शाहीनबाग. दिल्ली के लाल किले से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित एक इलाका. 2019 में 15 दिसंबर को अचानक यही शाहीनबाग सुर्खियों में था. एक बार जो सुर्खियों में आया तो कई हफ़्तों तक हेडलाइन में ये इलाका बना ही रहा. क्यों? क्योंकि शाहीनबाग के लोग और ख़ासकर महिलाएं नागरिकता संसोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप (सीएए-एनआरसी) का विरोध कर रही थीं.
ये महिलाएं शाहीनबाग में कैंप लगाकर धरने पर बैठ गईं. रात-दिन वहीं रहने लगीं. इनके प्रदर्शन में एक काम था जिसे किसी डेली रूटीन की तरह फॉलो किया जाता था- भारतीय संविधान की प्रस्तावना का पाठ. "हम भारत के लोग..." इसी वाक्य से प्रस्तावना शुरू होती है. और शाहीनबाग में आंदोलनकारियों का दिन भी इसी लाइन से शुरू हो रहा था.
क्यों पढ़ते थे ये लोग संविधान की प्रस्तावना? क्या ख़ास है इसमें? क्या प्रतीकात्मकता गढ़ने की जुगत हुई थी? प्रस्तावना से पता चलता है कि हमारे संविधान का लक्ष्य क्या है और ये संविधान 'हम भारत के लोगों' को क्या अधिकार देता है. प्रस्तावना से संविधान की प्रकृति पता चलती है. देश के हर नागरिक को संविधान की प्रस्तावना को न सिर्फ कायदे से पढ़ना चाहिए बल्कि उसमें निहित संदेश को भी समझना चाहिए.
भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे फ़िल्म्स डिविजन ने 1973 में एक दिलचस्प एनिमेशन वीडियो बनाया था. इसे बर्कले हिल ने लिखा था, एनिमेशन में उन्हीं की आवाज़ भी शामिल है. बीआर डोह्लिंग, वीजी पाटकी, बीआर शिंदगे और वीजी समंत ने मिलकर एनिमेशन तैयार किया था. डायरेक्शन का जिम्मा संभाला था जी.के. गोखले ने. 75वें गणतंत्र दिवस के मौके पर आप भी देखिए ये एनिमेशन और देश के संविधान की प्रस्तावना को समझिए.