भोपाल कैश कांड : कांस्टेबल सौरभ शर्मा के पास आखिर कैसे आया 52 किलो सोना?

पूर्व ट्रांसपोर्ट कांस्टेबल सौरभ शर्मा एक समय सिविल सेवा का अभ्यर्थी रहा था. वह मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा में इंटरव्यू राउंड तक भी पहुंचा. 19 दिसंबर को उससे जुड़ी गाड़ी से 11 करोड़ रु. कैश के साथ 52 किलो सोना बरामद हुआ

सौरभ शर्मा के घर और दफ्तर से मिली ज्वेलरी और चांदी की ईंटें
सौरभ शर्मा के घर और दफ्तर से मिली ज्वेलरी और चांदी की ईंटें

भोपाल 'कैश' कांड में जिस सौरभ शर्मा की तलाश में चार-चार एजेंसियां लगी हुई हैं, कहा जा रहा है कि फिलहाल वह अपनी पत्नी के साथ दुबई में है. पिछले दो हफ्ते से शर्मा का नाम सुर्खियों में चल रहा है.

दरअसल, 19 दिसंबर को आयकर विभाग ने भोपाल के एक फार्म हाउस से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये कैश वाली गाड़ी जब्त की थी. वो कार सौरभ के दोस्त चेतन गौर के नाम पर रजिस्टर्ड है.

आयकर विभाग की पूछताछ में गौर ने बताया कि सौरभ ने उसके नाम पर कार ली है, लेकिन कार उसकी नहीं है. इसके बाद जांच का सिलसिला लगातार जारी है. बहरहाल, कई लोग इस बात पर ताज्जुब कर रहे हैं कि जिस सौरभ ने 2016 में राज्य के परिवहन विभाग में बतौर एक कांस्टेबल नौकरी ज्वॉइन की थी, कैसे वो एक दशक के भीतर ही करोड़ों का स्वामी बन गया! क्या मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग में एक कांस्टेबल को गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई जितनी तनख्वाह मिलती है? क्या कोई कांस्टेबल महज सैलरी के दम पर इतनी संपत्ति अर्जित कर सकता है? जाहिर तौर पर जवाब है - नहीं. साल 2023 में जब परिवहन आरक्षक सौरभ पर भ्रष्टाचार के आरोपों का बोझ असहनीय रूप से भारी हो गया तो उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में संवाददाता राहुल नरोन्हा बताते हैं कि ग्वालियर के रहने वाले सौरभ उर्फ चीनू एक समय में सिविल सेवा के उम्मीदवार थे. उन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर राज्य सिविल सेवा की परीक्षा में इंटरव्यू तक का भी रास्ता तय किया. लेकिन मेरिट लिस्ट में जगह नहीं बना सके. खैर, सिविल सेवा ज्वॉइन करके ही भ्रष्टाचार जरूरी थोड़े है! सौरभ संभवत: इसी सिद्धांत पर आगे बढ़ता गया और अपने लिए सही मौके का इंतजार किया.

सौरभ के पिता डॉ. आर के शर्मा एक सरकारी कर्मचारी थे. उनके निधन के बाद सौरभ को अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली. लेकिन धूर्तता जैसे उड़ान भरने के लिए अपना पंख फड़फड़ा रही थी. 

अपनी पत्नी के साथ सौरभ शर्मा/सोशल मीडिया

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस नौकरी को हासिल करने के लिए सौरभ ने झूठा शपथ पत्र पेश किया. उसने शपथ पत्र में बताया था कि उसका कोई रिश्तेदार सरकारी नौकरी में नहीं है, जबकि उसका बड़ा भाई सचिन छत्तीसगढ़ पीएससी में सिलेक्ट होकर सरकारी नौकरी कर रहा था. अक्टूबर 2016 में सौरभ परिवहन आरक्षक बना. 2019 तक उसकी ग्वालियर में ही पोस्टिंग रही. इसके बाद साल 2020 में एक बार फिर राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनी तो उसके पास चेक पोस्ट का कंट्रोल आ गया.

