दिल्ली विधानसभा चुनाव : सिर्फ 6% वोट घटे तो कैसे खतरे में आ जाएगी AAP सरकार?

दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में 62 सीटों पर जीतकर दिल्ली में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी को इस बार बीजेपी से कड़ी टक्कर मिल रही है

दिल्ली चुनाव 2025
दिल्ली चुनाव 2025

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में दूसरी बार सबसे बड़ी जीत दर्ज की. इसमें AAP को 53.57% वोट शेयर के साथ 62 सीटों पर जीत मिली थी.

लेकिन 2015 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के मुकाबले 2020 में AAP का वोट शेयर करीब 0.73% घटा और 5 सीटों का नुकसान भी हुआ. इस बार 8 फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आ रहे हैं.

ऐसे में पिछले चुनावों के डेटा के जरिए समझते हैं कि इस बार वोट शेयर बदलने से AAP को कितनी सीटों का फायदा या नुकसान हो सकता है? तीन संभावनाओं और तीन पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स के जरिए पूरी कहानी को आसान भाषा में समझिए…

दिल्ली चुनाव 2025

1. पहली संभावना : अगर BJP का वोट शेयर 6.5% बढ़ा तो AAP को 29 सीटों का हो सकता है नुकसान
2020 विधानसभा चुनाव में AAP को 30 सीटों पर 12.5% या उससे कम मार्जिन से जीत मिली थी. इन सभी सीटों पर जीतने वाली पार्टी से BJP की सीधी टक्कर थी, यानी अगर यहां BJP 6.5% वोट शेयर अपने पाले में कर लेती है तो वह वोट विपक्षी पार्टी के हिस्से से कटेगा.

इस तरह BJP 6.5% वोट शेयर बढ़ाकर पिछली बार की तुलना में 30 सीटों पर या तो जीत सकती है या इन सीटों के परिणाम को प्रभावित कर सकती है. हालांकि, यह संभावना कांग्रेस के परफॉर्मेंस पर भी निर्भर करेगी.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस के अंदरूनी सर्वे पर जाएं तो लगभग एक दर्जन सीटों पर दिल्ली में कांग्रेस सीधे मुकाबले में है. इनमें मालवीय नगर, कस्तूरबा नगर, उत्तम नगर, ओखला, बादली, नई दिल्ली, मुस्तफाबाद, जंगपुरा, सीलमपुर, बाबरपुर, पटपड़गंज, कालकाजी जैसी महत्वपूर्ण सीटें शामिल हैं. यहां कांग्रेस की पकड़ मजबूत मानी जाती है. 

मतलब ये है कि दिल्ली में इस बार कांग्रेस जिन सीटों पर मजबूती से लड़ रही हैं, उनमें से सिर्फ 5 सीटें ही ऐसी हैं, जहां पिछली बार AAP ने 12.5 फीसद से कम मार्जिन से जीत हासिल की थी. इससे एक बात तो साफ है कि इस बार भी इन 30 में से 25 सीटों पर AAP और बीजेपी में सीधा मुकाबला है. 

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2. दूसरी संभावना: BJP का वोट शेयर अगर 2.5% बढ़ा तो पार्टी को 10 सीटों तक मिल सकती है बढ़त

2020 विधानसभा चुनाव में BJP 10 सीटों पर 5% या उससे कम मार्जिन से चुनाव हारी थी. इन सभी सीटों पर जीतने वाली पार्टी से BJP की सीधी टक्कर थी, यानी अगर यहां BJP 2.5% वोट शेयर अपने पाले में कर लेती है तो वह 2.5% वोट विपक्षी पार्टी के हिस्से से कटेगा.

इस तरह BJP 2.5% वोट शेयर बढ़ाकर दिल्ली की और 10 सीटें अपने खाते में जोड़ सकती है या इन सीटों पर AAP को नुकसान पहुंचा सकती है. BJP को ये फायदा नजफगढ़, पटपड़गंज, किराड़ी और छतरपुर जैसी सीटों पर हो सकता है.

इसकी वजह ये है कि नजफगढ़ और छतरपुर सीट से बीजेपी ने आप छोड़कर पार्टी में आए विधायक को टिकट दिया है. वहीं, पटपड़गंज सीट सिसोदिया के छोड़ने के बाद बीजेपी ने यहां रवींद्र नेगी को खड़ा किया है. इसी तरह पूर्वांचली वोटों वाले इलाके किराड़ी से बीजेपी ने बजरंग शुक्ला को मैदान में उतारा है. पिछली बार करीबी मुकाबला होने की वजह से इस बार यहां बीजेपी अगर 2 से 2.5 फीसद वोट प्रभावित कर दे तो इस सीट पर जीत हासिल कर सकती है.

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी के मुताबिक 12.5% मार्जिन कम नहीं होता है, लेकिन 10% से कम मार्जिन वाली सीटों को करीबी मुकाबला मान सकते हैं. अगर दो दलों के बीच सीधी लड़ाई है तो सिर्फ 5% वोटों को ही स्विंग करने की जरूरत होती है. दिल्ली में तीन तरह की सीटें हैं- 1. जनरल सीट 2. मुस्लिम सीट 3. अनुसूचित जाति की आरक्षित सीट. 

