आईपीएस आनंद मिश्र: दिल के अरमां आंसुओं में बह गए...
असम के आईपीएस अफसर आनंद मिश्र ने बीते दिसंबर में सेवा से इस्तीफा दे दिया था. वे बिहार की बक्सर सीट से भाजपा का टिकट मिलना तय मान रहे थे. लेकिन भाजपा ने वहां से मिथिलेश तिवारी को मैदान में उतार दिया

असम/ बेहतरीन योजना की उड़ीं धज्जियां
असम के आईपीएस अफसर आनंद मिश्र ने बीते दिसंबर में सेवा से इस्तीफा दे दिया था. वे आम चुनाव में अपने गृहराज्य बिहार की बक्सर सीट से भाजपा का टिकट मिलना तय मान रहे थे. इतना कि इस्तीफा स्वीकार होने से पहले ही वे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिलने लखीमपुर से माजुलि चले गए. मगर भाजपा ने मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे की जगह मिथिलेश तिवारी को मैदान में उतार दिया.
लगता है कि उन्हें खुद को 'सिंघम' की तरह पेश करके सोशल मीडिया सनसनी बनने की सजा मिली. बाहर निकलने पर कंधे पर कैमरा लटकाए और फोटोग्राफरों की भीड़ से घिरे रहने वाले मिश्र को असम के एक वरिष्ठ अधिकारी अनुशासनहीनता के लिए फटकार लगा चुके हैं. मिश्र की बदकिस्मती कि भाजपा-आरएसएस ने उस बड़े पुलिस अधिकारी की बात सुनी, जिन्होंने असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा को भी भाजपा के पाले में लाने में अहम भूमिका अदा की थी.
तमिलनाडु/ किसके लिए शुभ?
तमिलनाडु की दो प्रमुख पार्टियों—द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम—को पूरा विश्वास है कि तिरुचि से शुरुआत करना उनकी चुनावी संभावनाओं के लिए अच्छा होता है. डीएमके सुप्रीमो एम.के. स्टालिन ने 22 मार्च को अपने अभियान की शुरुआत सिरुगनुर से की तो एआईएडीएमके महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री एडाप्पदी पलानीस्वामी ने 24 मार्च को उसी जिले के वन्नानकोइल से अपने अभियान को हरी झंडी दिखाई. इस मामले में वे अपनी-अपनी पार्टी के दिग्गजों—एम. करुणानिधि और एम.जी. रामचंद्रन—के नक्शेकदम पर चल रहे हैं. अतीत में करुणानिधि और रामचंद्रन भी जीत के लिए "शुभ और सफल शुरुआत" के प्रबल समर्थक थे. हालांकि स्टालिन और ईपीएस में कोई एक ही विजेता हो सकता है.
पश्चिम बंगाल/बाहरी होने का ठप्पा
भले ही आप विश्वकप विजेता क्रिकेटर हों, पर जब चुनावी मैदान की बात आती है तो यह नहीं कहा जा सकता कि गुगली कहां से आ जाए. इससे पहले कि क्रिकेटर से नेता बने यूसुफ पठान बहरामपुर में 25 साल से अपराजित कांग्रेस के दिग्गज नेता अधीर रंजन चौधरी का सामना कर पाते, पठान पर बाहरी होने का आरोप लग गया. 41 वर्षीय इस ऑलराउंडर ने और किसी का नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर उस आरोप को खारिज कर दिया. पठान 20 मार्च को कोलकाता पहुंचे और अगले दिन बहरामपुर के लिए रवाना हुए.
पत्रकारों ने जब यह पूछा कि वे बाहरी शख्स होने के आरोप से कैसे पार पाएंगे, पठान ने जवाब दिया: "हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी गुजरात से हैं. वह कहां से चुनाव लड़ते हैं? यह लोगों का प्यार है, आपकी काम करने की क्षमता है कि आप भारत में कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं. इसके साथ ही, मैं यहां (बहरामपुर) रहने के लिए आया हूं. यह मेरा घर है." वैसे, टीएमसी में केवल पठान बाहरी व्यक्ति नहीं हैं.
पूर्व भाजपा सांसद और क्रिकेटर कीर्ति आजाद वर्धमान-दुर्गापुर से टीएमसी उम्मीदवार हैं, तो अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा आसनसोल से. भाजपा पहले ही टीएमसी को उसके 'पाखंड' के लिए घेर चुकी है क्योंकि पार्टी प्रधानमंत्री समेत भगवा पार्टी पर लगातार वही आरोप लगाती रही है. भाजपा के नेता पूछते हैं, "गुजरात और बिहार से टीएमसी उम्मीदवार जब बाहरी नहीं, तो देश के पीएम बाहरी व्यक्ति कैसे कहे जा सकते हैं."
बागियों का बिगुल
कर्नाटक में 2019 में भाजपा ने एक रिकॉर्ड बनाया जब उनसे राज्य की 28 लोकसभा सीटों में से 25 सीटें जीत ली थीं. अब भाजपा को न केवल अपना रिकॉर्ड तोड़ना है, बल्कि उन कई नेताओं को मनाना है जो या तो बागी हो गए हैं या फिर टिकट नहीं मिलने से नाराज हैं. कर्नाटक के पूर्व उपमुख्यमंत्री के.एस. ईश्वरप्पा उनमें से सबसे मुखर हैं. वे इससे नाराज हैं कि उनके बेटे के.ई. कांतेश को हावेरी से उम्मीदवार नहीं बनाया गया और कोप्पल से मौजूदा सांसद संगन्ना कराडी को टिकट नहीं दिया गया.
अन्य नाराज लोगों में पूर्व केंद्रीय मंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा शामिल हैं. बेंगलूरू उत्तर से सांसद 71 वर्षीय गौड़ा ने कुछ महीने पहले अपनी सेवानिवृत्तित का ऐलान किया था, मगर उनका कहना है कि पार्टी सहयोगियों ने उन्हें पुनर्विचार करने के लिए मनाया. जब पार्टी ने केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे को बेंगलूरू उत्तर से टिकट दिया तो गौड़ा नाराज हो गए. 21 मार्च को एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि वह कभी भाजपा नहीं छोड़ेंगे, पर उन्होंने कर्नाटक इकाई से भाई-भतीजावाद का 'सफाया' करने की कसम खाई है.
उन्होंने कहा, "जिस तरह पीएम मोदी 'मेरा देश मेरा परिवार' कहते हैं, कर्नाटक भाजपा में भी वही नीति होनी चाहिए. इसे सिर्फ 'मेरा परिवार' नहीं होना चाहिए." उन्होंने साफ-साफ नहीं कहा, मगर ईश्वरप्पा ने खुलकर पूर्व सीएम बी.एस. येदियुरप्पा पर निशाना साधा है. येदियुरप्पा के बेटे बी.वाई. राघवेंद्र शिवमोग्गा से सांसद तो वाई. विजयेंद्र कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष हैं. कुरुबा नेता ईश्वरप्पा अब शिवमोग्गा से बागी के रूप में चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं.
- कौशिक डेका, आशीष मिश्र, पुष्यमित्र, धवल एस. कुलकर्णी, अमिताभ श्रीवास्तव, अजय सुकुमारन, अमरनाथ के. मेनन और अकर्मय दत्ता मजूमदार.