अब इंटर्नशिप की कोई दिक्कत नहीं! नई नौकरियों को लेकर देसी कंपनियों का रवैया कैसे बदला?

आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले तीन साल में देश की बड़ी कंपनियां कॉलेज छात्र-छात्राओं को ज्यादा से ज्यादा इंटर्नशिप देने लगे हैं

कंपनियां अब पहले से ज्यादा इंटर्नशिप ऑफर कर रही हैं (सांकेतिक फोटो)
कंपनियां अब पहले से ज्यादा इंटर्नशिप ऑफर कर रही हैं (सांकेतिक फोटो)

देश की बड़ी कंपनियों ने नौकरियों में बदलते तकनीकी परिदृश्य के बीच कुशल कर्मचारियों की बढ़ती जरूरत को देखते हुए ज्यादा से ज्यादा इंटर्न रखने की तैयारी शुरू कर दी है.

जॉब पोर्टल ‘इंडीड’ के डेटा से पता चलता है कि पिछले तीन सालों में यानी फरवरी 2022 से फरवरी 2025 के बीच इंटर्नशिप जॉब पोस्टिंग में 103 फीसद की वृद्धि हुई है. अकेले 2024 में इंटर्नशिप पोस्टिंग में 23 फीसद की वृद्धि हुई थी.

भर्ती और मूल्यांकन मंच ‘HirePro’ के सीओओ एस. पशुपति कहते हैं कि इस उछाल का एक कारण इंटर्न को नियुक्त करने के लिए सरकार की ओर से काफी जोर दिया जाना है. इसके अलावा, कंपनियां कॉलेज में पढ़ने वाले तीसरे वर्ष के छात्रों को इंटर्नशिप ऑफर कर उन्हें ट्रेंड करने के बाद नौकरी ऑफर कर रही है.

ऐसा करने से कंपनियां को दो फायदे हैं- पहला ये कि वो आसानी से टॉप कॉलेज की प्रतिभाओं को चुन लेती हैं. दूसरा- कंपनियां ऐसा करके टॉप प्रतिभाओं को चुनने में बाकी कंपनियों के साथ होने वाली तगड़ी प्रतिस्पर्धा से बच जाती हैं. इतना ही नहीं कंपनियां इंटर्नशिप प्रक्रिया के दौरान युवाओं का बेहतर तरीके से मूल्यांकन भी कर लेती है.

कुछ समय पहले तक विनिर्माण जैसी गैर-प्रौद्योगिकी कंपनियों में इंटर्नशिप आम थी, जिसे अप्रेंटिसशिप के नाम से भी जानते हैं. साथ ही ऑटो, हॉस्पिटैलिटी और FMCG (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) जैसे क्षेत्रों में भी इंटर्नशिप का चलन लंबे समय से रहा है. HirePro के सीओओ एस. पशुपति कहते हैं कि अब अंतर यह है कि प्रौद्योगिकी कंपनियां भी ज्यादा से ज्यादा इंटर्नशिप ऑफर कर रही हैं.

उन्होंने कहा कि शुरू में तकनीकी कंपनियां इंटर्न के लिए बहुत खुली नहीं थीं क्योंकि ये कंपनियां संवेदनशील डेटा और सॉफ्टवेयर के साथ काम करती हैं. गोल्डमैन सैक्स, टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स, एनवीडिया, माइक्रोसॉफ्ट और इंटेल जैसी फर्म अपने इंटर्नशिप कार्यक्रमों के लिए लोकप्रिय हैं.

पशुपति आगे बताते हैं कि इंटर्नशिप प्रोग्राम चलाने के लिए कंपनियों को काफी ज्यादा कमिटमेंट यानी प्रतिबद्धता और निवेश की आवश्यकता होती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इंटर्न काम सीखने में समय लेते हैं साथ ही उनको सिखाने के लिए कंपनी को संसाधन भी लगाने पड़ते हैं.  

इंटर्नशिप प्रोग्राम युवाओं के लिए भी काफी फायदेमंद होता है क्योंकि उन्हें प्रोफेशनल स्किल्स (Professional Skills) के साथ ही साथ इंडस्ट्रीज का नॉलेज भी होता है. वे अपने काम को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं.

‘इंडीड इंडिया’ वेबसाइट के बिक्री प्रमुख शशि कुमार के मुताबिक, युवा पेशेवरों के लिए इंटर्नशिप उनके कौशल को बेहतर बनाने के साथ ही प्रोफेशनल करियर में उनके व्यावहारिक ज्ञान को भी बढ़ाता है. यही वजह है कि युवाओं के उभरते करियर के लिहाज से इंटर्नशिप एक शक्तिशाली मंच प्रदान करती है. इंटर्नशिप एक तरह से पेशेवर दुनिया में पहला वास्तविक कदम है.

इंडीड के डेटा से पता चलता है कि कंपनियां अपने इंटर्न में कई तरह के स्किल्स तलाश कर रही हैं, जिसमें संचार कौशल (31.99 फीसद) सबसे ऊपर है. इसके अलावा HTML और जावास्क्रिप्ट, अंग्रेजी दक्षता, कीवर्ड रिसर्च, एनालिटिकल स्किल्स, SEO, माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल, पायथन प्रोग्रामिंग और माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस जानने वालों को कंपनियां ज्यादा तरजीह दे रही हैं.

इंडीड वेबसाइट के अनुसार भारत में इंटर्नशिप के दौरान युवाओं को औसतन 25,432 रुपए प्रति माह मिलते हैं. हैदराबाद, बेंगलुरु, मुंबई, पुणे और गुरुग्राम जैसे शहरों में कंपनियां इंटर्नशिप करने वालों को प्रतिमाह इस राष्ट्रीय औसत से ज्यादा पैसे भी देती हैं. दूसरी ओर चेन्नई और कोलकाता जैसे शहर इस मामले में निचले पायदान पर हैं.

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