग को एक खास हथौड़े से तोड़ता है. यह भावुक क्षण इस मुहर के गलत इस्तेमाल की आशंका को खत्म करता है और पोप के कार्यकाल के अंत की पुष्टि करता है.
शोक और श्रद्धांजलि का दौर
पुष्टि और रस्मों के बाद, वेटिकन नौ दिन के शोक की घोषणा करेगा, जिसे ‘नोवेंडियाले’ कहते हैं. इस दौरान इटली राष्ट्रीय शोक दिवस की घोषणा कर सकता है. इन नौ दिनों में कई प्रार्थनाएं और स्मृति सभाएं होंगी, ताकि कैथोलिक समुदाय पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दे सके.
इस दौरान सबसे मार्मिक होगा पोप के शव का सार्वजनिक प्रदर्शन. पहले की परंपराओं से हटकर, उनका शव ऊंचे मंच पर नहीं रखा जाएगा, बल्कि यह ताबूत में ही रहेगा. यह पोप फ्रांसिस की सादगी और उनकी मृत्यु के लिए सादे इंतजामों की इच्छा के अनुरूप है. एक औपचारिक जुलूस उनके शव को सेंट पीटर बेसिलिका ले जाएगा, जहां हजारों श्रद्धालु, अधिकारी और दुनिया भर के लोग श्रद्धांजलि देने आएंगे.
इस शोक के दौरान वेटिकन ‘सेदे वकांते’ (खाली आसन) की स्थिति में होगा. इस संक्रमणकाल में चर्च का प्रशासन कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स के हाथों में होगा. नए पोप के चुने जाने तक कोई बड़ा फैसला नहीं लिया जाएगा.
अंतिम संस्कार और दफन
परंपरागत रूप से, पोप का अंतिम संस्कार उनके निधन के कुछ दिन बाद होता है. पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार उनके निधन के चार से छह दिन बाद होने की उम्मीद है, जिसके बाद नौ दिन तक अतिरिक्त समारोह होंगे. ये समारोह रोम के अलग-अलग चर्चों में होंगे.
दफन की प्रक्रिया भी अहम है. पहले पोप को साइप्रस, जस्ता और एल्म के तीन ताबूतों में दफनाया जाता था. लेकिन सादगी पसंद अपनी इच्छा के हिसाब से पोप फ्रांसिस को जस्ता-लगी एकल लकड़ी के ताबूत में दफन किया जाएगा. अंतिम संस्कार में उनके चेहरे पर सफेद रेशमी कपड़ा रखा जाएगा- यह जीवन से अनंत विश्राम की ओर संक्रमण का प्रतीक माना जाता है.
ताबूत में उनके शासनकाल में ढाले गए सिक्कों का बैग और ‘रोजिटो’ नाम का दस्तावेज रखा जा सकता है, जिसमें उनके जीवन और उपलब्धियों का ब्योरा होता है. इसे ताबूत बंद करने से पहले जोर से पढ़ा जाता है. प्राचीन परंपरा के मुताबिक, पोप फ्रांसिस को सेंट मैरी मेजर बेसिलिका में दफनाया जाएगा, जहां वह अक्सर निजी प्रार्थना के लिए जाया करते थे.
कॉन्क्लेव: नए पोप की तलाश
अंतिम संस्कार और दफन के बाद अगला बड़ा चरण है पापल कॉन्क्लेव. यह आमतौर पर पोप के निधन के 15 से 20 दिन बाद बुलाया जाता है. इस दौरान कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स, जो चर्च का अस्थायी नेतृत्व करता है, नए पोप के चुनाव की तैयारी करता है.
कॉन्क्लेव की अध्यक्षता 91 साल के कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स के डीन, कार्डिनल जियोवानी बतिस्ता रे करेंगे. केवल 80 साल से कम उम्र के कार्डिनल्स, जिनकी संख्या 120 है, मतदान के लिए पात्र होंगे. चुनाव सिस्टिन चैपल में एक निजी, कड़ी निगरानी वाले माहौल में होगा, ताकि फैसला बाहरी प्रभाव से मुक्त रहे.
डीन कॉन्क्लेव की देखरेख करता है, लेकिन 80 साल से ज्यादा उम्र होने के कारण वह वोट नहीं दे सकता. ऐसे में सब-डीन या कोई युवा वरिष्ठ कार्डिनल उनकी जगह ले सकता है.
चुनाव में कई दौर के मतदान होते हैं. अगर कोई उम्मीदवार दो-तिहाई बहुमत नहीं पाता, तो मतपत्रों को जलाया जाता है. चिमनी से निकलने वाला काला धुआं बताता है कि कोई फैसला नहीं हुआ, जबकि सफेद धुआं नए पोप के चुने जाने की खबर देता है.
नए पोप की घोषणा
जैसे ही कोई उम्मीदवार दो-तिहाई बहुमत हासिल करता है, औपचारिक प्रक्रियाएं तेजी से शुरू होती हैं. कॉलेज ऑफ कार्डिनल्स का डीन चुने गए उम्मीदवार से पूछता है कि क्या वह पोप का पद स्वीकार करता है.
उम्मीदवार को फिर एक पापल का नाम चुनना होता है—यह फैसला उनके आध्यात्मिक नेतृत्व की शुरुआत का प्रतीक है. नाम चुनने के बाद नया पोप पारंपरिक रूप से सफेद कैसॉक पहनता है, जो पवित्रता और नई शुरुआत का प्रतीक है. इसके बाद एक वरिष्ठ कार्डिनल सेंट पीटर बेसिलिका के बालकनी से ऐतिहासिक शब्दों में घोषणा करता है—"हबेमुस पापम" (हमें पोप मिल गया है).
यह घोषणा सेंट पीटर स्क्वायर में जमा हजारों लोगों और दुनिया भर में करोड़ों दर्शकों के सामने होगी, जो चर्च के नए युग की शुरुआत करेगी. आने वाले हफ्ते वेटिकन के इतिहास में निर्णायक होंगे. इन समारोहों का ब्योरा जल्द ही सामने आएगा.