किसकी तकदीर बुलंद करेगी फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट?

फतेहपुर सीकरी सीट पर वर्तमान भाजपा सांसद व उम्मीदवार राजकुमार चाहर के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व सैनिक रामनाथ सिकरवार को मिल रहा जनसमर्थन बड़ी चुनौती बना

प्रियंका गांधी फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस उम्मीदवार रामनाथ सिकरवार के लिए रोडशो करते हुए
प्रियंका गांधी फतेहपुर सीकरी से कांग्रेस उम्मीदवार रामनाथ सिकरवार के साथ रोड शो करते हुए

ताज नगरी आगरा के पश्च‍िम में बसी नगरपालिका फतेहपुर सीकरी को मुगल सम्राट अकबर ने सन् 1571 में बसाया था. सूफी संत सलीम चिश्ती की दरगाह और सम्राट अकबर के लाल पत्थर के किले के लिए प्रसिद्ध यह शहर मुगल साम्राज्य की भव्यता के प्रमाण के रूप में खड़ा है. फतेहपुर सीकरी  मात्र दस वर्षों तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही था. 

कहा जाता है कि अकबर ने फतेहपुर सीकरी में रहने वाले सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के सम्मान में अपनी राजधानी को आगरा से फ़तेहपुर सीकरी स्थानांतरित कर दिया था. यहां स्थित सभी स्मारकों में एक जैसी स्थापत्य शैली का प्रयोग किया गया है. यूनेस्को ने इसे ‘विश्व विरासत स्थल’ का दर्जा प्रदान किया है. 

फतेहपुर सीकरी मस्जिद के बारे में कहा जाता है कि यह मक्‍का की मस्जिद की नकल है और इसके डिजाइन हिंदू और पारसी वास्‍तुशिल्‍प से लिए गए हैं. मस्जिद के उत्तर में शेख सलीम चिश्‍ती की दरगाह है जहां नि:संतान महिलाएं दुआ मांगने आती हैं. आंख-मिचौली, दीवान-ए-खास, बुलंद दरवाजा, पांच महल, ख्‍वाबगाह, जोधा बाई का महल, शेख सलीम चिश्ती के पुत्र की दरगाह, शाही मस्जिद, अनूप तालाब फतेहपुर सीकरी के प्रमुख स्‍मारक हैं.

फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अस्त‍ित्व में आई जब इसे आगरा लोकसभा सीट से अलग कर दिया गया. 2009 के लोकसभा चुनावों में, इस पर शुरुआती जीत बसपा की सीमा उपाध्याय ने हासिल की. 

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपने इंडिया गठबंधन में सहयोगी समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. फतेहपुर सीकरी की सीट कांग्रेस को मिली है और पार्टी ने यहां से फ़ौजी बाबा के नाम से मशहूर रामनाथ सिकरवार को टिकट दिया है. वे भाजपा के मौजूदा सांसद राजकुमार चाहर को कड़ी चुनौती दे रहे हैं. 

भाजपा विधायक ने पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर को हराकर फतेहपुर सीकरी सीट पांच लाख वोटों के अंतर से जीती थी. 2022 के विधानसभा चुनाव में खैरागढ़ विधानसभा से पूर्व सैनिक रामनाथ सिकरवार ने भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी. रामनाथ के लिए खुद प्रियंका गांधी ने खैरागढ़ कस्बा में रोड शो किया था और भारी भीड़ उमड़ी थी. इसकी वजह से कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर की दावेदारी को दरकिनार कर दिया है. 

खेरागढ़ के गांव कठुमरी निवासी रामनाथ सिकरवार 2004 में सेना से रिटायर हुए थे. इसके बाद क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, छात्र, युवा, किसानों के मुद्दों को लेकर सक्रिय हो गए. अधिकारियों से मिले और आंदोलन भी किया. इसके लिए उन्होंने एक संगठन ‘लक्ष्मण सेना’ के रूप में बनाया. इतना ही नहीं, रामनाथ सिंह सिकरवार ने लक्ष्मण सेना से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा. वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा वोटों से जिला पंचायत सदस्य भी बने. फतेहपुर सीकरी में सिकरवार ठाकुरों की खासी तादाद है. ऐसा कहा जाता है कि मुगल राज से पहले यह सिकरवार राजपूत राजा की रियासत थी जो बाद में इसके आसपास खेरागढ़ और मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में बस गए थे. 

