पंजाब : कांग्रेस नेता के खिलाफ कार्रवाई ने कैसे बढ़ाई आप सरकार की मुश्किल?

कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा के ‘पंजाब में 50 बम पहुंच चुके हैं..’ वाले बयान पर राज्य पुलिस ने कार्रवाई की है, जिससे प्रदेश में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है

कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ( फाइल फोटो - पीटीआई )
कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ( फाइल फोटो - पीटीआई )

अप्रैल की 16 तारीख को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रताप सिंह बाजवा की गिरफ्तारी पर 22 अप्रैल तक के लिए रोक लगा दी है. एक टीवी इंटरव्यू के दौरान दिए गए बयान के आधार पर उनके खिलाफ ये कार्रवाई हो रही है.

पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने इंटरव्यू में पंजाब में बढ़ रहे अपराध को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार पर हमला किया था. बीते 7 महीने में राज्यभर में देसी बम और ग्रेनेड के जरिए 16 से ज्यादा हमले हुए हैं.

इनमें भाजपा नेता मनोरंजन कालिया के जालंधर स्थित घर पर हुए हमले, अमृतसर में एक मंदिर पर हुए हमले के अलावा पटियाला में बादशाहपुर पुलिस चौकी पर होने वाला ग्रेनेड हमला भी शामिल है. बाजवा ने इसी मुद्दे पर भगवंत मान सरकार की पुलिस-प्रशासन पर सवाल उठाए थे.

उन्होंने अपने सनसनीखेज बयान में कहा था- "पंजाब में 50 बम पहुंच चुके हैं, जिनमें 18 फट चुके हैं और 32 विस्फोट होने वाले हैं."
बीते दिनों इसी बयान पर उनके खिलाफ केस दर्ज करने के बाद पंजाब पुलिस ने उनसे करीब 6 घंटे पूछताछ की. अब पुलिस उनसे ये पूछताछ कर रही है कि उन्होंने जो बयान दिए हैं, उसकी जानकारी उन्हें कहां से मिली.

विपक्षी दल के नेता द्वारा की गई राजनीतिक टिप्पणी को लेकर राज्य पुलिस की कार्रवाई ने लोगों की भौहें चढ़ा दी हैं. इस मामले ने राजनीतिक माहौल को भी गर्मा दिया है. विपक्षी दल कांग्रेस ने इस कार्रवाई के खिलाफ राज्य में प्रदर्शन किया.

सबसे खास बात तो ये है कि पंजाब पुलिस की इस कार्रवाई ने लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट के उपचुनाव से पहले आपस में झगड़ रहे कांग्रेसी गुटों को भी एकजुट कर दिया है.

आप ने इस चुनाव के लिए राज्यसभा सांसद संदीप अरोड़ा को मैदान में उतारा है. उनके खिलाफ कांग्रेस के भारत भूषण आशु मैदान में हैं, जो पूर्व मंत्री हैं. वहीं, भाजपा केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू को मैदान में उतारने की योजना बना रही है.

कांग्रेस का मानना ​​है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद पंजाब में आप बैकफुट पर है. ऐसी धारणा है कि आप का केंद्रीय नेतृत्व अब भगवंत मान सरकार पर कड़ी नजर रख रहा है.

बाजवा पर केस दर्ज होने से पहले राज्य में कांग्रेस के नेता आपसी कलह में उलझे हुए थे, जिसके कारण अक्सर कांग्रेस नेताओं के बीच ही आपसी बयानबाजी होती थी. उदाहरण के लिए, ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस कैंडिडेट भारत भूषण आशु और कांग्रेस के राज्य प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वारिंग के बीच सबकुछ सही नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि राजा वड़िंग को 2024 के लोकसभा चुनाव में लुधियाना से टिकट मिला था.

इस चुनाव में आशु ने राजा वड़िंग के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया और कांग्रेस उम्मीदवार केएल शर्मा के लिए प्रचार करने अमेठी चले गए थे. हालांकि, लुधियाना पश्चिम उपचुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने के बाद आशु को बधाई देने के लिए राजा वड़िंग उनके घर पहुंचे थे.

इसके बावजूद आशु ने उनसे मुलाकात नहीं की थी और कुछ देर बाद ही सोशल मीडिया पर एक अजीब संदेश पोस्ट किया था. इसी तरह, कांग्रेस विधायक राणा गुरजीत सिंह की भी पार्टी के कई नेताओं के साथ तीखी नोकझोंक की खबर सामने आई थी. अब, बाजवा के खिलाफ आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई ने इन नेताओं को अपने मतभेदों को एक तरफ रखने के लिए मजबूर कर दिया है.

दूसरी ओर बाकी विपक्षी दलों की बात करें तो शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) भी विश्वसनीयता के संकट और आंतरिक कलह से जूझ रही है, जबकि भाजपा दिशाहीन दिख रही है.

यही वजह है कि इस उप-चुनाव में आप के खिलाफ कांग्रेस को मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में देखा जा रहा है. भगवंत मान सरकार ने किसान यूनियनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके और ड्रग तस्करों के खिलाफ 'बुलडोजर कार्रवाई' शुरू करके खुद को सक्रिय मुख्यमंत्री के तौर पर दिखाने की कोशिश की है. लेकिन, कांग्रेस मान सरकार पर कानून-व्यवस्था और खालिस्तानी समूहों, गैंगस्टरों पर लगाम लगाने में कथित विफलता को लेकर पूरी ताकत से हमला बोल रही है.

बाजवा के खिलाफ मान सरकार की कार्रवाई ने कांग्रेस की राजनीति को नया मोड़ दिया है. जिस लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है, वह एक हिंदू बहुल निर्वाचन क्षेत्र है और शहरी हिंदू इलाकों में हिंसा एक बड़ा मुद्दा बन जाती है. यह विवाद कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है और पार्टी को इससे कोई परेशानी नहीं है.

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