अमिताभ कहते हैं, “मुस्लिम सीटों की संख्या 9 हैं, जबकि एससी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 12 हैं. अगर इन 21 सीटों पर देखें तो पिछली बार की विधानसभा चुनाव में औसतन 20% के आसपास वोटों का अंतर था. बाकी 49 सीटों पर औसतन 10% मतों के लीड से आम आदमी पार्टी चुनाव जीती थी. मेरा मानना है कि इन सभी जनरल सीटों यानी 49 सीटों पर बीजेपी और आप में कांटे की टक्कर है. ऐसा इसलिए क्योंकि महज 5% वोटों के स्विंग से भी बीजेपी इनमें से कई सीटें जीत सकती है.”

3. तीसरी संभावना: अगर AAP का वोट शेयर 5% घटा तो बीजेपी को 17 सीटों का हो सकता है फायदा

2020 में AAP की 17 सीटों पर जीत का मार्जिन 10% या उससे कम था. इन सभी 17 सीटों पर दो पार्टियों के बीच आमने-सामने की टक्कर थी. इन सीटों पर अगर AAP के 5% वोट घटकर दूसरे नंबर के प्रत्याशी की ओर जाते हैं तो BJP ये सीटें जीत सकती हैं. यानी BJP की टैली 8 से बढ़कर 25 सीटें हो सकती है.

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कम मार्जिन वाली सीटों पर फ्लोटिंग वोट से होगा रिजल्ट तय: रशीद किदवई

राजनीतिक विश्लेषक और ‘24 अकबर रोड’ किताब के लेखक रशीद किदवई का कहना है कि कम मार्जिन की सीटें चुनाव में निर्णायक साबित होती हैं. एक तबके का वोट हमेशा जाति, धर्म, समुदाय आदि के आधार पर होता है. जबकि एक तबका ऐसा होता है जो फ्लोटिंग वोट होता है. ये आखिरी वक्त में तय करते हैं किसे वोट देना है. ये कम मार्जिन वाले सीट पर उलट-फेर करने में अहम भूमिका निभाते हैं.

पिछले दो चुनाव में फ्लोटिंग वोट का सबसे बड़ा फायदा आम आदमी पार्टी को मिलता रहा है. लोगों को लगता है कि आम आदमी पार्टी ही जीत रही है, इसलिए चलो इसे ही वोट दे देंगे. इस बार बीजेपी भ्रष्टाचार के मुद्दे के जरिए इस वोट बैंक को अपनी ओर रिझाने की कोशिश कर रही है. अगर ये फ्लोटिंग वोट उन्हें मिलता है तो इसका सीधा नुकसान आप को होगा. 
 
दिल्ली के मतदाताओं को लगता है कि कांग्रेस सत्ता में आने वाली है नहीं, उसे सरकार बनाने के लिए भी आम आदमी पार्टी के पास ही आना होगा. अभी तक कांग्रेस ने सीएम फेस नहीं दिया है. मुझे लगता है कि इस चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत पिछली बार से भी कम होगा. ऐसे में फ्लोटिंग वोट को कांग्रेस अपनी तरफ कर पाएगी, इस बात की कम संभावना है.

दिल्ली में AAP से कम वोट शेयर मिलने पर भी ज्यादा सीटें जीत सकती है BJP: अमिताभ तिवारी

राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी के मुताबिक, इस बार बीजेपी कम वोट शेयर लाकर भी आम आदमी पार्टी से ज्यादा सीटें जीत सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि AAP दिल्ली की 21 मुस्लिम और एससी बहुल सीटों पर बड़े वोटों के अंतर से जीतती है.

बाकी सीटों पर जहां कम वोटों का अंतर है, वहां थोड़ा बहुत भी वोट स्विंग हुआ तो बीजेपी को बढ़त मिल जाएगी. यानी ओवर ऑल स्टेट में 6% वोट बीजेपी के फेवर में स्विंग होता है तो बीजेपी का वोट प्रतिशत 39% से बढ़कर 45% हो जाएगा, जबकि AAP का वोट 54% से घटकर 48% हो जाता है. ऐसी स्थिति में भले AAP का वोट शेयर ज्यादा हो, लेकिन बीजेपी 36 सीटों पर जीत हासिल कर सकेगी. जबकि AAP सिर्फ 34 सीटें ही जीत पाएगी.

AAP के पास जीत की हैट्रिक का अच्छा मौका है:  संजय कुमार

पॉलिटिकल एक्सपर्ट और CSDS के प्रोफेसर संजय कुमार के मुताबिक आप का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि वह लोकसभा चुनाव के बाद कितना स्विंग वोट अपने पक्ष में कर पाती है. अगर 2015 और 2020 जैसे ही स्विंग वोट उसे मिलता है तो ये आप के लिए दिल्ली में जीत की हैट्रिक का अच्छा मौका होगा. दिल्ली में कमसे-कम 12 से 15% स्विंग वोटर्स हैं. जो चुनावों के बीच अपनी राजनीतिक पसंद को एक पार्टी से दूसरी पार्टी के में बदलते रहे हैं.

2019 और 2020 के चुनावों के बीच आप के पक्ष में सबसे बड़ा झुकाव 55% मुस्लिमों, 45% सिखों और 45% दलित वोटर्स का अरविंद केजरीवाल की ओर देखा गया था. 2019 लोकसभा चुनाव में इन वोटों में आप और कांग्रेस के बीच बंटवारा हुआ था. अगले ही साल 2020 में जब इन वोटरों को लगा कि मुकाबला सीधा बीजेपी औप आप में है तो बीजेपी को हराने के लिए ये वोटर आप के पक्ष में हो गए. अब देखना ये है कि इस बार क्या होता है?

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