कुर्मी वोटों के लिए मची खींचतान में यूपी में किसकी होगी जीत?
सोनेलाल पटेल के बहाने उनके परिवार के बीच चल रही रस्साकशी 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद और तेज हुई है

कुर्मी नेता और अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की पुण्यतिथि एक बार फिर पारिवारिक विवाद में बदल गई थी. 17 अक्टूबर को सोनेलाल पटेल की पुण्यतिथि के मौके पर अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने प्रतापगढ़ में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया था. समारोह में काफी भीड़ जुटी और मंच से अनुप्रिया पटेल ने जाति जनगणना की मांग करके कुर्मी बिरादरी पर अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया.
इस आयोजन से एक दिन पहले 16 अक्टूबर को दूसरे खेमे अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और सिराथू विधायक पल्लवी पटेल ने प्रयागराज में पत्रकारों के सामने अपनी बहन अनुप्रिया पटेल की तरफ इशारा करते हुए कहा, "जो लोग सोनेलाल पटेल के नाम की राजनैतिक मलाई खा रहे हैं, वे उनकी हत्या का सच सामने लाएं तो उनको वास्तविक श्रद्धांजलि होगी."
पल्लवी पटेल ने एक बार फिर अपने पिता सोनेलाल पटेल की मौत की सीबीआई जांच की मांग करके छोटी बहन अनुप्रिया को घेरने का प्रयास किया. दो हफ्ते से कुछ अधिक समय बीतने के बाद अनुप्रिया ने 4 नवंबर को अपना दल का स्थापना दिवस अयोध्या में मनाया. इससे ठीक एक दिन पहले 3 नवंबर को अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल अयोध्या में थीं. पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने भी केंद्र सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री अपनी बेटी अनुप्रिया पर सोनेलाल पटेल की मौत की सीबीआई जांच न होने देने का आरोप लगाया.
अपना दल (कमेरावादी) ने पार्टी का स्थापना दिवस समारोह लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मनाया. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंच से घोषणा की कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में अपना दल (कमेरावादी) को सीटें देने में कंजूसी नहीं करेगी. उधर, अयोध्या में अनुप्रिया सपा पर निशाना साधते हुए बोलीं कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की एनडीए सरकार ही देश में जातीय जनगणना कराएगी. जातीय जनगणना की मांग करके गैर यादव मुख्यत: कुर्मी बिरादरी को साइकिल के पक्ष में लामबंद करने की अखिलेश यादव की रणनीति की काट के लिए ही अनुप्रिया ने पहली बार यह मुद्दा उठाया.
सपा ने जिस आक्रमकता के साथ जातीय जनगणना और इसकी सहयोगी पार्टी अपना दल (कमेरावादी) ने सोनेलाल पटेल की मौत की सीबीआई जांच का मुद्दा उठाया है उससे अनुप्रिया की पार्टी थोड़ा असहज महसूस कर रही है. इसीलिए अयोध्या में पार्टी के स्थापना दिवस समारोह में बड़ी संख्या में आए कार्यकर्ताओं से अनुप्रिया ने मंच से कहा, "दल की लोकप्रियता बढ़ रही है. ऐसे में जो लोग इसे पचा नहीं पा रहे हैं, उनकी धड़कनें बढ़ेंगी. अफवाहें फैलाई जाएंगी, साजिशें भी होंगी." अनुप्रिया का यह बयान अपना दल (कमेरावादी) की ओर से सोनेलाल पटेल की मौत की सीबीआई जांच की मांग के प्रति अपनी बिरादरी के लोगों को सचेत करने के रूप में भी देखा जा रहा है.
अनुप्रिया के पति और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री आशीष पटेल आरोपों पर पलटवार करते हुए कहते हैं, ''उन्होंने (पल्लवी) सोनेलाल के सिद्धांतों को छोड़कर दूसरे दल से हाथ मिला लिया. कभी कमेरों (सोनेलाल कुर्मी को कमेरा कहते थे) की चिंता नहीं की. अगर सोनेलाल जीवित होते तो उनके परिवार का कोई सदस्य दूसरे दल से न होता." अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल की 17 अक्टूबर, 2009 को कानपुर में एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. हालांकि उस वक्त भी सोनेलाल परिवार ने एकजुट होकर घटना की सीबीआई जांच की मांग की थी.
कुर्मी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले सोनेलाल पटेल को बसपा के संस्थापक कांशीराम ने पहचान दिलाई थी. कांशीराम ने सोनेलाल पटेल को यूपी बसपा का महासचिव बनाया था. 1995 में मायावती के मुख्यमंत्री बनने और फिर सरकार के गिरने के बाद उन्होंने बसपा से किनारा कर लिया और अपनी पार्टी 'अपना दल' की नींव रख दी. सोनेलाल पटेल के करीबी रहे और आंबेडकर नगर निवासी रामऔतार वर्मा बताते हैं, "सोनेलाल पटेल साइंस के स्टूडेंट रहे. वे राजनीति का भी साइंस कितना समझते थे, इसे आप अपना दल के झंडे से समझ सकते हैं. जिस समय अपना दल बना, वह दौर एक तरफ राम मंदिर आंदोलन का था तो दूसरी तरफ मायावती तमाम अंबेडकरवादियों को इकट्ठा कर रही थीं. ऐसे में सोनेलाल ने भगवा और नीले दो रंगों के साथ अपनी पार्टी का झंडा बनाया."