रिपोर्ट बताती है कि जुलाई 2021 के बाद तो ये हाल हो गए कि सौरभ ही परिवहन विभाग में पोस्टिंग तय करने लगा. चेक पोस्ट उसने अपने लोगों को ठेके पर दे दिए. वहां तैनात इंस्पेक्टर, हेड कॉन्स्टेबल का शेयर उसने एडवांस में तय कर दिया और वसूली का जिम्मा अपने लोगों को दे दिया. शिकायतें होने लगीं तो जांच से बचने के लिए 2023 में उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया, और वो इस्तीफा मंजूर भी हो गया. 

नरोन्हा लिखते हैं, "रिश्वतखोरी के लिए कुख्यात परिवहन विभाग में काम करने का तरीका सौरभ ने जल्दी ही सीख लिया. अनुकंपा के आधार पर उसकी नियुक्ति जब विवादों में घिर गई और उसने इस्तीफा दे दिया, तो उसके बाद उसने एक रियल एस्टेट बिजनेस शुरू किया. हालांकि, उसका यह कारोबार कथित तौर पर अन्य गतिविधियों के लिए एक मुखौटा था."

19 दिसंबर को लोकायुक्त की विशेष पुलिस इकाई ने भोपाल में शर्मा से जुड़े दो ठिकानों पर छापेमारी की और 2.1 करोड़ रुपये की नकदी के अलावा सोना और चांदी भी जब्त किया. लेकिन असली बरामदगी तो उसी 19 दिसंबर की रात हुई जब आयकर विभाग को मेंडोरी गांव के एक खेत में खड़ी एक गाड़ी के बारे में सूचना मिली. टीम मौके पर पहुंची, जहां स्थानीय पुलिस भी पहुंच गई. 'क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी' (RTO) की प्लेट और सायरन लगे वाहन को देखा गया और उसकी तलाशी ली गई. बैग में 11 करोड़ रुपये नकद और 52 किलो सोना बरामद हुआ.

भास्कर की रिपोर्ट बताती है कि सौरभ की इन काले करतूतों में साथ देने वालों में उसकी मां, पत्नी, साला, दोस्त चेतन गौर और शरद जायसवाल के साथ जीजा रोहित तिवारी शामिल हैं. जांच एजेंसियों को पता चला है कि सौरभ ने भोपाल समेत कई शहरों में जीजा के साथ साझेदारी में कई प्रॉपर्टी खरीदी. भोपाल में जिस बंगले में सौरभ रह रहा था, वह जीजा के नाम से खरीदा था. 27 दिसंबर को जब ईडी ने नए सिरे से सौरभ के भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर के ठिकानों पर छापा मारा तो प्रॉपर्टी से जुड़े कई और सबूत मिले. 

सौरभ अपनी पत्नी के साथ गायब है और बताया जा रहा है कि वे दुबई में हैं. भोपाल जिला कोर्ट से उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो चुकी है. आयकर विभाग ने सौरभ को नोटिस जारी किया है, जबकि लोकायुक्त के एसपीई ने राज्य आपराधिक जांच विभाग को शर्मा के लिए लुकआउट सर्कुलर जारी करने को कहा है. 

सूत्रों के हवाले से नरोन्हा अपनी रिपोर्ट में लिखते हैं, "नकदी और सोने-चांदी के अलावा जब्त की गई चीज़ों में शर्मा द्वारा कथित तौर पर रिश्वत दिए जाने वाले अधिकारियों और राजनेताओं की सूची भी मिली है. तलाशी के दौरान लाखों रु. की कीमत वाली डिजाइनर घड़ियां और बैग सहित महंगे उपहार मिले, जिससे पता चलता है कि शर्मा किस तरह प्रभावशाली लोगों को रिश्वत दे रहा था." 

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