चाहरवटी जाट बिरादरी से ताल्लुक रख्नने वाले राजकुमार चाहर, जो भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं, अपनी उम्मीदवारी को लेकर न केवल अपनी पार्टी के आंतरिक संघर्षों में उलझे हुए हैं, बल्कि सत्ता विरोधी भावना से भी जूझ रहे हैं. चाहर को अपनी जाट बिरादरी पर भरोसा है. 

चाहरवाटी क्षेत्र आगरा जिले में आगरा तहसील, फतेहबाद, खेरागढ़ तहसील में स्थित है. चाहरवाटी क्षेत्र में 242 ग्राम चाहर जाटों के आते है. आगरा कॉलेज में प्रोफेसर लवकुश मिश्र बताते हैं, “चाहर जाट बड़े वीर और लड़ाकू प्रवृति के माने जाते हैं. फतेहपुर सीकरी के अकोला इलाके को चाहरवाटी की राजधानी बोला जाता है. मुग़ल काल में बाघराम चाहर, रामकी चाहर, मोझिया चाहर, बाबा घासीराम चाहर, राजबीर चाहर, अतुल चाहर जैसे योद्धा इस भूमि पर जन्मे थे. 

रामकी चाहर को सीकरी क्षेत्र में मुग़ल विरोधी क्रांति का प्रथम जनक मन जाता है. रामकी चाहर की छवि स्थानीय लोगों के बीच एक ऐसे मसीहा की थी जो मुगलिया खजाने को लूटकर गरीबों में बांट दिया करता था. दूसरे शब्दों में कहे तो वे चाहरवाटी आगरा के रॉबिन हुड थे.” इस तरह फतेहपुर सीकरी लोकसभा सीट की चुनावी जंग चाहरवटी जाट और सिकरवार क्षत्रिय बिरादरी के बीच भी सिमट गई है. 

भारतीय सेना से रिटायर सिकरवार ने 2004 में अपनी सेवानिवृत्ति से पहले कारगिल विजय में योगदान दिया था. खेरागढ़ गांव के रहने वाले, कांग्रेस के उम्मीदवार रामनाथ अक्सर गांव के मंदिर में रहने के लिए जाने जाते हैं. विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों के बीच सिकरवार की लोकप्रियता भाजपा उम्मीदवार के लिए एक अतिरिक्त चुनौती पेश कर रही है. 

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के दौरान, फतेहपुर सीकरी सीट से सटी मथुरा सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार करने वाले प्रमुख नेताओं की अनुपस्थिति कई सवाल खड़े कर रही थी. लेकिन संभावित जीत की बढ़ती उम्मीद के बीच, कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता अपना ध्यान सीकरी की ओर केंद्रित कर रहे हैं. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 3 मई को फतेहपुर सीकरी में कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन में रोड शो करके ताकत दिखा दी है. 

विपक्षी उम्मीदवार से मुकाबला करने के अलावा, वर्तमान सांसद चाहर को फतेहपुर सीकरी के निवर्तमान भाजपा विधायक बाबूलाल चौधरी के बेटे रामेश्वर चौधरी से भी कड़ी चुनौती मिल रही है. रामेश्वर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं और माना जाता है कि निर्वाचन क्षेत्र में जाट मतदाताओं के बीच चाहर की तुलना में उनका अधिक असर है. भाजपा ने रामेश्वर चौधरी को बाहर का रास्ता दिखाकर उनके हौसले को तोड़ने की कोशि‍श की है लेकिन वे जमीनी समर्थन के चलते चुनाव में डटे हुए हैं.

फ़तेहपुर सीकरी से भाजपा उम्मीदवार राजकुमार चाहर के पक्ष में प्रचार करते रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी

इसके अलावा चाहर को असंतुष्ट क्षत्रिय समुदाय के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है जबकि कांग्रेस उम्मीदवार रामनाथ सिकरवार, जो खुद एक क्षत्रिय हैं, उनका समर्थन जुटा रहे हैं. इसी तरह, सत्ता-विरोधी कारक भी चाहर को उनकी पिछली सफलता को दोहराने में एक बड़ी बाधा उत्पन्न करता दिख रहा है. इन चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, प्रमुख ठाकुर नेताओं राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने निराश क्षत्रिय समुदाय की चिंताओं को दूर करने के लिए सीकरी और आगरा में कई रैलियां की हैं. 

