साल भर में यूपी को कैसे गरीबी से मुक्त करेगी योगी सरकार?
योगी आदित्यनाथ सरकार ने शुरू किया "जीरो पॉवर्टी अभियान". अगले एक साल में प्रत्येक ग्राम पंचायत में निर्धनतम परिवारों को चिह्नित कर उन्हें गरीबी से बाहर निकालकर उत्तर प्रदेश को देश का पहला "जीरो पॉवर्टी राज्य" बनाने का लक्ष्य रखा गया है. कार्यक्रम में तेजी लाने के लिए होगा डिजिटल तकनीकी का उपयोग

राजधानी लखनऊ से करीब 40 किलोमीटर दूर गोसाइगंज के सलौली गांव की रहने वाली रूबी 31 अक्टूबर की दोपहर अपने झोपड़ीनुमा घर में दीपावली की तैयारी कर रही थी. यह दीपावली रूबी के लिए इसलिए भी खास थी क्योंकि 31 अक्टूबर को उसके बड़े बेटे शिवांश का जन्मदिन था. दोपहर में छप्पर के नीचे खटिया पर बैठी रूबी के सामने पड़ी प्लास्टिक की कुर्सी पर एक दंपति आकर बैठ गए. रूबी हड़बड़ा गई. उसे समझ में नहीं आया कि अचानक यह कौन आ गया.
दंपति उसका हालचाल पूछने लगे. उन्होंने पूछा, "आपके पति कहां हैं?" संकोच करते हुए रूबी ने बताया कि पति राम सागर मजदूरी करते हैं और वह भी दूसरों के खेतों में काम करके अपना पेट भरती है. बच्चों के बारे में पूछने पर बताया कि उसके दो बच्चे तीन वर्षीय शिवांश और दो वर्षीय सुधीर हैं. रूबी की बात सुनने के बाद मुख्य सचिव ने खटिया पर लेटे बच्चे को दुलारते हुए मिठाइयां और उपहार भी दिए. थोड़ा सहज होते हुए रूबी ने अपनी तकलीफ भी बताई.
रूबी ने कहा, "गरीबी में बड़ी मुश्किल से गुजारा होता है." दंपति के साथ आए एक अधिकारी ने रूबी से कहा, "जानती हो साहब सबसे बड़े अधिकारी हैं. उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह है." अब रूबी की हिचक कुछ और कम हुई. उसने मनोज कुमार सिंह से अपने बेटे शिवांश के जन्मदिन के बारे में भी बताया. इस पर मुख्य सचिव ने बच्चे को उपहार भी दिए. मुख्य सचिव ने रूबी से कहा, "आपके परिवार को प्रदेश सरकार की 'जीरो पॉवर्टी स्कीम' का पहला लाभार्थी चुना गया है. अब आपकी सारी समस्याएं जल्द दूर हो जाएंगी." इस तरह इस बार दीपावली का त्योहार रूबी के लिए यादगार बन गया.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक माह पूर्व दो अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर "जीरो पॉवर्टी योजना" की घोषणा की थी. अगले एक साल में प्रत्येक ग्राम पंचायत में निर्धनतम परिवारों को चिह्नित कर उन्हें गरीबी से बाहर निकालकर उत्तर प्रदेश को देश का पहला "जीरो पावर्टी राज्य" बनाने का लक्ष्य रखा गया है. योजना के जरिये गरीब परिवारों को चिह्नित कर उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ देने के साथ उनकी सालाना आय 1,25,000 रुपये प्रति परिवार करने की योजना है.
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद उसी दिन मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इसका शासनादेश भी जारी कर दिया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को "जीरो पॉवर्टी योजना" को धरातल पर उतारने के लिए मुख्य सचिव को ऐसे परिवार की तलाश थी जिसे वास्तव में इसकी जरूरत हो. ऐसे में मुख्य सचिव ने पहले ऐसे परिवार की खोज करने की जिम्मेदारी खुद सम्भाली. इसके लिए दिन दीपावली का दिन चुना. बिना किसी प्रोटोकाल और लाव-लश्कर के प्रदेश के शीर्ष नौकरशाह मनोज कुमार सिंह और उनकी पत्नी कई गांवों की खाक छानने के बाद आखिरकार गुरुवार को रूबी के टूटे-फूटे कच्चे मकान पर पहुंचे, जहां उनकी "जीरो पॉवर्टी योजना" का पहला लाभार्थी चुनने की तलाश पूरी हुई.
