
हाल ही में केटी पेरी और पांच अन्य महिलाओं ने ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड रॉकेट से अंतरिक्ष की सैर कर सुर्खियां बटोरीं. यह पहली पूर्ण महिला अंतरिक्ष उड़ान थी, जो 11 मिनट तक चली. मगर आज से 61 साल पहले, जब पॉप स्टार कैटी पेरी का जन्म भी नहीं हुआ था, सोवियत संघ की एक फैक्ट्री मजदूर अंतरिक्ष यात्रा कर इतिहास रच दिया था.
16 जून, 1963 को कपड़ा और टायर फैक्ट्री में काम करने वाली 26 साल की वेलेंटीना तेरेश्कोवा ने तीन दिन तक अंतरिक्ष में अकेले उड़ान भरी. 48 बार पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली तेरेशकोवा की पैराशूट की दीवानगी ने वापसी में उनकी जान बचाई. आज जब हम पहली पूर्ण महिला अंतरिक्ष उड़ान का जश्न मना रहे हैं, तो वेलेंटीना तेरेश्कोवा की कहानी को याद करना जरूरी है.
फैक्ट्री से अंतरिक्ष तक का सफर
वेलेंटीना तेरेश्कोवा का अंतरिक्ष का रास्ता आसान नहीं था. सोवियत संघ के मास्लेनिकोवो गांव की इस लड़की ने बचपन में दुश्वारियां झेलीं. जब वे दो साल की थीं, उनके पिता सोवियत आर्मी की तरफ से लड़ते हुए द्वितीय विश्व युद्ध के फिनिश शीत युद्ध में शहीद हो गए. किशोरावस्था में उन्होंने अपनी मां के साथ टेक्सटाइल मिल में काम शुरू किया. बाद में वे टायर फैक्ट्री में चली गईं. लेकिन उनकी जिंदगी तब बदली, जब फैक्ट्री के बुलेटिन बोर्ड पर एक विज्ञापन ने उनका ध्यान खींचा—‘पैराशूट क्लब’.
शुरुआत में हिचक के बावजूद, उन्होंने पैराशूटिंग शुरू की. 1959 में तेरेश्कोवा ने अपनी पहली छलांग लगाई और जल्द ही वे अकेले छलांग लगाने लगीं. यह शौक, जो जिज्ञासा और फैक्ट्री की एकरसता से बचने की चाह से शुरू हुआ, बाद में उनकी जिंदगी बदलने वाली जादू की छड़ी सरीखा साबित हुआ.
1960 के दशक में शीत युद्ध अपने चरम पर था. सोवियत संघ और अमेरिका अंतरिक्ष की होड़ में थे. 1961 में यूरी गागरिन के पहले इंसान के तौर पर अंतरिक्ष में जाने के बाद सोवियत संघ पर दबाव था कि वह अमेरिका को और पीछे छोड़े. तभी सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम ने महिलाओं को कॉस्मोनॉट बनाने की योजना बनाई.
वेलेंटीना न पायलट थीं, न वैज्ञानिक. वे एक टायर और टेक्सटाइल वर्कर थीं, जिन्हें पैराशूटिंग का जुनून था. लेकिन वे सोवियत मानकों पर खरी उतरीं: 30 साल से कम उम्र, 70 किलो से कम वजन, 170 सेंटीमीटर से कम कद, और प्रशिक्षित पैराशूटिस्ट.

स्टार सिटी में गागरिन के साथ प्रशिक्षण
400 से ज्यादा आवेदकों में से पांच महिलाएं चुनी गईं, और वेलेंटीना उनमें से एक थीं. उन्होंने अपने गांव, परिवार और प्यारी वोल्गा नदी को अलविदा कहा और मॉस्को के पास ‘स्टार सिटी’ पहुंचीं : वह गुप्त सोवियत प्रशिक्षण केंद्र, जो अब यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर कहलाता है.
पांचों महिलाओं को कठिन शारीरिक और मानसिक परीक्षणों से गुजरना पड़ा. उस दौर में महिलाओं का अंतरिक्ष में जाना विवादास्पद था. कई लोग इसे पब्लिसिटी स्टंट मानते थे. वेलेंटीना ने अपनी किताब द फर्स्ट लेडी ऑफ स्पेस: इन हर ओन वर्ड्स में लिखा, "लंबे समय से यह धारणा थी कि औरत कमजोर होती है. 'वीकर सेक्स' जैसा मुहावरा भी है. क्या यह सच है? प्रशिक्षण के जरिए हमें इसका जवाब देना था."
स्टार सिटी में एक साल का कठिन प्रशिक्षण शुरू हुआ. इसमें क्लासरूम लेक्चर, सेंट्रीफ्यूज टेस्ट, वेटलेसनेस सिमुलेशन, ऊंचाई से पैराशूट जंप, और हीट चैंबर में टेस्ट शामिल थे. वेलेंटीना के लिए क्लास में बने रहना भी चुनौती थी. लेकिन उनके साथ थे उनके हीरो.
वेलेंटिना लिखती हैं, "क्लास में मैं अक्सर यूरी गागरिन या जर्मन टिटोव के पास बैठती थी. हम स्कूल के बच्चों की तरह एक ही डेस्क पर थे. मुझे वही करना था जो वे करते थे- सिग्नल लेना, उन्हें डीकोड करना, और खगोलशास्त्र की टेबल बनाना. उनके साथ मुकाबला करना मुश्किल था! कभी-कभी मैं हिम्मत हारने लगती, लेकिन वे मुझे हौसला देते."