इस बीच, भाजपा बाह विधानसभा क्षेत्र से अपनी मौजूदा विधायक रानी पक्षालिका सिंह पर भी भरोसा कर रही है. भदावर राजपरिवार से आने वाली पक्षालिका सिंह का ठाकुर समुदाय के बीच कुछ प्रभाव है, जो उनके निर्वाचन क्षेत्र में प्रभावशाली है. भगवा पार्टी ने ठाकुर समुदाय को शांत करने की कोशिशों में सेवानिवृत्त एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदोरिया को भी शामिल किया है, जो बाह के एक और ठाकुर हैं, और हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं. भदौरिया को भाजपा उम्मीदवार के लिए रोड शो करने के लिए लाया गया था.

मौजूदा हालात में राजकुमार चाहर पूरी तरह से मोदी-योगी फैक्टर पर निर्भर हैं. पीएम मोदी ने चाहर और आगरा से भाजपा उम्मीदवार एसपी सिंह बघेल दोनों के लिए समर्थन मांगने के लिए हाल ही में आगरा में एक चुनावी रैली की थी. इस बीच, अकेले चुनाव मैदान में उतरी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने एक ब्राह्मण राम निवास शर्मा को मैदान में उतारा है, जिससे फ़तेहपुर सीकरी में मुकाबला कुछ हद तक चतुष्कोणीय हो गया है. फ़तेहपुर सीकरी लोकसभा सीट के लिए हुए तीन चुनावों में एक बार ब्राह्मण उम्मीदवार विजयी हुआ, जबकि 2014 और 2019 में दो बार जाट जीते हैं. सीकरी की जातिगत संरचना में, ठाकुर प्रमुख जाति के रूप में प्रभुत्व रखते हैं, जिनकी संख्या साढ़े तीन लाख है, उसके बाद तीन लाख ब्राह्मण हैं. इसके अतिरिक्त, 1.75 लाख जाट और 01-01 लाख संख्या में मुस्लिम और वैश्य हैं. पिछड़ी जातियों में कुशवाहों की संख्या 1.4 लाख है, जबकि निषादों की संख्या 1.25 लाख है.

फतेहपुर सीकरी में चौतरफा घि‍रे राजकुमार चाहर की दिक्कतें कम करने के लिए भाजपा ने अपने ताजा सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी को आगे किया है. भाजपा ने 4 मई को रालोद नेता जयंत चौधरी की सभा कराई. फतेहपुर सीकरी के जाट नेता राजेंद्र सिंह बताते हैं, “जाट समाज में भी यह विचार आगे बढ़ा है कि कोई भी निर्दलीय जीत की स्थिति में नहीं है. ऐसे में यदि मतदाताओं में बिखराव हुआ तो जाटलैंड अपनी ताकत खो देगा. यह भी निश्चित है कि निर्दलीय प्रत्याशी वोटों में सेंध लगाकर अगले विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए अपने लिए समीकरण बना रहे हैं. भाजपा ने अन्य जाट नेताओं को इस बंटवारे को रोकने के लिए मैदान में उतारा था. परंतु पूर्व मंत्री चौधरी उदयभान अपनी पारिवारिक मुश्किल में फंस गए थे. हालांकि वे फिर सक्रिय हो गए हैं, उन्हें भाजपा में जाटों के लिए बाबूलाल की मजबूत काट भी माना जाता है.” 

रालोद नेताओं ने भी मोर्चा संभाल लिया है. क्षत्रियों में भी भाजपा की ओर से स्वबिरादरी वाले नेताओं ने मोर्चा संभाला है. मतदाताओं को समझाया जा रहा है कि यह मतों का बिखराव क्षेत्र के विकास के लिए ठीक नहीं है. यह प्रयास राजकुमार चाहर के प्रति कितना मजबूत माहौल तैयार कर पाता है यह तो चुनाव नतीजों से ही पता चलेगा.

Read more!