मुख्य सचिव के जाने के बाद रूबी से सीएम हेल्पलाइन के जरिये भी बातचीत की गई. कोई परेशानी होने पर सीएम हेल्पलाइन पर फोन करने के लिए कहा गया. योगी सरकार की "जीरो पॉवर्टी योजना" के तहत हर ग्राम पंचायत में 10 से 25 निर्धनतम परिवार चिह्नित किए जाएंगे. सभी निर्धन परिवारों को भोजन और वस्त्र की उपलब्धता के साथ-साथ मकान की सुविधा, अच्छी शिक्षा व चिकित्सा दिलाई जाएगी. उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने का कार्य भी किया जाएगा.
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह बताते हैं, "सरकार पूरी ताकत के साथ प्रदेश के निचले स्तर पर जीवन यापन करने वाले परिवारों का जीवन स्तर सुधारने के लिए काम कर रही है. सभी अधिकारी ग्राउंड जीरो पर उतरकर खुद स्थितियों का जायजा ले रहे हैं, ताकि जरूरतमंद परिवार को लाभ मिल सके. जिले के अधिकारी जमीनी हालात को बदलने के लिए चेंज एजेंट हैं." 'जीरो पावर्टी स्कीम' के तहत हर गांव से पात्रता सूची तैयार करके उन्हें सरकार की सभी योजनाओं से संतृप्त किया जाएगा.
अगले एक साल में उत्तर प्रदेश को देश का पहला जीरो पॉवर्टी राज्य बनाने का संकल्प ले चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरी प्रक्रिया को डिजिटल तकनीकी का उपयोग करते हुए तेजी से पूरा करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है. जीरो पॉवर्टी अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए शासन की ओर से डिजिटल टेक्नोलॉजी के उपयोग और डिजिटल पोर्टल व मोबाइल एप पर कार्य करने संबंधी दिशा निर्देश भी जारी किए जा चुके हैं.
योजना से जुड़े एक अधिकारी बताते हैं, "जीरो पॉवर्टी पोर्टल और विभिन्न एप के जरिए न सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से निर्धनतम परिवारों का चिन्हीकरण और उनका स्थलीय सत्यापन पूरा किया जा सकेगा, बल्कि विभिन्न विभागों की ओर से संचालित योजनाओं को निर्धनतम परिवारों तक पहुंचाना संभव हो सकेगा. इसके साथ ही, पूरी प्रक्रिया की जिले स्तर से लेकर शासन स्तर तक मॉनीटरिंग भी आसान होगी."
पंचायतराज विभाग को इस योजना का नोडल विभाग बनाया गया है. समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग विभाग, दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग, स्वच्छ भारत मिशन, ग्राम विकास विभाग, खाद्य एवं रसद समेत गांवों के विकास एवं जन कल्याण से जुड़े सभी विभागों को इस योजना में भागीदार बनाया गया है. ये सभी विभाग चयनित परिवारों को अपनी-अपनी योजनाओं से लाभान्वित करेंगे.
प्रदेश में कुल 57691 ग्राम पंचायतें हैं, जिनमें लगभग 85 हजार गांव हैं. योजना के तहत सभी गांवों से 10 से 25 ऐसे अत्यंत गरीब परिवारों का चयन होगा जो अतिशय गरीबी में जी रहे हैं और उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया है. प्रारंभिक स्तर पर ऐसे परिवारों की सूची समाज कल्याण विभाग बनाएगा. मुख्यालय स्तर की टीम के सत्यापन के बाद अंतिम सूची में शामिल परिवारों को सभी योजनाओं से संतृप्त किया जाएगा.
निर्धनतम परिवारों का चयन चार मानकों के आधार पर होगा. पहला गृहहीन या कच्चे मकान वाले, दूसरा भूमिहीन परिवार, तीसरा दिहाड़ी व कृषि मजदूरी पर आश्रित अनियमित आय वाले और चौथा जिनको खाने-पीने की तंगी रहती है. इसके लिए मॉप-अप मोबाइल एप पर परिवारों के बारे में सूचनाएं दर्ज की जाएंगी.
इस तरह होगा तकनीकी का प्रयोग
नोडल पोर्टल से जुड़े रहेंगे सभी विभाग
अभियान के तहत http://zero-poverty.in नोडल पोर्टल की तरह कार्य करेगा, जबकि सभी विभागों या स्वायत्त इकाइयों के लिए पोर्टल में उनके विभाग या इकाई के नाम प्रीफिक्स में उल्लेख होगा. जैसे ग्राम्य विकास विभाग के लिए पोर्टल (सब डोमेन) का नाम स्वतः http://rd.zero-poverty.in या बेसिक एजुकेशन विभाग के लिए पोर्टल (सब डोमेन) का नाम http://basic-education.zero-poverty.in होगा. चूंकि सभी विभागों का नाम सूची पोर्टल के मेन्यू में स्पष्ट दिखाई देगी, इसलिए किसी भी विभाग के पोर्टल के नाम पर भ्रम या असुविधा नहीं होगी.
