
जनवरी की 22 तारीख को आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने 'मिडिल क्लास' मैनिफेस्टो के रूप में एक राजनीतिक गुगली डाली थी. इस तरह, 'आप' ने केंद्रीय बजट से पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी को घेरने की कोशिश की थी. आप के उस मैनिफेस्टो में कुल सात मांगें की गई थीं जिनमें एक थी - आयकर छूट को सालाना 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाए.
दिल्ली चुनाव में 'मिडिल क्लास' को साधने की कवायद में अब बारी बीजेपी की थी. 1 फरवरी को पेश केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर छूट की सीमा में न सिर्फ बढ़ोत्तरी की, बल्कि एक कदम आगे बढ़कर इसे 12 लाख रुपये तक कर दिया. इस तरह बीजेपी ने इस आम बजट के जरिए न सिर्फ 'मिडिल क्लास' को रिझाने की भरपूर कोशिश की, बल्कि अब आप के माथे पर भी शिकन ला दी.
मौजूदा समय में भगवा दल की देश के हर हिस्से में प्रभावी पहुंच है, लेकिन पार्टी 1998 के बाद से राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता हासिल नहीं कर पाई है. ऐसे में बीजेपी के लिए 'मिडिल क्लास' का दिल जीतना बेहद जरूरी था. आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपये सालाना करने से कम और मध्यम आय वाले करदाताओं की जेब में ज्यादा पैसे आएंगे. और ऐसा करके नरेंद्र मोदी सरकार अनिवार्य रूप से इस अहम मतदाता वर्ग को ये बता रही है कि बीजेपी उसके साथ खड़ी है.
इसके अलावा बीजेपी का यह 'आप' की रणनीति की हवा निकालने का एक चतुर तरीका भी है. कैसे, आइए समझते हैं.
'आप' को कैसे उसके ट्रैक पर रोका जा रहा है?
ऊपर बताया गया है कि कैसे अरविंद केजरीवाल ने आप के मिडिल क्लास मैनिफेस्टो को जारी कर बीजेपी को घेरने की कोशिश की थी. केंद्रीय बजट से पहले जारी किए गए आप के इस मैनिफेस्टो में केंद्र सरकार के सामने सात बड़ी मांगें रखी गई थीं. इनमें से एक यह थी कि आयकर छूट को सालाना 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये किया जाए. 1 फरवरी को पेश आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक कदम आगे बढ़कर इसे 12 लाख रुपये कर दिया.
इससे एक दिन पहले 31 जनवरी को पीएम मोदी ने संसद में अपने भाषण में कुछ संकेत भी दिए थे. उन्होंने कहा, "मैं देवी लक्ष्मी से प्रार्थना करता हूं कि देश के हर गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को आशीर्वाद मिले."
असल में यह नैरेटिव पूरे बजट में ही बुना गया था. वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने बजट भाषण की शुरुआत में कहा, "केंद्रीय बजट 2025-26 विकास में तेजी लाने, समावेशी विकास को सुरक्षित करने, निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने, सामुदायिक भावनाओं को ऊपर उठाने और भारत के बढ़ते मध्यम वर्ग की खर्च करने की शक्ति को बढ़ाने के सरकार के प्रयासों को जारी रखने का वादा करता है."
सरकार ने रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं के मुद्दे को हल करने के लिए SWAMIH (किफायती और मध्यम आय आवास के लिए विशेष विंडो) फंड 2 की भी घोषणा की. यह 15,000 करोड़ रुपये की एक मिश्रित वित्त सुविधा है. यह पहल SWAMIH फंड की सफलता पर आधारित है, जिसने पहले ही 50,000 आवासीय इकाइयों को पूरा कर लिया है और 2025 में 40,000 और पूरा करने की योजना है.
SWAMIH फंड नवंबर 2019 में शुरू हुआ था. इसका उद्देश्य रियल एस्टेट सेक्टर में फंसी आवासीय परियोजनाओं को वित्तीय सहायता देना है. कई ऐसे प्रोजेक्ट हैं, जो कानूनी अड़चनों, वित्तीय संकट या अन्य कारणों से अधूरे रह गए हैं. यह फंड उन परियोजनाओं को पुनर्जीवित करेगा और घर खरीदारों को राहत प्रदान करेगा.
SWAMIH फंड 2 का उद्देश्य भारत भर में एक लाख अतिरिक्त अधूरी आवास इकाइयों को पूरा करने में तेजी लाना है. इससे मिडिल क्लास के परिवारों को राहत मिलेगी जो वर्तमान में अपने अधूरे घरों पर लोन EMI और मौजूदा आवासों के किराए का भुगतान करने के बोझ तले दबे हुए हैं. इस फंड को सरकार, बैंकों और निजी क्षेत्र के निवेशकों के योगदान के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा, जो आवास क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए एक सहयोगी दृष्टिकोण को बताता है.
सीतारमण ने नई टैक्स व्यवस्था का खुलासा करने से पहले कहा, "इन उपायों में विस्तार से बताया जाएगा कि किस तरह हमारी सरकार ने पीएम मोदी के मार्गदर्शन में हमारे नागरिकों की जरूरतों को समझने और उनका समाधान करने के लिए कदम उठाए हैं." नए बजट में 12 लाख रुपये तक कर माफी के लिए सरकार पर 1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा.
दिल्ली का मिडिल क्लास किस पर होगा मेहरबान?
लोकनीति-सीएसडीएस (सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज) के आंकड़ों के मुताबिक, 2020 के दिल्ली चुनाव में 53 फीसद 'मिडिल क्लास' ने AAP का समर्थन किया था. जबकि 39 फीसद लोगों ने बीजेपी को वोट दिया.
हालांकि, पिछले साल मई-जून में हुए लोकसभा चुनावों के समय तक बीजेपी ने शहरवासियों के बीच पैठ बना ली थी. यह तबका करों और ईंधन की कीमतों जैसे आर्थिक कारकों से लगातार प्रभावित होता जा रहा है. बहरहाल, बजट 2025 के फायदों ने उन 'स्विंग' वोटरों के साथ सौदा पक्का किया या नहीं, इस पर संशय है. लेकिन यह कहा जा सकता है कि इससे मिडिल क्लास के लिए होने वाले लाभ ठोस हैं.
लेकिन जैसा कि अनुमान था, केजरीवाल इससे संतुष्ट नहीं दिखे. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "देश के खजाने का एक बड़ा हिस्सा चंद अमीर अरबपतियों के कर्ज माफ करने में खर्च हो जाता है. मैंने मांग की थी कि बजट में यह घोषणा की जाये कि अब किसी भी अरबपति का कर्ज माफ नहीं किया जायेगा. इससे बचे पैसे से मध्यम वर्ग का होम लोन और वाहन लोन माफ किया जाए; किसानों का कर्ज माफ किया जाए. आयकर और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की दरें आधी की जानी चाहिए. मुझे दुख है कि ऐसा नहीं किया गया."
आप सुप्रीमो की यह प्रतिक्रिया पार्टी की उस लाइन के अनुरूप है जिसमें केजरीवाल को 'मिडिल क्लास के वास्तिवक उद्धारक' के रूप में प्रचारित किया जाता है. बहरहाल, आखिर में एक ही चीज अहम होती है - वोट.
अगर बीजेपी आखिरी समय में मिडिल क्लास तक अपनी पहुंच का फायदा उठाने में सफल हो जाती है और विधानसभा की पर्याप्त सीटें जीत लेती है, तो 8 फरवरी को नतीजों के दिन दिल्ली का राजनीतिक परिदृश्य काफी अलग दिख सकता है.
- अभिषेक जी. दस्तीदार
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