scorecardresearch

अनंत अंबानी की तरह आप भी खोल सकते हैं प्राइवेट चिड़ियाघर, लेकिन पहले इन नियमों को समझ लीजिए

किसी भी तरह के चिड़ियाघर को खोलने के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मान्यता लेना अनिवार्य होता है

वनतारा प्रोजेक्ट अनंत अंबानी की देखरेख में विकसित किया जा रहा है
वनतारा प्रोजेक्ट अनंत अंबानी की देखरेख में विकसित किया जा रहा है
अपडेटेड 8 मार्च , 2024

पिछले कुछ दिनों से गुजरात का जामनगर लगातार खबरों में है. वजह है भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक मुकेश अंबानी के छोटे बेटे अनंत अंबानी का प्री वेडिंग समारोह. इसमें शिरकत करने के लिए देश-विदेश से कई सारी प्रसिद्ध हस्तियों का जमावड़ा यहां देखने को मिला.
 
अनंत के प्री वेडिंग समारोह के अलावा 'वनतारा' की भी काफी चर्चा रही. अनंत अंबानी के नेतृत्व तले रिलायंस ग्रुप की इस योजना का मकसद है जंगली जानवरों की देखभाल और संरक्षण. यह एक तरह से 'प्राइवेट जू' यानी 'निजी चिड़ियाघर' है. यहां हाथियों सहित और भी कई सारे जंगली जानवरों को रखे जाने की प्लानिंग है.
 
हालांकि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के एक तबके ने अनंत के प्री-वेडिंग समारोह में शिरकत करने वाले मेहमानों को इन जंगली जानवरों को दिखाने पर अपनी आपत्ति जाहिर की थी. भारत के अलग-अलग कोनों से जानवरों को जामनगर भेजे जाने पर भी आपत्ति के स्वर सुनाई पड़े हैं.
 
इन आपत्तियों से इतर 'वनतारा' को केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने मिनी जू की मान्यता दे दी है. इसका संचालन भी साल 2021 से ग्रीन जूलोजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (जीजेडआरआरसी) की तरफ से किया जा रहा है. ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि क्या भारत में निजी चिड़ियाघर खोलने की मंजूरी है? साथ ही चिड़ियाघर में जानवरों की देखभाल, स्वास्थ्य और दाह संस्कार को लेकर क्या कायदे तय हैं?
 
भारत में वन्यजीवन (संरक्षण) कानून, 1972 की धारा 38 एच के प्रावधानों के तहत चिड़ियाघरों का संचालन किया जाता है और नियम बनाए जाते हैं. इसी कानून के तहत साल 1992 में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण की स्थापना हुई थी. इसी के जरिए देश भर के चिड़ियाघरों की निगरानी और रख-रखाव किया जाता है.
 
किसी भी तरह के चिड़ियाघर को खोलने के लिए केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से मान्यता लेना अनिवार्य है. चिड़ियाघरों का संचालन 2009 में संशोधित किए गए 'चिड़ियाघर मान्यता नियमों' के तहत ही होता है. नियमों के मुताबिक किसी चिड़ियाघर को मान्यता देने के लिए वन्यजीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 38 के तहत प्रोजेक्ट रिपोर्ट और 10 हजार रुपये के डिमांड ड्राफ्ट के साथ आवेदन भेजना होता है. इसके बाद सुविधाओं और मानकों के आधार पर मान्यता दी जाती है.
 
भारत में क्षेत्रफल, सालाना दर्शकों की संख्या, प्रजातियों की संख्या, पशुओं की संख्या, संकटग्रस्त प्रजातियों की संख्या और संकटग्रस्त पशुओं की संख्या के आधार पर चिड़ियाघर का वर्गीकरण होता है. साथ ही चिड़ियाघरों को कुछ नियमों का पालन करना होता है. जैसे हर एक प्रजाति के पशुओं के जन्म, प्राप्ति और मृत्यु का रिकॉर्ड रखना, दर्शकों के सामने स्वस्थ पशुओं को रखना, पौधे लगाकर प्राकृतिक वातावरण बनाए रखना, दर्शकों की संख्या को रेगुलेट करना, परिसर के भीतर कोई कॉलोनी ना बनाना और कम से कम दो मीटर ऊंची दीवार बनाना.
 
जानवरों की देखभाल और चिकित्सकीय सहायता के लिए भी मानक तय हैं. चिड़ियाघरों में जानवरों की देख-रेख करने वाले, पशु चिकित्सक, शिक्षा अधिकारी और जीव विज्ञानी की नियुक्ति की जाती है. पशुओं के खाने-पीने और साफ सफाई के भी पुख्ता इंतजामों का होना अनिवार्य है. इसके अलावा पशु चिकित्सा, ओपीडी और पोस्टमार्टम हाउस भी होना चाहिए.
 
एक नियम यह भी है कि किसी जानवर की मृत्यु के मामले में डॉक्टर पहले उसके शव का परीक्षण करेंगे. इसके बाद उनके शव को इस तरह से जलाया या दफनाया जाएगा जिससे कि चिड़ियाघर की साफ-सफाई पर कोई असर ना पड़े. अगर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत शेड्यूल – 1 में आने वाले किसी पशु की मृत्यु होती है तो राज्य के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन और चिड़ियाघर प्राधिकरण को पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ सूचना भी देनी होती है. बाघों के मामले में चिड़ियाघर को उसके नाखूनों और दातों का संरक्षण करना अनिवार्य है.
 
भले ही रिलायंस ग्रुप के 'वनतारा' प्रोजेक्ट की कुछ लोग आलोचना कर रहे हों पर कई सारे लोगों ने इसकी सराहना भी की है. समर्थन करने वाले तर्क देते हैं कि यह एक अच्छी पहल है. क्योंकि भारत में तेजी से जंगल कम हो रहे हैं. साथ ही विदेशों में भी निजी स्तर पर इस तरह की कई सारी पहलें हो रही हैं. वन विभाग के पास भी संसाधन सीमित हैं. ऐसे में अगर लोग इस पहल में आगे आते हैं तो यह पर्यावरण संरक्षण के हिसाब से बेहतर होगा.

Advertisement
Advertisement