पैराशूट जंप, जिसमें वेलेंटीना माहिर थीं, कई बार करवाया जाने लगा. भले ही हर लैंडिंग परफेक्ट न रही हो, लेकिन वे डटी रहीं.
ख्रुश्चेव और तेरेश्कोवा का चयन
पांचों महिलाओं ने कड़ा प्रशिक्षण लिया, लेकिन वेलेंटीना की पैराशूटिंग ने उन्हें बाकियों से आगे रखा. वोस्तोक कैप्सूल में कॉस्मोनॉट्स को री-एंट्री के दौरान इजेक्ट होकर पैराशूट से उतरना पड़ता था. उच्च दबाव वाले सिमुलेशन और शारीरिक सहनशक्ति में भी वेलेंटीना ने बाजी मारी. उनका अनुशासन, विनम्रता और सोवियत मिशन के प्रति वफादारी ने उन्हें आदर्श उम्मीदवार बनाया.
वेलेंटीना की छवि भी सोवियत संघ के लिए मुफीद थी. एक मजदूर वर्ग की लड़की, जिसके पिता युद्ध नायक थे, वह "जनता की बेटी" थी, जो सितारों तक पहुंची. 2019 में स्मिथसोनियन मैगजीन ने लिखा, "सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव एक 'गागरिन इन स्कर्ट' की तलाश में थे."
लेकिन यह कहना कि सिर्फ छवि की वजह से चयन हुआ, गलत होगा. वेलेंटीना का अनुशासन और दृढ़ संकल्प उन्हें वाकई खास बनाता था. आखिरकार उनका चयन हुआ. उन्हें कॉल साइन मिला—"चायका" (सीगल - एक समुद्री पक्षी), और मिला वोस्तोक 6 में एकल उड़ान का मौका.
अंतरिक्ष में तीन दिन
16 जून 1963 को वेलेंटीना शांत आत्मविश्वास के साथ वोस्तोक 6 की ओर बढ़ीं. यूरी गागरिन ने 1974 के एक डॉक्यूमेंट्री में कहा, "वह न सिर्फ अंतरिक्ष में उड़ेंगी, बल्कि पुरुषों की तरह अंतरिक्षयान को नियंत्रित करेंगी. लैंडिंग के बाद हम देखेंगे कि कौन बेहतर है."
लॉन्च के कुछ मिनट बाद वेलेंटीना ने रेडियो पर कहा, "चायका, चायका, सब कुछ शानदार है, मशीन बढ़िया काम कर रही है."
वोस्तोक 6 के छोटे से कैप्सूल से उन्होंने वह अनुभव किया, जो इससे पहले किसी महिला ने नहीं किया था. तीन दिन तक उन्होंने पृथ्वी के 48 चक्कर लगाए. कुछ प्रयोग किए, अंतरिक्षयान को नियंत्रित किया, और वोस्तोक 5 में सवार दूसरे सोवियत कॉस्मोनॉट वालेरी बाइकोव्स्की के साथ नियमित संपर्क में रहीं.
आग के बीच वापसी
मिशन के अंत में "सब कुछ अपनी जगह पर" होना था, वेलेंटीना ने याद किया. वापसी के वक्त उनके साथ आए बाइकोव्स्की को पहले उतरना था, लेकिन उन्होंने वेलेंटीना को पहले जाने दिया. वोस्तोक 6 के पृथ्वी पर लौटते वक्त वेलेंटीना ने ब्रेकिंग इंजनों की गर्जना सुनी. दबाव ने उन्हें सीट पर धकेल दिया. कैप्सूल के बाहर खिड़कियों पर आग की लपटें दिखीं.
री-एंट्री के घर्षण और गर्मी के बावजूद वेलेंटीना शांत रहीं. उन्होंने अपनी किताब में लिखा, "मैंने खिड़कियों के बाहर गहरे लाल रंग की आग की लपटें देखीं. मेरा दिमाग शांत और तार्किक रूप से काम कर रहा था. (मुझे विश्वास था) हमारा उपकरण फेल नहीं होगा; यान ठीक जगह पर उतरेगा और ऐसा ही हुआ."

20,000 फीट की ऊंचाई पर अंतरिक्ष यान से निकलने के बाद वेलेंटीना ने अपनी सालों की पैराशूटिंग की कला का इस्तेमाल किया, जिसे वह कभी लेने से हिचक रही थीं. लैंडिंग परफेक्ट थी. वे चोटिल हुईं, लेकिन विजयी भी. कजाकिस्तान (तब सोवियत संघ का हिस्सा) में धूल के गुबार के बीच वे उतरीं और स्थानीय लोग उनकी मदद को दौड़े.
एक नया इतिहास
वेलेंटीना की उपलब्धि सिर्फ लैंगिक समानता की जीत नहीं थी. यह कम्युनिस्ट सोवियत संघ के लिए बड़ा लम्हा था. "चायका", जो सचमुच सीगल की तरह उड़ी, को सोवियत संघ की नायिका का सम्मान मिला. बाद में वे सियासत में आईं. आज 88 साल की वेलेंटीना रूस की संसद, स्टेट ड्यूमा, की सदस्य हैं. उनकी उड़ान ने अंतरिक्ष के पूरे विमर्श को बदल दिया. जैसा उन्होंने कहा था, "मुझे यकीन है कि वह वक्त आएगा, जब लोग आराम करने, रोजमर्रा की जिंदगी से अलग होने के लिए अंतरिक्ष में जाएंगे." वह वक्त अब आ चुका है.