"मॉप-अप मोबाइल एप" से होगी निर्धनतम परिवारों की पहचान
मॉप-अप मोबाइल एप का प्रयोग निर्धनतम परिवारों की पहचान करने के लिए किया जाना है. ग्राम स्तरीय कर्मचारी तथा ग्राम स्तरीय समिति के सदस्य/पदाधिकारी इस एप का उपयोग करेंगे. ग्राम स्तरीय पांच सदस्यीय समिति को ग्राम स्तरीय कर्मचारियों द्वारा पहचान किए गए निर्धनतम परिवारों के रिकॉर्ड उनके मोबाइल के डैशबोर्ड में प्रदर्शित होंगे. वे उनका स्थलीय सत्यापन करेंगे तथा एप पर ही अपना अभिमत व्यक्त करेंगे. इस एप की मदद से ग्राम स्तरीय कर्मचारियों की टीम 30 दिन के अंदर अपने ग्राम पंचायत में निवास कर रहे सभी (10-25) निर्धनतम परिवारों की पहचान कर सकेगी.
"रिश्ता एप" बताएगा योजना के वितरण की स्थिति
"रिश्ता मोबाइल एप" आजीविका मिशन, ग्राम्य विकास विभाग द्वारा संचालित मोबाइल एप है, जिस पर बीसी सखी के सभी प्रक्रिया व प्रगति संबंधी गतिविधि व टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म पर बैंकिंग ट्रांजेक्शन के विवरण/रिपोर्ट उपलब्ध होती है. रिश्ता एप के माध्यम से मिशन के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चिह्नित किए गए निर्धनतम परिवारों तथा उनके द्वारा डीबीटी की राशि व भुगतान से जुड़े बैंकिंग सेवाओं की सूचना मिशन, ग्राम्य विकास विभाग तथा शासन को उपलब्ध होगी. सभी विभागों से संबंधित डीबीटी भुगतान की लाभार्थियों तक पहुंच की सूचना बीसी सखी द्वारा रिश्ता एप के माध्यम से रियल टाइम पर उनके पोर्टल के कंसोल पर उपलब्ध होगी.
एसएमएस लिंक के माध्यम से डाउनलोड होगा एप
ग्राम स्तरीय कर्मचारी द्वारा भरे गए निर्धनतम परिवारों का विवरण ग्राम स्तरीय स्थानीय समिति के सदस्य मोबाइल डैशबोर्ड पर देखेंगे और उनका अलग से स्थलीय सत्यापन करेंगे तथा चिह्नित परिवार के निर्धनता के आधार पर मोबाइल एप पर ही अपना अभिमत स्पष्ट करेंगे. सत्यापित किए गए परिवारों का कंप्यूटर आधारित रेटिंग के बाद उनकी विस्तृत सूचना जीरो पावर्टी पोर्टल पर उत्तर प्रदेश शासन की सभी योजनाओं से संदर्भित विभाग के वेब कंसोल पर प्रदर्शित की जाएगी, ताकि ऐसे सभी परिवारों के सापेक्ष विभाग द्वारा दी जा रही योजनाओं के लाभ त्वरित गति से कार्यान्वित हों.
सीएम हेल्पलाइन से मिलेंगे अलर्ट और नोटिफिकेशन
सभी संभावित निर्धनतम परिवारों के अलावा सभी ग्राम स्तरीय कर्मचारियों तथा ग्राम स्तरीय समिति के सदस्यों का डेटाबेस पोर्टल पर उपलब्ध होगा. ऐसे सभी पंजीकृत यूजर्स को सीएम हेल्पलाइन द्वारा ना सिर्फ वेब आधारित कॉल किया जाना संभव होगा, बल्कि मॉप-अप मोबाइल एप के माध्यम से उन्हें आवश्यकतानुसार अलर्ट, नोटिफिकेशन तथा अपडेट के संदेश भी भेजा जाना संभव होगा. भेजे गए सभी अलर्ट्स या नोटिफिकेशन या अपडेट मॉप-अप के रिकॉर्ड्स में यूजर के मोबाइल पर रिकॉर्ड के तौर पर उपलब्ध होंगे, ताकि आवश्यकतानुसार उसका संदर्भ लिया जा सके. मॉप-अप मोबाइल एप पर वॉइस मैसेज की व्यवस्था भी की जाएगी, ताकि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के किसी सुदूर स्थान से भी कोई अपनी बात शासन तक पहुंचा सके.