श्रीदेवी... आप तो सच में हवा हवाई निकलीं!
श्रीदेवी मैं आपको कभी माफ नहीं करूंगी.

22 मई 2015. सुबह आंख खुली और फोन आया कि जल्दी से गया आ जाइए. काका (मेरे पापा) का देहांत हो गया. उस वक्त पहली बार लगा था कि क्यों हुई सुबह? आखिर क्यों हम जगे ही? काश सोते रहते. ये सुबह आई ही न होती. पलभर में दिमाग जैसे पागल सा हो गया था. सच का सामना करने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी.
25 फरवरी 2018. सुबह आंख खुली, फोन देखा, नोटिफिकेशन था, ब्रेकिंग न्यूज- श्रीदेवी का दुबई में निधन. दो चार और वेबसाइट सिर्फ इस खबर को कंफर्म करने के लिए देख लिए. भरोसा नहीं हो रहा था. फिर से वही वाली फीलिंग. आखिर मैं जगी ही क्यों? ये सुबह आई ही क्यों? अभी कुछ दिन पहले तो श्रीदेवी की फोटो देखी थी दुबई में अपने रिश्तेदार की शादी अटेंड करते हुए. कितनी सुंदर लग रही थी.
मुझे सिर्फ दो ही हीरोइनों से आज तक जलन हुई. रेखा और श्रीदेवी. उम्र को धोखा देना किसे कहते हैं ये जानना हो तो इन दोनों को देख लीजिए. अपनी पहचान कैसे बनाते हैं ये उनसे सीखिए. सफलता मिल जाए तो कैसे व्यवहार करते हैं ये उनसे सीखिए. पब्लिक लाइफ में रहकर, पर्सनल लाइफ को किस तरह से संभालते हैं ये उनसे सीखिए. कोई आपका कितना भी बुरा करे उसके साथ कैसा व्यवहार करते हैं ये उनसे सीखिए.
जब से ये खबर पढ़ी तभी से श्रीदेवी के सिर्फ दो ही रुप मेरी आंखों के सामने नाच रहे. 'सदमा' की सोमू को पुकारती, स्कर्ट को उंगलियों में फंसाती श्रीदेवी.
और 'इंग्लिश विंग्लिश' की लड्डू बनाती श्रीदेवी, जिसने परिवार के लिए अपने सपनों को दांव पर लगा दिया
इस बीच और भी कई चेहरे हैं उनके जो अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे- चालबाज की 'मैंने तो इसमें घासलेट डाल दिया जी' कहती श्रीदेवी, 'जानी ये चाकू है, लग जाए तो खूउउउन निकल जाता है' कहती श्रीदेवी. छतरी घुमाकर 'किसी के हाथ न आएगी ये लड़की' गाने पर डांस करती श्रीदेवी. 'मेरे हाथों में नौ नौ चूडियां हैं' कहती हुई चूड़ी भरी कलाईयों के बीच से झांकती श्रीदेवी. मॉम की श्रीदेवी जो घुट रही है, बदले की आग में जल रही है.
कोई भी कलाकार तभी मुकम्मल हो पाता है जब वो अपने चाहने वालों के दिल में जगह बना ले. लेकिन श्रीदेवी तो लोगों के घरों में रहने लगी थी. किसी और का तो नहीं पता मुझे ऐसा ही महसूस हो रहा है जैसे, मेरे घर का कोई चला गया.
पहले राजीव गांधी, फिर मेरे गांव में हुए नरसंहार, उसके बाद कलाम साहब की मौत ये तीन ही मौके थे जब मैंने मम्मी को 24 घंटा न्यूज चैनल लगाकर बैठे देखा था. आज फिर वही दिन है जब मेरी मां न्यूज चैनल के सामने से हट नहीं रही. मैं ऑफिस में थी तो मम्मी फोन करके चैनल नंबर पूछ रही है कि न्यूज कितने नंबर पर आता है! मेरे व्हाट्स एप में आधे से ज्यादा लोगों ने अपने स्टेटस में श्रीदेवी की फोटो लगा ली है.
अभी उम्र ही क्या थी उनकी 54 साल बस. ये वो उम्र होती है जब आप जिंदगी को जीने की प्लानिंग शुरु करते हैं. बचपन के बाद, 60 के पार ही उम्र होती है जब इंसान जीना शुरु करता है. खुद के साथ रहना शुरु करता है. खुद के लिए सोचना शुरु करता है.
ऐसे कोई करता है क्या यार? मैंने अपने पापा के पार्थिव शरीर पर उनसे कहा था कि मैं उन्हें कभी माफ नहीं करुंगी. अब श्रीदेवी को कह रही हूं कि आपको भी कभी माफ नहीं करुंगी. ये धोखा जो आप दोनों ने मुझे दिया है इसका बदला लूंगी मैं. और याद रखिएगा मेरे बस आपके पास आने की देर है. आप दोनों से इतना लड़ूंगी कि वापस जमीन पर जाने का रास्ता खोजने लगिएगा.
मैं भी सदमा दूंगी आपको. देख लेना. ये बेईमानी बर्दाश्त नहीं मुझे. मैं भी सदमा दूंगी आपको. देख लेना. ये बेईमानी बर्दाश्त नहीं मुझे. आपके एक हार्ट अटैक ने कितने लोगों को हार्ट अटैक दे दिया पता भी है आपको? क्यों? आखिर क्यों?
(रिम्मी शर्मा आइचौक में कार्यरत हैं. और यहां उनके विचार निजी हैं. इंडिया टुडे का उससे सहमत होना जरूरी नहीं)
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