सोनेलाल पटेल की मौत के बाद उनकी पत्नी कृष्णा पटेल अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष बनीं. सोनेलाल पटेल के परिवार में पत्नी के अलावा चार बेटियां पल्लवी पटेल, पारुल पटेल, अनुप्रिया पटेल और अमन पटेल हैं, जिसमें तीसरे नंबर की बेटी अनुप्रिया पटेल (वर्तमान में मिर्जापुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री) अपनी मां से राजनैतिक तौर पर भी जुड़ी रहीं. अनुप्रिया लेडी श्री राम कॉलेज से पढ़ी हैं और कॉलेज के दिनों से ही कार्यक्रमों में भाग लेकर पिछड़ों के हित में आवाज बुलंद करती रही हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव में अपना दल और भाजपा का गठबंधन हो गया. यहां से पार्टी को संजीवनी मिली.
अनुप्रिया वाराणसी की रोहनिया सीट से विधानसभा चुनाव जीत गईं. 2014 के लोकसभा चुनाव में अपना दल भाजपा गठबंधन के साथ मैदान में उतरा. दो सीटें मिली और दोनों पर उसे जीत मिल गई. मिर्जापुर से अनुप्रिया संसद में पहुंचीं तो प्रतापगढ़ से हरिवंश सिंह. अनुप्रिया पटेल केंद्र में मंत्री भी बन गईं. इससे पार्टी की हैसियत काफी बढ़ गई. हालांकि, यहीं से पार्टी और सोनेलाल परिवार में दरार आनी शुरू हो गई. 2014 में अनुप्रिया सांसद बनीं तो वे चाहती थीं कि उनकी छोड़ी गई रोहनिया विधानसभा सीट से उनके पति आशीष सिंह उपचुनाव लड़ें. लेकिन उनकी मां और पार्टी की अध्यक्ष कृष्णा पटेल वहां से खुद लड़ना चाहती थीं. इससे दोनों के बीच में तकरार शुरू हुई.
अंत में कृष्णा पटेल ही चुनाव लड़ीं. कृष्णा पटेल विधानसभा उपचुनाव में अकेली पड़ गईं. अनुप्रिया उनका प्रचार करने नहीं आईं. अनुप्रिया के दूरी बनाने के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी भरपूर उत्साह नहीं दिखाया, लिहाजा कृष्णा पटेल वह चुनाव हार गईं. यहां से पार्टी और सोनेलाल परिवार में विवाद शुरू हो गया. चुनाव हारने के बाद पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल ने 7 मई, 2015 को पार्टी महासचिव अनुप्रिया सहित सात नेताओं को पार्टी से निकाल दिया. अनुप्रिया ने दावा किया कि पार्टी उनकी है. बाद में पार्टी दो हिस्सों में टूट गई. बाद में अनुप्रिया ने अपना दल (सोनेलाल) बना लिया तो कृष्णा पटेल ने अपना दल (कमेरावादी) बनाया.
सोनेलाल पटेल के बहाने उनके परिवार के बीच चल रही खींचतान 2022 के विधानसभा चुनाव के बाद और तेज हुई है. 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से गठबंधन करके अपना दल (एस) ने कुल 11 सीटों पर विजय हासिल की थी. वहीं अपना दल (कमेरावादी) की नेता पल्लवी पटेल ने सपा के टिकट पर सिराथु विधानसभा सीट से चुनाव लड़कर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को शिकस्त दी. हालांकि अपना दल (कमेरावादी) के टिकट पर चुनाव लड़ीं कृष्णा पटेल और अन्य चार उम्मीदवार चुनाव हार गए लेकिन सपा विधायक के रूप में पल्लवी पटेल कुर्मी समाज के बीच चर्चा में आ गईं.
ऐसा माना जा रहा है कि सपा 2024 के लोकसभा चुनाव में मिर्जापुर सीट से पल्लवी को उम्मीदवार बनाकर सांसद अनुप्रिया को सीधी चुनौती देने की रणनीति बना सकती है. सपा के कुछ रणनीतिकार मानते हैं कि ऐसा करके गैर ओबीसी वोटों में सबसे महत्वपूर्ण कुर्मी मतदाताओं में भी बंटवारे की राह खुलेगी जो 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से बड़ी संख्या में भाजपा से जुड़ा हुआ है.
बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ में इतिहास विभाग में प्रोफेसर सुशील पांडेय बताते हैं, "सोनेलाल पटेल की मौत की सीबीआई जांच की मांग करके पल्लवी पटेल अपनी कुर्मी बिरादरी के सामने यह जाहिर करना चाहती हैं कि उनकी बहन अनुप्रिया अपने पिता के दोषियों के साथ मिली हुई हैं. पल्लवी को सपा का समर्थन वस्तुत: सोनेलाल की विरासत और कुर्मी मतों पर कब्जे की जंग में बढ़त दिलाने की रणनीति है." जैसे-जैसे 2024 का लोकसभा चुनाव नजदीक आता जाएगा, कुर्मी मतदाताओं को साधने की कोशिश और ज्यादा आरोप-प्रत्यारोप में तब्दील होती जाएगी.